अपने धर्म की रक्षा के लिए हँसते-हँसते अपनी जान कुर्बान कर देने वाले
वीर-सपूतों में भाई मति दास जी छिब्बर का नाम बड़े आदर से लिया जाता है.
कहते है जब जब धर्म की हानि होती है,अत्याचार पूर्ण दुनिया शतशः रूप
धारण करती हुई दिख पड़ती है,मानव समाज समय-समय पर ध्वस्त होने के कारण उसे
एक नयी दिशा की जरुरत होती है तब धर्म की रक्षा के लिए महापुरुष अवतरित
होते है. भाई मति दास जी ऐसे ही महापुरुषों में से एक थे।
13 जनवरी (लोहड़ी के पावन दिन) भल्ला करियाला,तहसील चकवाल में कबूलदास
जी के घर जन्म लेने वाले इस बालक ने कुर्बानी की ऐसी दास्ताँ लिख दी कि
जिससे कि मोहयाल बिरादरी का सिर हमेशा गर्व से ऊंचा रहेगा। वैसे भी कहा
जाता है कि जिस समाज में बलिदानी पुरुष पैदा होते हैं वो समाज व हर
क्षेत्र में अगरनी रहती है। भाई मति दास जी को गिरफ्तार कर के जब दिल्ली
लाया गया तो उनके समक्ष दो प्रस्ताव रखे गए- पहला, अपने धर्म को छोड़ कर
इस्लाम कबूल ले तथा वैभव पूर्ण जीवन व्यतीत करे. दूसरा, यातना पूर्वक
मृत्यु के लिए तैयार हो जाए.भाई मति दास जी ने विधर्म न कबूलते हुए हँसते
हँसते मृत्यु को स्वीकारा।
इस महापुरुष का जन्मोत्सव पिछले तीन वर्षों से मनाने के लिए तथा विचार घोष्टी के आयोजन के लिए सहारनपुर के श्री रवि बक्शी जी(पत्रकार)कोटि-कोटि धन्यवाद व बधाई के हकदार हैं।
नरिंदर छिब्बर
पानीपत
2 comments:
Happy LOHRI to everybody from Lambra ( Jalandhar )
Babbu Lambra
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