अज्ञान का ही दूसरा नाम भय है !
ह्रदय में ज्ञान का उदय होते ही जीव अभय हो जाता है !
भय तब तक जीव को लगता है,
जब तक जीव में श्रद्धा, विश्वास, या आस्था परिपक्व नही होती है !
भय में जीव प्रभु से विमुख होता है !
जितना अधिक भय है, उतना ही जीव अविद्या में है !
प्रभु की प्रेम रूपी ज्योति आते ही, भय रूपी अन्धकार भाग जाता है !
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