Monday, June 22, 2009

स्टडी -रूम इस तरह रखें

बच्चों का कमरा पश्चिम , उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। बच्चों के कमरे की आंतरिक सुसज्जा

नके कमरे की मात्र रौनक ही नहीं, बल्कि पूरे घर की शक्ति और उमंग का स्रोत है। बच्चों के बिना घर सुनसान हो जाता है। बच्चे घर का माहौल उल्लासमय बनाए रखते हैं। इसलिए उनके कमरे को वास्तु के अनुसार बनायें। इससे प्रेम और उल्लास का वातावरण बनेगा ।
बच्चों के कमरे का प्रवेश द्वार उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। खिड़की अथवा रोशनदान पूर्व में रखना उत्तम है।
पढ़ने की टेबल का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पुस्तकें ईशान कोण में रखें । बच्चों का मुँह पढ़ते समय उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए।
एक छोटा सा पूजा स्थल अथवा मंदिर बच्चों के कमरे की ईशान दिशा में बनाना उत्तम है। इस स्थान में विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाना शुभ है।
कमरा सदैव स्वच्छ रहना चाहिए। वहां पर किसी भी प्रकार का व्यर्थ का सामान --- कूड़ा -कचरा आदि नहीं होना चाहिए। अलमारी , कपबोर्ड , पढ़ने का डेस्क और बुक शेल्फ व्यवस्थित ढंग से रखा जाना चाहिए। सोने का बिस्तर नैऋत्य कोण में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में हो, तो बेहतर है। परंतु, बच्चे अपना सिर पूर्व दिशा में भी रख कर सो सकते हैं।
कमरे के मध्य में भारी सामान न रखें। कमरे में हरे रंग के हल्के शेड्स करवाना उत्तम है। इससे बच्चों में बुद्धिमता की वृद्धि होती है।
कमरे के मध्य का स्थान बच्चों के खेलने के लिए खाली रखें। बच्चों के कमरे का द्वार कभी भी सीढ़ियों अथवा शौचालय से सटा न हो, अन्यथा ऐसे परिवार के बच्चे मां-बाप के नियमानुसार अनुसरण नहीं करेंगे। कमरे के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की ओर भी विशेष ध्यान दें ।*

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