ओह मेरे मन, तुम विचारों की, एक लगातार बहती नदी की तरह हो|
तुम मेरे अतीत की सभी प्रकार की यादों का, एक विशाल जलाशय भी हो||
मैं तुम्हारी गति की प्रशंसा करता हूँ, जिस तरह तुम,
एक ही समय में असीम विचार प्रक्रिया उत्पन्न करते हो|
मैं तुम्हारी क्षमता से भी ईर्ष्या करता हूँ क्योंकि जब मैं तनाव,
या तनाव के तहत हो जाता हूँ तो तुम मुझे बंधक बना लेते हो||
ओह मेरे मन ,तुम नकारात्मकस्वाद और अनियमित विचारों को हमेशा दोहराते हो|
मेरे स्थिरशरीर में सन्निहित होनेके बावजूद, तुम अस्थिरता,असुरक्षा से प्यार करते हो||
तुम मेरे शरीर में “मैं” नाम के स्वार्थी तत्व की भावना पैदा करते हो |
जो हमेशा मेरे अहंकार को असीमित रूप से प्रोत्साहित करता है|
तुम मेरे जीवन में दुःख, दर्द और पीड़ा का मुख्य कारण हो|
तुम ही हो जो मुझे दूसरों से अलग और ब्रम्ह से जोड़ते हो|
तुम ही मुझे वर्तमान का आनंद प्राप्त करने की अनुमति नहीं देते हो|
तुम ही मुझे पुरानी यादों और भविष्य की चिंताओं से अशांत करते हो|
ओह मेरे मन , तुम एक बंदर की प्रजाति तरह हो |
जो कई अधुरे स्वाद और अध खाये विचारों को फेंक कुदता रहता है|
मेरे विरोध के बावजुद, तुम अतीत और खोये क्षणों के कैदी बन जाते हो|
मेरी अनिच्छा के बावजूद, तुम सड़े विचारों और भावनाओं को ढोते हो|
तुम एक मालगाड़ी की तरह मेरे अतीत के दर्द का टनों भार ढोते हो|
तुम रेशम के कोये की तरह के घर में, मेरे कई भावुक नाटकों की यादें हो|
मैं हमेशा तुम्हारी मांगों को जैसे भी और कभी भी तुष्टि देने का प्रयास करता हूँ|
तथापि, तुम्हें पता है, इस तरह की भौतिकवादी जरूरतों और इच्छाओं पर नियन्त्रण,
जब तुम जंगली और अनियंत्रित हो जाते हो, तो तुमसे भयानक कोई दुश्मन नहीं है|
तुमसे बेहतर कोई दोस्त नहीं है, अगर तुम अच्छी तरह प्रशिक्षित और अनुशासित हो|
सहस्राब्दियों से, मानव जाति ने तेजी से एक सभ्य समाज में प्रगति की है ,
लेकिन, ओह मेरे मन, तुम क्यों मानवता में आदिम बन कर ही रहना चुनते हो|
ओह मेरे मन, अगर मैं, तुम्हें और तुम्हारे चंचल व्यवहार को नियंत्रित करने में सक्षम हूँ,
मैं अपने मामलों को अपने लक्ष्यों को अपने जीवन के उद्देश्य में परिवर्तित कर सकता हूँ|
मैं जानता हूँ,ऐसा करने के लिए मेरी असीम इच्छा शक्ति को स्वतंत्र व्यायाम करना होगा|
ताकि मैं अपने भाग्य और भविष्य के साम्राज्य का महाराजा बन सकूँ||