1. सबसे पहले अपने आप से प्रश्न पूछें , हमने दूसरों के लिए क्या किया ? हमारी आत्मा हमारा सत्य हमारे सामने रख देगी।
2. अपने और अपने परिवार के लिए सब जीते हैं । जो दूसरों के लिए जीता है , वही महान होता है।
3. ये मंदिर , मस्जिद, गुरूद्वारे, आश्रम, सामाजिक -कल्याण केंद्र , पुस्तकालय , वृद्ध-आश्रम , विधवा-आश्रम , विकलांग-सहयोग केंद्र, विद्यार्थी- अनुदान-कोष आदि यूँ ही नहीं बन गए। इनका निर्माण करने / कराने वालों ने अनथक प्रयास किए। अपने दिन-रात लगाए, श्रम किया, परिश्रम किया, योजनाएँ बनाईं । उन्हें साकार रूप देने के लिए वर्षों लगा दिए।
4. इन कार्यों ने उन्हें संतोष प्रदान किया कि उन्होंने वर्तमान समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ किया है । उन्हें लगा उनका जन्म लेना सार्थक हुआ।
5. कुछ लोगों ने समाज के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने उन पर भाँति-भाँति के आरोप लगाए जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर दिया था।
6. जाकी रही भावना जैसी हरि मूरत देखी तिन तैसी।
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