Sunday, January 17, 2010
बाबा लाल जी : मोहयालों के गुरु देव
शक्ति के प्रतीक-श्री बाबा लाल दयाल जी
श्री रामानंद संप्रदाय ने अपने भूतकाल में बड़े बड़े सिद्धों को जन्म व आश्रय दिया है . महातापोनिष्ठ एवं शक्ति के प्रतीक के रूप में सतगुरु श्री बाबा लाल जी ऐसे हुए हैं , जिनकी छाप अनंत काल तक रहेगी. शाहजहाँ के बड़े बेटे दाराशिकोह ने अपने ग्रन्थ 'हस्नत-उल-आरिफिन' मेंलिखा हैं बाबा लाल एक आरुथ योगी हैं। उनके समान प्रभाव शाली व उच्च कोटि का संत-महात्मा हिन्दुओ में मैंने नहीं देखा है। मैंने स्वयं घंटों उनसे अनेक विषयों परचर्चा की है. उनसे वार्तालाप के बाद ही मुझे यह अनुभव हुआ.
श्री ध्यानपुर,बटाला,पंजाब जहाँ बाबा लाल जी की गद्दी है , एक ग्रन्थ इस बारे में इतिहास के साक्षी के रूप में में रखा हुआ है .
माघ शुक्ल पक्ष की द्वितीय को माँ कृष्णा देवी एवं पिता भोलानाथ जी के घर ग्राम कसूर(लाहौर) में पैदा हुए बाबा लाल जी इस धरती पर संवत 1412 से 1712 तक रहे,जिससे इनकी आयु 300 वर्ष रही। आठ वर्ष की आयु में ही इन्होनें शास्त्रों का अध्ययन कर लिया था तथा दस वर्ष की आयु तक इनको वैराग्य हो गया था. इनको गुरु के रूप में उस समय के महान संत चैतन्य स्वामी जी मिले. कहा जाता है कि स्वामी को बाबा जी को देख कर कई वर्ष पूर्व समाधि में लीन होते वक्त की याद आ गयी कि आज एक महान आत्मा लाहौर के पास अवतरित हो रही है और तुम्हे ही उन्हें दिक्षा देनी होगी . बाबा लाल जी ने देश विदेशों में घूम कर जहाँ वैष्णव धर्म का प्रचार किया, वहीं सहारनपुर के जंगलों में लगभग सौ वर्षों तक रह कर इस धरती को अपने तप से पवित्र किया। प्रतिदिन योग विद्या के माध्यम से सुबह चार बजे हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए जाते थे. यहाँ पर बादशाह खिजर खान ने अनेक प्रकार से आपकी परीक्षा लेने के बाद स्वयं अपने मंत्रियो के साथ aआपके श्री चरणों में प्रस्तुत हुआ। उसने उनकी कुटिया के पास सौ बीगा जमीन दान में दे दी। आजकल यह स्थान बाबा लाल दास बाड़ा के नाम से जाना जाता है. शाही कागज़ात में आज भी यह दस्तावेज रिकॉर्ड है. सतगुरु का नियम था कि प्रतिदिन भिक्षा मांग कर ही अन्न का सेवन करना. पंजाब में किरण नदी के किनारे कलानोर के पास उन्होंने डेरा जमाया लिया. यहाँ से कुछ दूर महाभारत काल के राजा पुरु के किले में उस समय अराजकता थी। कहा जाता था कि वहाँ भूत प्रेतों का निवास था। बाबा जी ने अपने शिष्यों के साथ इस जगह को अपनी तपोस्थली बनाया. बाबा लाल जी ने अपने बाईस प्रमुख चेलो के साथ काबुल,गजनी,पेशावर,कंधार के आलावा पूरे भारत वर्ष में लोगों का मार्गदर्शन किया . आज पूरे भारत वर्ष के प्रत्येक शहर कसबे में बाबा लाल जी के मंदिर है जहाँ लाखो करोड़ों श्रद्धालु उनको नमन करते हैं. एक विशेष बात यह है कि अधिकाँश मोहयाल परिवार बाबा लाल जी को अपना गुरु मानते हैं. हरिद्वार,मथुरा में विशाल बाबा लाल आश्रम की स्थापना की गई है जहाँ पर ठहरने का हर तरह का प्रबंध है. अनेक इतिहासकारों तथा विद्वानों ने बाबा लाल जी पर शोध के बाद अनेक पुस्तकें लिखी है ।
*नरिंदर मेहता
पानीपत
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4 comments:
आज बावा लाल जी के प्रकाश उत्सव की वधाईयां |
आज बावा लाल जी के प्रकाश उत्सव की वधाईयां |
Jai bawa lal ji
Jai Bawa Lal Ji ("रामपुर धाम" वो पवित्र भूमि है
जहाँ श्री बावा लाल जी ने
तपस्या की और पंच भौतिक शरीर का त्याग किया और ब्रह्मलीन हुए)
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