Jay Mohyal
Tuesday, March 22, 2011
अपनी ठकुरानी श्री राधिका रानी
नैना
मिला
कर
मनमोहन
सों
,
वृषभानु
लली
मन
में
मुस्कानी
भौं
मरोर
के
दूसरी
और
,
कछु
वह
घूँघट
में
शर्मानी
देख
निहाल
भई
सजनी
,
वह
सुरतिया
मन
माहि
समानी
हमहे
औरन
की
प्रवाह
नहीं
,
अपनी
ठकुरानी
श्री
राधिका
रानी
।।
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