Tuesday, January 20, 2009

समीक्षा -' लडकियां छूना चाहती हैं आसमान ' /*समीक्षक-रश्मि प्रभा

अशोक लव जी एक बहुआयामी प्रतिभा के विशिष्ट लेखक हैं-उनके विषय में लिखना,मुझे गौरवान्वित तो कर रहा है,पर एक-एक शब्द सूर्य के निकट दीये की मानिंद ही प्रतीत होंगे ।
अशोक लव जी से मेरे परिचय का माध्यम उनका ब्लॉग बना - "लडकियां छूना चाहती हैं आसमान" विषय ने मुझे आकर्षित किया। लड़कियों के प्रति आम मानसिकता हमसे छुपी नहीं है.....उससे अलग उनकी ख्वाहिशों को किसने परिलक्षित किया , यह जानने को मेरे कदम उधर बढे,
'बेटियाँ होती ठंडी हवाएं
तपते ह्रदय को शीतल करनेवाली,
बेटियाँ होती हैं सदाबहार फूल ,
खिली रहती हैं जीवन भर .....'
मैं मुग्ध भाव लिए पढ़ती गई और अपने विचार भी प्रेषित किए, मेरी खुशी और बढ़ी,जब मैंने उन्हें ऑरकुट पर भी
पाया और विस्तृत रूप से उनकी उपलब्धियों के निकट आई।
इनको पढ़ते हुए लगा , समाज की संकीर्ण मानसिकता के आगे लड़कियों की महत्वकांक्षा को इन्होने बखूबी परिलक्षित किया है;
' लडकियां
अपने रक्त से लिख रही हैं
नए गीत
वे पसीने की स्याही में डुबाकर देह
रच रही हैं
नए ग्रन्थ !'
लड़कियों की खुद्दारी को परिभाषित करती हैं,वरना पूर्व समाज का ढांचा था,
'पुत्रियाँ होती हैं जिम्मेदारियाँ
जितनी जल्दी निपट जाए जिम्मेदारियाँ
अच्छा रहता है..........'
दर्द का एक आवेग उभरता है इन पंक्तियों में -
'पिता निहारते हैं उंगलियाँ
जिन्हें पकड़कर सिखाया था
बेटियों को टेढ़े - मेढ़े पाँव रखकर चलना...........
कितनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं बेटियाँ '
कविताओं की यात्रा के दौरान मुझे लगा कि आए दिन की घटनाओं से इनकी निजी ज़िन्दगी भी प्रभावित होगी, यानी किसी बेटी कि ज़िन्दगी का कोई पक्ष और अपने विचारों कि रास थामकर मैंने पूछ ही लिया........मुझे बहुत खुशी हुई ,जब मैंने जाना कि इनको तीन तीन पुत्रियाँ (ऋचा,पल्लवी,और पारुल),इनके विचारों का उज्जवल प्रवाह हैं, काव्य का स्तम्भ हैं ।
इनकी सूक्ष्म विवेचना इनके सूक्ष्म संवेदनशील मन को दर्शाता है,जो समाज के घृणित घेरे से निकलकर लड़कियों के आसमानी ख्यालों को,उनकी ऊँची उड़ान को शब्दों की बानगी देता है।
अशोक जी ने स्त्री के हर रूप को सामाजिक कैनवास पर उतारा है और विभिन्न विशिष्ट रंगों से संवारा है - माँ के रूप को चित्रित करते हुए कहा है;
'माँ !
उर्जावान प्रकाशमय सूर्य-सी
रखती आलोकित दुर्गम पथ
करती संचरित हृदयों में
लक्ष्यों तक पहुँचने की ऊर्जा !'
एक युवती,एक बहन,एक पत्नी को शब्दों की अद्भुत बानगी दी है।
भ्रूण ह्त्या के ख़िलाफ़ भी एक लडकी को दृढ़ता दी है -
' माँ !
तुम स्वयं को भूल गई,
तुम भी बालिका थी,
पर नहीं की थी
तुम्हारी माँ ने तुम्हारी ह्त्या
दिया था तुम्हे जन्म
दिया था तुम्हे ज़िंदा रहने का,
जीने का अधिकार !'
इसी समाज का कवि भी है,पर अपनी कलम को तलवार बनाकर पुरुषों की मानसिकता पर हर तरह से वार किया है,जो वन्दनीये है। मन के हर भावों को प्रस्तुत करते हुए , अपनी लम्बी यात्रा के हर अनुभव को सार्थक बनाया है। सत्य का पुट हर कविता में है , जिसने स्त्री के हर दर्द और निश्चय को चित्रमान कर दिया है । दुःस्वप्न और वर्तमान के अंतःकरण में खुले आकाश को विस्तार दिया है। सृजन के क्षणों में अचेतन का दर्द अधिक मुखर है,हर कविता जीवंत लगती है;
'बेटियाँ होती हैं मरहम
गहरे-से-गहरे घाव को भर देती हैं
संजीवनी स्पर्श से ...........
लडकी के कोमल स्वरुप को दर्शाती है !.....................मातृत्व को कवि ने 'कविता' का दर्जा दिया है,
'माँ की देह से सर्जित देहें
उसकी कवितायें हैं
बहुत अच्छी लगती हैं माँ को
अपनी कवितायें !'
संघर्ष का ताना-बाना रचते हुए कवि ने नारी की जिजीविषा को एक सांकेतिक स्वरुप में पिरोया है;
'तपती है मोम
आग बन जाती है
चिपककर झुलसा देती है !
........
समयानुसार जीवन को मोम बनना पड़ता है.....'
शुरू से अंत तक प्रवाह बना रहता है, कवितायें दिल को छूती हैं.....हर सन्दर्भ में कवि की चेतना जागृत है। संकलन की बहुत सारी रचनाओं में प्राणों की आहत वेदना झलकती है ।
रचनाओं के बीच से गुजरते हुए मुझे हर पल एहसास हुआ कि कवि ने सामाजिक विषमता को नज़दीक से महसूस किया है,एक अनुभवी दस्तावेज़ की तरह उनकी भावनाएं पुस्तक को एक नया आयाम देती है।
इनदिनों अपने समय का आइना बनकर लड़कियों कि छवि को दर्शानेवाला धारावाहिक 'बालिका वधू'लड़कियोंकी स्थिति को उजागर करता है । एक १३,१४ साल की लडकी , एक ३५ वर्ष का पुरूष ..............ऐसी बंदिशों से बाहर निकलकर लड़कियों ने अपनी मर्यादा की नई तस्वीर बनाई है , जिसे लव जी ने अपने काव्य में ढाला है ।
इस काव्य के उज्जवल पक्ष को यदि पुरूष समाज पढ़े और लड़कियों के आसमान को मुक्त करे तो बात बन सकती है। युगों से दबाकर रखी गई प्रकृति की सबसे मजबूत शक्सियत को आगे लेकर जाने में अगर पुरूष पाठक सहयात्री की भूमिका निभा सकें तो अपने पूर्वजों की उन गलतियों का प्रायश्चित कर सकेंगे , जो लड़कियों के साथ की गई। कवि के इस संग्रह का सार यही है।
भाषा की सरलता का ध्यान कवि ने पूरी तरह से रखा है ताकि एक आम परिवेश तक इसमें छुपा संदेश पहुँच सके। *
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
*पुस्तक - लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान *कवि- अशोक लव *प्रकाशन वर्ष-२००८, प्रकाशक-सुकीर्ति प्रकाशन,कैथल *मूल्य-१०० रु.*कवि सम्पर्क- फ्लैट-३६३,सूर्य अपार्टमेन्ट ,सेक्टर-६,द्वारका,नई दिल्ली-११००७५ (मो) 9971010063

3 comments:

Anonymous said...

I am proud of you respected Ashok Lav jee.We Mohyals have very few poets. You made us proud.
I am thankful to RASHMI PRABHA , she has reviewed 'Ladkiyan Chhoona Chahti Hain Asman'so nicely.I am simply a poetry lover but Rashmi Prabha wrote from her heart.Thanks to her.I think she also write poems!
How I can get this book?

Anonymous said...

kavita ke prashansak kavi kee tarh mahan hote hain.Rashmi Prabha ne kavitaon ko hamare samne rakha hi hai kavi se bhee mila diya hai.

Anonymous said...

Get amazing web traffic using superb xrumer service available. We are able post your marketing message up to 10K forums worldwide, get thousands of backlinks and great online web traffic in shortest time. Most affordable and most powerful service for web traffic and backlinks in the world!!!!
Price just from $29 your post will be published up to 100000 forums worldwide your website will get insatnt traffic and massive increase in rankings just after few days or weeks. Order now:
[url=http://xrumerservice.org]xrumer[/url]