Thursday, March 11, 2010

कवि रहीम की विनम्रता

रहीम अकबर के नव रत्नों में से एक थेवे कृष्ण-भक्त थे और दानी थेइस दोहे से उनकी विनम्रता की झलक मिलती हैदान देकर अपने नाम की भूख रखने वालों को यह दोहा हमेशा याद रखना चाहिए
देनदार कोई और है, भेजत है दिन रैन।
लोग भरम हम पर धरै, यातें नीचे नैन॥
"देने वाला तो भगवान है ,वही दिन-रात भेज रहा है। लोग समझते हैं हम दे रहे हैंइसलिए हमने लज्जावश अपनी आँखें नीची की हुई हैं।"-रहीम