बुद्धि के दो विभाग किया गए है !एक है अनुभूति और दूसरा है स्मृति ! पहले अनुभव करना और फ़िर उसकी याद करना ! प्रत्येक अनुभव को मन चुरा लेता है, और उसे चुरा कर काल के गर्त में डाल देता है ! जिसको मन नही चुरा पाता, वह है स्मृति !हम पूर्व जन्म में मनुष्य, पक्षी, या पशु क्या थे, मन पर माया का पर्दा पद जाता है ! सब विस्मृत हो जाता है ! मन बहुत बड़ा चोर है ! सबसे पहले ये हमारी विवेक को हर लेता है ! जिससे स्मृति पर पर्दा पड़ जाता है ! स्मृति पर पर्दा पड़ते ही बुद्वि भी नष्ट हो जाती है ! बुद्वि नष्ट होते ही ज्ञान भी नष्ट हो जाता है ! फ़िर जीव के पास काम क्रोध लोभ आदि सब आ जाते है क्योंकि बुद्वि नष्ट हो चुकी है ! बुद्वि ही इन सब को नियंत्रण रखती है ! इस बुद्वि का शोधन एक मात्र सत्संग से ही सम्भव है !
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