आयुर्वेद के मुताबिक , खून में मौजूद चर्बी को कॉलेस्ट्रॉल कहते हैं। यह शरीर की सप्त धातुओं में से एक मेद का ही हिस्सा है। खाने में ज्यादा चिकनाई का इस्तेमाल करने वालों , एक्सरसाइज न करने वालों और ज्यादा तनाव में रहने वालों में कॉलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है।
हम जो खाना खाते हैं , उससे हमारे शरीर को कॉलेस्ट्रॉल मिलता है। जिन लोगों के खाने में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा होती है या जिनकी ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल की फैमिली हिस्ट्री होती है , उनका लीवर कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा बनाता है। बाकी लोगों में इसकी मात्रा सामान्य ही रहती है। शरीर की कोशिकाओं को अपना काम करने के अलावा शरीर में शरीर में विटामिन डी , हॉर्मोंस और पाचक रसों को बनाने में इसकी जरूरत पड़ती है। कुछ स्टडीज में देखा गया है कि भारत में हर 500 में से एक व्यक्ति में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। बढ़ता कॉलेस्ट्रॉल चुपचाप अंदर - ही - अंदर वार करता है इसलिए आम आदमी को पता नहीं चलता कि यह बढ़ रहा है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराने से पता चलता है कि कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है या नहीं।
कॉलेस्ट्रॉल शरीर में मौजूद फैट या वसा का ही एक हिस्सा होता है। शरीर में मौजूद यह फैट ए , डी , ई और के जैसे कुछ विटामिंस को पचाने का काम करने के अलावा भोजन को स्वाद प्रदान करता है। यही फैट नर्व्स टिश्यूज की झिल्लियों की अंदरूनी मरम्मत के लिए भी जरूरी है।
कॉलेस्ट्रॉल खासतौर से तीन तरह का होता है
एलडीएल ( लोडेंसिटी लाइपो प्रोटीन ) : इसे बैड कॉलेस्ट्रॉल कहते हैं। यह दिल की आर्टरीज में ब्लॉकेज या रुकावट पैदा करता है। दिल की तमाम बीमारियों का कारण होता है। घी , तेल और मक्खन लेने से यह बढ़ता है।
एचडीएल ( हाईडेंसिटी लाइपो प्रोटीन ) : इसे गुड कॉलेस्ट्रॉल कहते हैं। यह बेड कॉलेस्ट्रॉल को हटाता है , सेहत को सुधारता है और उम्र बढ़ाने में मददगार है। शरीर को एचडीएल ज्यादा चाहिए और एलडीएल कम। एलडीएल चोर है और एचडीएल पुलिस। पुलिस ज्यादा होनी चाहिए और चोर कम , नहीं तो शरीर को नुकसान हो सकता है। बादाम का सेवन व एक्सरसाइज करने से एचडीएल बढ़ता है। ऐसा भी देखा गया है कि देगी मिर्च और कम मात्रा में अल्कोहल लेने से भी एचडीएल बढ़ता है।
वीएलडीएल ( वेरी लो डेंसिटी लाइपो प्रोटीन ) : इसे वेरी बैड कॉलेस्ट्रॉल कहते हैं। इसके अलावा , ट्राइग्लिसराइड व टोटल कॉलेस्ट्रॉल भी होते है। ट्राइग्लिसराइड वीएलडीएल से निकलता है। ट्राइग्लिसराइड एक हजार एमजी से ऊपर होने पर ही नुकसान करता है। यह चीनी , चावल और मैदा लेने से बढ़ जाता है।
कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजहें
*खाने - पीने में बदपरहेजी। कई बार शरीर में खुद ही ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल पैदा करने की टेंडेंसी होती है।
*शुगर या डायबीटीज हो , थायरॉयड ग्लैंड्स कम काम करें , हाइपरटेंशन या हाई बीपी हो तो भी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है।
*शराब - सिगरेट का सेवन करने वाले और ओवरवेट लोगों में कॉलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है।
*कुछ दवाओं की वजह से भी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है। ये हैं : नॉन सिलेक्टिव बीटा ब्लॉकर दवाएं और हॉर्मोंस की दवाएं।
जो लोग एक्सरसाइज कम करते हैं और जिनके परिवार में कॉलेस्ट्रॉल की हिस्ट्री रही हो , उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
लक्षण
*चलने पर सांस फूलने लगती है।
*बीपी हाई रहने लगता है।
*ऐसे लोगों का खून गाढ़ा होता है और उन्हें अक्सर शुगर और दिल की बीमारियां हो जाती हैं।
हो सकते हैं ये रोग
*हार्ट अटैक , लकवा , नपुंसकता और चलने पर पैरों में दर्द।
बचाव के तरीके
दवाएं
*ऐलोपैथी
ऐलोपैथिक दवाओं में कॉलेस्ट्रॉल का परमानेंट इलाज नहीं है। जिनके परिवार में कॉलेस्ट्रॉल की हिस्ट्री है , ऐसे लोग दवाइयों से इसे सिर्फ नियंत्रण में रख सकते हैं , ठीक नहीं कर सकते। जिन लोगों का कॉलेस्ट्रॉल खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ा है , उनमें कॉलेस्ट्रॉल की समस्या लाइफस्टाइल में सुधार करने से ठीक हो जाती है।
होम्योपैथी
होम्योपैथी की भाषा में हाई कॉलेस्ट्रॉल को हाइपरलीपिडिमिया कहते हैं। खानपान व जीवनचर्या को ठीक करने के साथ - साथ इस पर नियंत्रण के लिए ये दवाएं इस्तेमाल की जा सकती हैं : -
आयुर्वेद
आयुर्वेदिक दवाओं में आरोग्यवर्द्धिनी वटी , पुनर्नवा मंडूर , त्रिफला , चन्द्रप्रभा वटी और अर्जुन की छाल के चूर्ण का काढ़ा। कुछ आयुर्वेदिक दवा कंपनियां इस चूर्ण को अर्जुन टी के नाम से बेच भी रही हैं।
देसी तरीके
आधा चम्मच अलसी के बीज या फ्लैक्स सीड्स पीसकर पानी से खाली पेट लें। यह ट्राइग्लिसराइड कॉलेस्ट्रॉल वालों के लिए खासतौर से फायदेमंद है। इन बीजों को रोटी या सब्जी में डालकर भी खा सकते हैं और आटे में भी पिसवा सकते हैं। शुगर और हाई बीपी के रोगी भी ले सकते हैं।
पांच ग्राम अर्जुन छाल का पाउडर 400 मिलीग्राम पानी में उबालें। एक चौथाई रह जाने पर उतार लें। इसे खाली पेट गुनगुना कर पिएं।
मेदोहर वटी व त्रिफला गुगलु वटी की दो - दो गोलियां दिन में दो बार खाने से पहले गुनगुने पानी से लें।
25 से 50 ग्राम लौकी का जूस निकालें। इसमें तुलसी और पुदीने की सात - सात पत्तियां मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं।
एक चौथाई चम्मच त्रिकटु के चूर्ण ( सौंठ , मरीच व पीपल का चूर्ण ) में एक छोटी चम्मच दालचीनी मिलाकर एक कप पानी में 10 मिनट के लिए भिगो दें। स्वाद के लिए शहद मिला सकते हैं। इसे पीने से कफ दूर होता है और कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है।
एक कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह लें। इसमें कुछ बूंदें नीबू के रस की भी डाल सकते हैं।
आधे चम्मच नीबू के रस में आधा चम्मच कुतरा हुआ अदरक और एक कली लहसुन की मिलाकर हर खाने से पहले लें।
रात को सोते वक्त एक गिलास दूध में इसबगोल की भूसी डालकर लें।
2 से 5 ग्राम सूरजमुखी के बीज पानी से लें।
श्यामा तुलसी के 15-20 पत्तों का रस ( रस निकालने के लिए इसमें कुछ बूंद पानी डालें ) सुबह खाली पेट लें। याद रहे तुलसी के पत्तों को चबाना नहीं है , क्योंकि इससे दांत खराब हो जाते हैं।
मेथी के बीज ( जिन्हें मेथरे भी कहा जाता है ) अंकुरित करके 5 ग्राम रोजाना सुबह नाश्ते के समय लें।
नीम के 10 पत्तों को एक कप पानी में भिगो दें। इन्हें मिक्सी में पीसकर करके छान लें और रोजाना किसी भी समय पिएं। खून साफ करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। इसमें मीठा मिलाने की बजाय कड़वा ही पिएं।
सुबह खाली पेट एक छोटा चम्मच ऑलिव ऑयल या जैतून का तेल पिएं। चाहें तो चार - पांच बूंदों से भी काम चला सकते हैं।
दिल की आर्टरीज जितनी लचीली रहेंगी , उनमें रुकावट या ब्लॉकेज उतना कम रहेगा। इसके लिए आंवला रसायन ( यह रस से अलग होता है ) का आधा छोटा चम्मच सुबह - शाम पानी से लेने से तीन महीने के अंदर पूरे शरीर की आर्टरीज लचीली हो जाती हैं और कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रण में आ जाता है।
पेट के लीवर वाले हिस्से पर मिट्टी की गीली पट्टी लगाने से खून साफ हो जाता है और कॉलेस्ट्रॉल कम होता है। इसके लिए दो मुट्ठी कंकड़ रहित साफ मिट्टी का पेस्ट बना लें। पेट पर 15 मिनट रोजाना लेप करें। ऐसा दो महीने तक करें। बढ़ा कॉलेस्ट्रॉल ठीक हो जाएगा। - कश्मीरी फल बही का मुरब्बा खाएं। फल को ऐसे भी खा सकते हैं। जिन्हें कॉलेस्ट्रॉल के साथ शुगर की भी समस्या है , वे अपने डॉक्टर से पूछकर ही इसे लें। यह हर पंसारी के यहां मिलता है।
एलडीएल ( लोडेंसिटी लाइपो प्रोटीन ) : इसे बैड कॉलेस्ट्रॉल कहते हैं। यह दिल की आर्टरीज में ब्लॉकेज या रुकावट पैदा करता है। दिल की तमाम बीमारियों का कारण होता है। घी , तेल और मक्खन लेने से यह बढ़ता है।
एचडीएल ( हाईडेंसिटी लाइपो प्रोटीन ) : इसे गुड कॉलेस्ट्रॉल कहते हैं। यह बेड कॉलेस्ट्रॉल को हटाता है , सेहत को सुधारता है और उम्र बढ़ाने में मददगार है। शरीर को एचडीएल ज्यादा चाहिए और एलडीएल कम। एलडीएल चोर है और एचडीएल पुलिस। पुलिस ज्यादा होनी चाहिए और चोर कम , नहीं तो शरीर को नुकसान हो सकता है। बादाम का सेवन व एक्सरसाइज करने से एचडीएल बढ़ता है। ऐसा भी देखा गया है कि देगी मिर्च और कम मात्रा में अल्कोहल लेने से भी एचडीएल बढ़ता है।
वीएलडीएल ( वेरी लो डेंसिटी लाइपो प्रोटीन ) : इसे वेरी बैड कॉलेस्ट्रॉल कहते हैं। इसके अलावा , ट्राइग्लिसराइड व टोटल कॉलेस्ट्रॉल भी होते है। ट्राइग्लिसराइड वीएलडीएल से निकलता है। ट्राइग्लिसराइड एक हजार एमजी से ऊपर होने पर ही नुकसान करता है। यह चीनी , चावल और मैदा लेने से बढ़ जाता है।
कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने की वजहें
*खाने - पीने में बदपरहेजी। कई बार शरीर में खुद ही ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल पैदा करने की टेंडेंसी होती है।
*शुगर या डायबीटीज हो , थायरॉयड ग्लैंड्स कम काम करें , हाइपरटेंशन या हाई बीपी हो तो भी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है।
*शराब - सिगरेट का सेवन करने वाले और ओवरवेट लोगों में कॉलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है।
*कुछ दवाओं की वजह से भी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ता है। ये हैं : नॉन सिलेक्टिव बीटा ब्लॉकर दवाएं और हॉर्मोंस की दवाएं।
जो लोग एक्सरसाइज कम करते हैं और जिनके परिवार में कॉलेस्ट्रॉल की हिस्ट्री रही हो , उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
लक्षण
*चलने पर सांस फूलने लगती है।
*बीपी हाई रहने लगता है।
*ऐसे लोगों का खून गाढ़ा होता है और उन्हें अक्सर शुगर और दिल की बीमारियां हो जाती हैं।
हो सकते हैं ये रोग
*हार्ट अटैक , लकवा , नपुंसकता और चलने पर पैरों में दर्द।
बचाव के तरीके
दवाएं
*ऐलोपैथी
ऐलोपैथिक दवाओं में कॉलेस्ट्रॉल का परमानेंट इलाज नहीं है। जिनके परिवार में कॉलेस्ट्रॉल की हिस्ट्री है , ऐसे लोग दवाइयों से इसे सिर्फ नियंत्रण में रख सकते हैं , ठीक नहीं कर सकते। जिन लोगों का कॉलेस्ट्रॉल खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से बढ़ा है , उनमें कॉलेस्ट्रॉल की समस्या लाइफस्टाइल में सुधार करने से ठीक हो जाती है।
होम्योपैथी
होम्योपैथी की भाषा में हाई कॉलेस्ट्रॉल को हाइपरलीपिडिमिया कहते हैं। खानपान व जीवनचर्या को ठीक करने के साथ - साथ इस पर नियंत्रण के लिए ये दवाएं इस्तेमाल की जा सकती हैं : -
आयुर्वेद
आयुर्वेदिक दवाओं में आरोग्यवर्द्धिनी वटी , पुनर्नवा मंडूर , त्रिफला , चन्द्रप्रभा वटी और अर्जुन की छाल के चूर्ण का काढ़ा। कुछ आयुर्वेदिक दवा कंपनियां इस चूर्ण को अर्जुन टी के नाम से बेच भी रही हैं।
देसी तरीके
आधा चम्मच अलसी के बीज या फ्लैक्स सीड्स पीसकर पानी से खाली पेट लें। यह ट्राइग्लिसराइड कॉलेस्ट्रॉल वालों के लिए खासतौर से फायदेमंद है। इन बीजों को रोटी या सब्जी में डालकर भी खा सकते हैं और आटे में भी पिसवा सकते हैं। शुगर और हाई बीपी के रोगी भी ले सकते हैं।
पांच ग्राम अर्जुन छाल का पाउडर 400 मिलीग्राम पानी में उबालें। एक चौथाई रह जाने पर उतार लें। इसे खाली पेट गुनगुना कर पिएं।
मेदोहर वटी व त्रिफला गुगलु वटी की दो - दो गोलियां दिन में दो बार खाने से पहले गुनगुने पानी से लें।
25 से 50 ग्राम लौकी का जूस निकालें। इसमें तुलसी और पुदीने की सात - सात पत्तियां मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं।
एक चौथाई चम्मच त्रिकटु के चूर्ण ( सौंठ , मरीच व पीपल का चूर्ण ) में एक छोटी चम्मच दालचीनी मिलाकर एक कप पानी में 10 मिनट के लिए भिगो दें। स्वाद के लिए शहद मिला सकते हैं। इसे पीने से कफ दूर होता है और कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है।
एक कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह लें। इसमें कुछ बूंदें नीबू के रस की भी डाल सकते हैं।
आधे चम्मच नीबू के रस में आधा चम्मच कुतरा हुआ अदरक और एक कली लहसुन की मिलाकर हर खाने से पहले लें।
रात को सोते वक्त एक गिलास दूध में इसबगोल की भूसी डालकर लें।
2 से 5 ग्राम सूरजमुखी के बीज पानी से लें।
श्यामा तुलसी के 15-20 पत्तों का रस ( रस निकालने के लिए इसमें कुछ बूंद पानी डालें ) सुबह खाली पेट लें। याद रहे तुलसी के पत्तों को चबाना नहीं है , क्योंकि इससे दांत खराब हो जाते हैं।
मेथी के बीज ( जिन्हें मेथरे भी कहा जाता है ) अंकुरित करके 5 ग्राम रोजाना सुबह नाश्ते के समय लें।
नीम के 10 पत्तों को एक कप पानी में भिगो दें। इन्हें मिक्सी में पीसकर करके छान लें और रोजाना किसी भी समय पिएं। खून साफ करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। इसमें मीठा मिलाने की बजाय कड़वा ही पिएं।
सुबह खाली पेट एक छोटा चम्मच ऑलिव ऑयल या जैतून का तेल पिएं। चाहें तो चार - पांच बूंदों से भी काम चला सकते हैं।
दिल की आर्टरीज जितनी लचीली रहेंगी , उनमें रुकावट या ब्लॉकेज उतना कम रहेगा। इसके लिए आंवला रसायन ( यह रस से अलग होता है ) का आधा छोटा चम्मच सुबह - शाम पानी से लेने से तीन महीने के अंदर पूरे शरीर की आर्टरीज लचीली हो जाती हैं और कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रण में आ जाता है।
पेट के लीवर वाले हिस्से पर मिट्टी की गीली पट्टी लगाने से खून साफ हो जाता है और कॉलेस्ट्रॉल कम होता है। इसके लिए दो मुट्ठी कंकड़ रहित साफ मिट्टी का पेस्ट बना लें। पेट पर 15 मिनट रोजाना लेप करें। ऐसा दो महीने तक करें। बढ़ा कॉलेस्ट्रॉल ठीक हो जाएगा। - कश्मीरी फल बही का मुरब्बा खाएं। फल को ऐसे भी खा सकते हैं। जिन्हें कॉलेस्ट्रॉल के साथ शुगर की भी समस्या है , वे अपने डॉक्टर से पूछकर ही इसे लें। यह हर पंसारी के यहां मिलता है।
योग और प्राणायाम
योग के मुताबिक अगर कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में लाना है , तो पाचन क्रिया को सुधारना बेहद जरूरी है। अगर पाचन बढ़िया होगा तो बढ़े हुए कॉलेस्ट्रॉल का यूज पाचन क्रिया में हो जाएगा।
लघु शंख प्रक्षालन षट्कर्म करना चाहिए। यह शरीर को साफ करने की प्रक्रिया है , जिसे किसी एक्सपर्ट से सीखकर ही किया जाना चाहिए।
आसनों में सुप्तवज्रासन , पश्चिमोत्तानासन , अर्द्धमत्स्येंद्रासन , मेरुदंडासन और अर्द्धपद्मपद्मोत्तासन अगर 15 दिन तक कर लिए जाएं , तो कॉलेस्ट्रॉल आसानी से नियंत्रण में आ जाता है।
योग के मुताबिक अगर कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में लाना है , तो पाचन क्रिया को सुधारना बेहद जरूरी है। अगर पाचन बढ़िया होगा तो बढ़े हुए कॉलेस्ट्रॉल का यूज पाचन क्रिया में हो जाएगा।
लघु शंख प्रक्षालन षट्कर्म करना चाहिए। यह शरीर को साफ करने की प्रक्रिया है , जिसे किसी एक्सपर्ट से सीखकर ही किया जाना चाहिए।
आसनों में सुप्तवज्रासन , पश्चिमोत्तानासन , अर्द्धमत्स्येंद्रासन , मेरुदंडासन और अर्द्धपद्मपद्मोत्तासन अगर 15 दिन तक कर लिए जाएं , तो कॉलेस्ट्रॉल आसानी से नियंत्रण में आ जाता है।
2 comments:
योग से कोलस्टरोल पर नियंत्रण हेतु खाना खाने.के 80 मिन्ट बाद गुनगचना पानी पिये
योग से कोलस्टरोल पर नियंत्रण हेतु खाना खाने.के 80 मिन्ट बाद गुनगचना पानी पिये
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