अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम।
अमृतं राहवे मृत्यु विषं शंकर आभूषणम । । २८२। ।
--भले व्यक्ति के लिए अयोग्य वस्तु भी आभूषण बन जाती है। दुष्ट व्यक्ति के लिए योग्य वस्तु भी दूषित हो जाती है। अमृत ने देवताओं को अजर-अमर कर दिया। वही अमृत राहु के लिए घातक बन गया। भगवान शंकर के लिए विष भी आभूषण बन गया। - चाणक्य
*पुस्तक- चाणक्य नीति
संपादक-अशोक लव
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