इन दिनों लता मंगेशकर भक्ति-रस में डूबी हुई हैं। इस बार उन्होंने हनुमान चालीसा को अपनी आवाज दी है। उन्होंने बताया, हनुमान जी को ब्रह्मचारी कहा गया है। मैंने सुना था कि भगवद्गीता और हनुमान चालीसा महिलाओं को नहीं गाना चाहिए। फिर मालूम हुआ कि ऐसा नहीं है।भगवद्गीता मैं गा चुकी हूं और अब बारी थी हनुमान चालीसा की। इसकी रिकॉडिंग के वक्त बहुत अच्छी अनुभूति हुई। हालांकि हनुमान चालीसा की भाषा मुझे थोड़ी कम समझ में आती है। एक बार पढ़ने के बाद पता चलता है कि उसमें प्रयोग किए गए शब्दों का क्या अर्थ है? हनुमान चालीसा पर जो गाने बनाए गए हैं, वे बहुत अच्छे बने हैं। कितना अच्छा मैंने गाया है, यह श्रोता बताएंगे। वैसे, रिकॉर्डिग के पहले मैंने हरिओम शरण और हरिहरन की हनुमान चालीसा की सीडी सुनी थी।
भजन गाने से आत्मिक शांति मिलती है, ऐसा लता जी भी मानती हैं। वे कहती हैं, भजन गाने की बात ही अलग है। उसका मूड अलग होता है। भजन गाने से आनंद और शांति मिलती है। मैंने इससे पहले भी कई भजन गाए हैं। मीरा सूर कबीरा, मराठी में तुकाराम और भीमसेन जोशी के साथ राम श्याम गुणगान गाया है। चाला वही देस मेरा प्रिय भजन है। अक्सर विषम परिस्थितियों में होने पर ही ईश्वर की याद इंसान को आती है, लेकिन कृष्ण भक्त लता जी ऐसा नहीं मानती। वे कहती हैं, हम तो हर वक्त ईश्वर को याद करते हैं। उसके लिए जरूरी नहीं कि जब हम भयभीत हों, तभी अपने ईष्ट देव को याद करें। कुछ अच्छा होता है, तब भी उन्हें याद करते हैं और कुछ परेशानी होती है, तब भी वे याद आते हैं। मैं कृष्ण भक्त हूं। इन दिनों साई बाबा में भी मेरी भक्ति बढ़ गई है। देश की वर्तमान स्थिति से लता जी आहत हैं। वे कहती हैं, आजकल कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। कौन-सी अच्छी बात आप सुनते हैं? हर तरफ भय ही भय है। आपके लिए कभी भी कुछ भी बुरा हो सकता है। ऐसे वक्त पर इंसान भगवान को ही याद करता है। इस समय हनुमान जी की भूमिका बहुत बड़ी है। इस युग में भी वे यदि हमारी रक्षा करें, तो उनकी बड़ी कृपा होगी। हिंदी फिल्म संगीत की वर्तमान स्थिति से भी लता मंगेशकर खुश नहीं हैं। वे कहती हैं, आजकल म्यूजिक अच्छा नहीं आ रहा है। हम लोग ऐसा बोलते हैं, तो कहा जाता है कि अरे, ये पुराने लोग हैं, इसलिए ऐसा बोलते हैं। अगर सच में देखा जाए, तो आज भी एचएमवी जब हमारे पुराने रिकॉर्ड को फिर से रिलीज करती है, तो वे आजकल के हिंदी फिल्मों के म्यूजिक से ज्यादा चलते हैं। उन गानों में कुछ बात होती थी। बोल अच्छे होते थे। धुन अच्छी होती थी। मेलोडियस म्यूजिक होता था। वैसे क्या किया जा सकता है? जब इंसान ही नहीं रहता, तो चीजों का बदलना लाजमी होगा ही। यह पूछने पर कि वे नए दौर के गायक-गायिकाओं के बारे में क्या कहेंगी? वे कहती हैं, मैं उन्हें क्या कह सकती हूं? वे अच्छा गा रहे हैं, ऐसे ही गाते रहें।
हर भारतीय लता जी के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करता है कि उनकी कर्णप्रिय आवाज के रूप में भारत को ऐसी धरोहर मिली है, जो अमूल्य है, अतुलनीय है। प्रशंसक और संगीत-प्रेमियों के लिए लता जी आने वाले दिनों में भी अपनी आवाज से जादू बिखेरती रहेंगी। वे बताती हैं, भक्ति-रस के गानों के साथ कुछ फिल्मों के गाने भी गा रही हूं।मधुर भंडारकर की फिल्म जेल में भी मेरे गाये गीत हैं।
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