Tuesday, September 28, 2010
NRI Can Purchase Property in India easily now
Monday, September 27, 2010
मोहयाल सभा खन्ना (पंजाब) द्वारा सम्मान / पुलकित वैद
बाएँ से : श्रीमती सुनीता मेहता , श्री पुष्प बाली, श्री राजेश्वर दत्ता चौधरी, श्री ओ पी मोहन, श्री अशोक लव, श्री विनोद दत्त, श्री राजीव मेहता, श्री के जी मोहन, श्री पवन बाली, श्री योगेश मेहता, श्री गौरव मोहन, श्री रघुनन्दन दत्ता शेरू।
मोहयाल सभा कनाडा के सचिव श्री गौरव मोहन परिवार सहित जी एम एस के सचिव श्री अशोक लव के साथ।
जी एम एस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री ओ पी मोहन के साथ श्री गौतम मोहन और गौरव मोहन
श्री अशोक लव , श्री राजेश्वर चौधरी और श्री गौरव मोहन
मोहयाल सभा अम्बाला
मोहयाल सभा जालंधर
मोहयाल सभा अमृतसर
मोहयाल सभा खन्ना ने भव्य सम्मान-समारोह में जनरल मोहयाल सभा के प्रबंधक-समिति के नव-निर्वाचित सदस्यों को सम्मानित किया। सम्मान-समारोह की अध्यक्षता श्री विनोद दत्त ने की और मोहयाल रत्न रायजादा बीडी बाली मुख्य-अतिथि थे। पंजाब के पूर्व राज्यपाल ले जन बी के एन छिब्बर तथा डॉ ए सी वैद विशिष्ट अतिथि थे। इस अवसर परजी एम एस के पदाधिकारी --श्री बी डी बाली (अध्यक्ष ),मेहता ओ पी मोहन (वरिष्ठ उपाध्यक्ष) , श्रीजी एल दत्ता जोश (उपाध्यक्ष ),श्री डी वी मोहन (महासचिव ), श्री अशोक लव (सचिव), श्री योगेश मेहता (युवा-सांस्कृतिक -सचिव),श्री पुष्प बाली (जन सम्पर्क-सचिव),श्रीमती सुनीता मेहता ( स्त्री विंग -सचिव),श्री अशवनीबक्शी (युवा-सांस्कृतिक -सहसचिव ),श्री के जी मोहन ( वित्त-सहसचिव) को सर्वप्रथम सम्मानित किया गया। इसके पश्चात् प्रबंधक-समिति के सदस्यों को सम्मानित किया गया।
सबसे पहले श्री अशोक लव ने अपने भाषण में पूरी मोहयाल बिरादरी का धन्यवाद किया और कहा कि यह विजय रायजादा बी डी बाली के कार्यों और कुशल नेतृत्व की विजय है। उन्होंने कहा कि इन चुनावों में हमें भारी समर्थन मिला है , इससे हमारे उत्तरदायित्व और बढ़ गएहैं।श्री ऋत मोहन , श्री पुष्प बाली और श्री जी एल दत्ता जोश ने भी संबोधित किया।
रायजादा बी डी बाली ने कहा कि हम उन तत्वों को कभी भी इसका मौक़ा नहीं देंगें कि वे जी एम एस को बिखेर सकें और आज तक किए कार्यों पर पानी फेर सकें। ले जन बी के एन छिब्बर ने रायजादा बी डी बाली और जी एम एस के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। मोहयाल सभा खन्ना के अध्यक्ष श्रीविनोद दत्त ने विस्तार से सभा के कार्यों के विषय में बताया। श्री राजीव मेहता (सचिव ) ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसअवसर पर कनाडा, अम्बाला,जालंधर, अमृतसर, यमुना नगर,जगाधरी वर्कशाप,कुरुक्षेत्र, लुधियाना, पानीपत ,होश्यारपुर आदि कीमोहयाल सभाओं के पदाधिकारियों और सदस्य भारी संख्या में उपस्थित थे।
Friday, September 24, 2010
श्राद्ध ज़रूर कराएँ :पितरों को भेंट करें
भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है।इस पक्ष में मृत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष को पितरों की मरण-तिथि को ही उनका श्राद्ध किया जाताहै। सर्वपितृ अमावस्या को कुल के उन लोगों का श्राद्ध किया जाता हैं जिन्हें नहीं जानते हैं। पितृ पक्ष में तीन पीढ़ियोंतक के पिता पक्ष के तथा तीन पीढ़ियों तक के माता पक्ष के पूर्वजों के लिए तर्पण किया जाता है। इन्हीं को पितरकहते हैं। दिव्य पितृ तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण और दिव्य मनुष्य तर्पण के पश्चात ही स्वयं पितृ तर्पण कियाजाता है।
श्राद्ध में खीर-पूरी का महत्व
भाद्रपद की पूर्णिमा एवं अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष का मानाजाता है। इस वर्ष श्राद्ध पर्व 7 अक्टूबर को समाप्त हो जाएँगे। इस दौरान मृत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। जिसतिथि को किसी पूर्वज का देहांत होता है उसी तिथि को उनका श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध के दौरान पंडितों कोखीर-पूरी खिलाने का महत्व होता है। माना जाता है कि इससे स्वर्गीय पूर्वजों की आत्मा तृप्त होती है।
पुरखों को भोजन कौन कराएगा?
कौओं का इस समय जिक्र करने की जरूरत सिर्फ इस लिए आन पड़ी क्योंकि पितृ पक्ष दरवाजे पर दस्तक दे रहाहै। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार पखवाड़े में कौओं को कागौर दिया जाता है। जिससे पुरखों की आत्मा कोतृप्ति मिलती है। कथानक है कि पितृ पक्ष में पुरखों की आत्माएँ परलोक से इहलोक में घूमने निकलती हैं औरअपनी क्षुधा वे कौओं के माध्यम से स्वजनों द्वारा दिए गए कागौर को ग्रहण कर शांत करतीं हैं।
श्राद्ध पक्ष में घर के कर्म
महालय श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त घर में क्या कर्म करना चाहिए। यह जिज्ञासा सहजतावश अनेक व्यक्तियों मेंरहती है। यदि हम किसी भी तीर्थ स्थान, किसी भी पवित्र नदी, किसी भी पवित्र संगम पर नहीं जा पा रहे हैं तोनिम्नांकित सरल एवं संक्षिप्त कर्म घर पर ही अवश्य कर लें.
श्राद्ध कर्म क्या है?
श्रद्धावंत होकर अधोगति से मुक्ति प्राप्ति हेतु किया गया धार्मिक कृत्य- 'श्राद्ध' कहलाता है। भारतीय ऋषियों नेदिव्यानुसंधान करके उस अति अविशिष्ट काल खंड को भी खोज निकाला है जो इस कर्म हेतु विशिष्ट फलदायक है।इसे श्राद्ध पर्व कहते हैं। यह पक्ष आश्विन कृष्ण पक्ष अर्थात् प्रतिपदा से अमावस्या तक का 15 दिवसीय पक्ष है। इसपक्ष में पूर्णिमा को जोड़ लेने से यह 16 दिवसीय महालय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। श्राद्धविधि में मंत्रों का बड़ा महत्व है।
श्राद्ध में आपके द्वारा दी गई वस्तुएँ कितनी भी मूल्यवान क्यों न हों, लेकिन आपके द्वारा यदि मंत्रों का उच्चारण ठीक न हो तो कार्य अस्त-व्यस्त हो जाता है। मंत्रोच्चारण शुद्ध होना चाहिए और जिनके निमित्त श्राद्ध करते हों उनके नाम का उच्चारण शुद्ध करना चाहिए। श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराते समय 'रक्षक मंत्र' का पाठ करके भूमि पर तिल बिखेर दें तथा अपने पितृरूप में उन द्विजश्रेष्ठों का ही चिंतन करें। 'रक्षक मंत्र' इस प्रकार हैः
यज्ञेश्वरो यज्ञसमस्तनेता भोक्ताऽव्ययात्मा हरिरीश्वरोऽस्तु ।
तत्संनिधानादपयान्तु सद्यो रक्षांस्यशेषाण्यसुराश्च सर्वे ।।
'यहाँ संपूर्ण हव्य-फल के भोक्ता यज्ञेश्वर भगवान श्रीहरि विराजमान हैं। अतः उनकी सन्निधि के कारण समस्त राक्षस और असुरगण यहाँ से तुरन्त भाग जाएँ।'-(वराह पुराणः 14.32)
ब्राह्मणों को भोजन के समय यह भावना करें किः
'इन ब्राह्मणों के शरीरों में स्थित मेरे पिता, पितामह और प्रपितामह आदि आज भोजन से तृप्त हो जाएँ।' जैसे, यहाँ के भेजे हुए रुपये लंदन में पाउण्ड, अमेरिका में डालर एवं जापान में येन बन जाते हैं ऐसे ही पितरों के प्रति किये गये श्राद्ध का अन्न, श्राद्धकर्म का फल हमारे पितर जहाँ हैं, जैसे हैं, उनके अनुरूप उनको मिल जाता है। किन्तु इसमें जिनके लिए श्राद्ध किया जा रहा हो, उनके नाम, उनके पिता के नाम एवं गोत्र के नाम का स्पष्ट उच्चारण होना चाहिए। विष्णु पुराण में आता हैः
श्रद्धासमन्वितैर्दत्तं पितृभ्यो नामगोत्रतः।
यदाहारास्तु ते जातास्तदाहारत्वमेति तत्।।
'श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं वैसा ही होकर उन्हें मिलता है'।
23 सितंबर से 7 अक्तूबर 2010 तक श्राद्ध
पंद्रह दिन बाधित रहेंगे शुभ व मांगलिक कार्य, एकादशी व द्वादशी का श्राद्ध एक साथ
श्राद्धपक्ष गुरुवार से शुरू हो जाएंगे। इस बार एकादशी व द्वादशी का श्राद्ध एक ही दिन मनाया जाएगा। इस तरह श्राद्धपक्ष पंद्रह दिन तक रहेगा। इस दौरान शास्त्रानुसार शुभ व मांगलिक कार्य बाधित रहेंगे। 23 सितंबर को श्राद्ध शुरू होकर 7 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्धपक्ष संपूर्ण होगा। श्राद्ध के समयमांगलिक कार्य बाधित रहेंगे। पितरों के श्राद्ध की तिथि में पांच जगह पत्तल निकालकर गाय, कौआ, कीड़ी, मकौड़ीव अतिथि के निमित्त रखें। यदि यह संभव न हो, तो गाय को खिलाने से श्राद्ध हो जाता है।
तिथि के अनुसार होने वाले श्राद्ध
23 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध 24 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध 25 सितंबर- द्वितिया का श्राद्ध 26 सितंबर-तृतीया का श्राद्ध 27 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध 28 सितंबर- पंचमी व भरणी का श्राद्ध 29 सितंबर- छठ का श्राद्धव कृत्तिका श्राद्ध 30 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध 1 अक्टूबर- अष्टमी का श्राद्ध 2 अक्टूबर- नवमी व सौभाज्यवतिस्त्रियों का श्राद्ध 3 अक्टूबर- दशमी का श्राद्ध 4 अक्टूबर- एकादशी का श्राद्ध और द्वादशी व सन्यासियों का श्राद्ध5 अक्टूबर- त्रयोदशी का श्राद्ध 6 अक्टूबर- चतुदर्शी व विष,शस्त्र,दुर्घटना, आत्महत्या आदि से जुड़े लोगों का श्राद्ध
7 अक्टूबर- सर्वपितृ श्राद्ध (अमावस्या का श्राद्ध)।
Sounds of temple bell
—Basho
वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरिंदर मेहता (छिब्बर) सम्मानित
पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र ,शील्ड , 21000 रुपये कीराशी व शाल भेट किया गया | इस अवसर पर ट्रिब्यून ग्रुपके प्रधान संपादक श्री राज चेंगप्पा , सुचना एवं जन संपर्कविभाग की मुख्य संसदीय सचिव कुमारी शारदा राठोर के अलावा अनेक वरिष्ठ आई० ए०एस० आफिसर्स वविधायक उपस्थित थे l उलेखनीय है कि श्री सुरेंदर मेहता भाई राम प्रकाश छिब्बर व श्रीमती शीला रानी छिब्बर केसुपुत्र है तथा मोहयाल सभा पानीपत के सचिव श्री नरिंदर
छिब्बर व साया चैनल के प्रतिनिधि श्री देवेंदर छिब्बर के भाई हैं और स्वर्गीय मेजर टी०आर० लव जी के दामाद हैं | वे पिछले लगबघ 20 वर्षों से दैनिक ट्रिब्यून के जिला प्रमुख हैं |
*नरिंदर छिब्बर,पानीपत
Thursday, September 23, 2010
नानक नाम चढ़दी कला / अनन्या मेहता
धन नानक
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
अरजोई निराधार,
हे दाता,
पहली उपमा तेरी दाता,
दूजी तेरी खुदाई।
तीजी तेरी ओट आसरा,
चौथी रहनुमाई।
पंच घरों सो तेरा मान,
पंचम सांझ जगाई।
मैं नीच तेरे दास को दासा,
धन नानक सब तेरी वडियाई।
नानक जोत निरंजन बण आई
प्रभ दर्शन अगम रूप कहाई
चड़विन्दा दास तिसकी शरणाई
तन, मन, धन सब भेंट चढ़ाई।
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
पूर्ण ईश्वर स्वरूप होते हुए भी सहज अवतार महाराज दर्शन दास जी ने अपने रूहानी रूप पर पर्दा डालते हुए अपनेआपको 'नीच' 'दासों का दास' ही कहा और 'धन नानक सब तेरी वडियाई' तक अरजोई रची लेकिन उनके परमसेवक व दास धर्म की दूसरी पातशाही महाराज चड़विन्दादास जी ने उनके प्रकाशमय रूहानी रूप को दर्शाते वाणी मेंफर्माया तथा अरजोई को आगे बढ़ाया :-
नानक जोत निरंजन बण आई
प्रभ दर्शन अगम रूप कहाई
चड़विन्दादास तिसकी शरणाई
तन, मन, धन सब भेंट चढ़ाई।"
Sunday, September 19, 2010
मृत्युंजय मंदिर :बारह ज्योतिर्लिंगों का उद्गम स्थल
देवभूमि हिमालय की पावन कोख में भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग जागेश्वर में स्थित है. जागेश्वर का प्राचीन मृत्युंजय मंदिर धरती पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों का उद्गम स्थल है. इसके पौराणिक, ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक प्रमाण प्रचुर मात्रा में मिलते हैं. यहां का प्राकृतिक वैभव हर पर्यटक-तीर्थयात्री को मंत्रमुग्ध कर लेता है. देवाधिदेव महादेव यहां आज भी वृक्ष के रूप में मां पार्वती सहित विराजते हैं. इस मान्यता के चलते हज़ारों श्रद्धालु यहां हर वर्ष खिंचे चले आते हैं. भगवान शिव-पार्वती के युगल रूप के दर्शन यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित नीचे से एक और ऊपर से दो शाखाओं वाले विशाल देवदारू के वृक्ष में करते हैं, जो 62.80 मीटर लंबा और 8.10 मीटर व्यास का है, जिसे अति प्राचीन बताया जाता है.
भगवान शिव ही एकमात्र देवता हैं, जिन्होंने सदैव मृत्यु पर विजय पाई. मृत्यु ने कभी भी शिव को पराजित नहीं किया. इसी कारण उन्हें मृत्युंजय के नाम से पुकारा गया. जागेश्वर धाम के मंदिर समूह में सबसे विशाल एवं सुंदर मंदिर महामृत्युंजय महादेव जी के नाम से विख्यात है, जिसमें पूजन आदि का कार्य उच्चकुल भट्ट ब्राह्मण सृष्टि दत्त का परिवार करता है.
भारत की सनातन संस्कृति में त्रय देवों में भगवान शिव को महादेव के नाम से पुकारा जाता है. श्वेताश्वर उपनिषद में शिव को उनके विशिष्ट गुणों के कारण महादेव कहा गया है. हमारे वेदों में केवल प्रकृति तत्व जो जीवन के मूल तत्व हैं, जैसे अग्नि, जल और वायु में ही देवत्व की प्रतिष्ठा की गई है, वहां भी शिव को रुद्र नाम से प्रतिस्थापित किया गया है. वैदिक काल से पूर्व भी शिव का अस्तित्व रुद्र रूप से था. शिव कालातीत देवता हैं. वह सदैव लोक मंगल के लिए गतिशील देवता के रूप में जाने जाते हैं. वह किसी विशेष समय किसी विशेष प्रयोजन के लिए अवतार नहीं धारण करते. वह अनादि-अनंत हैं. इसी कारण उनके सगुण और निर्गुण दोनों पक्ष विद्यमान हैं. हिमालय पर्वत श्रंखला में कुमाऊं क्षेत्र अपने नैसर्गिक सौंदर्य के कारण विश्व में प्रसिद्ध है. इस क्षेत्र के अल्मोड़ा नगर से पूर्वोत्तर दिशा में पिथौरागढ़ मार्ग पर 36 किमी की दूरी पर देवताओं का महानगर जागेश्वर स्थित है. इस स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई 1870 मीटर है. देवदारू के घने वृक्षों से घिरी यह घाटी एक मनोहारी तीर्थस्थल है. जागेश्वर में 124 मंदिरों का एक समूह है, जो अति प्राचीन है. इसके चार-पांच मंदिरों में आज भी नित्य पूजा-अर्चना होती है. यहां स्थित शिवलिंग भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात है. बारह ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं: प्रथम श्री सोमनाथ, जो सौराष्ट्र के कइयावाड़ में स्थित है. दूसरा श्री शैल पर्वत, जो तमिलनाडु के कृष्णा ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर श्री मल्लिकार्जुन के नाम से कैलाश पर्वत पर स्थित है. तीसरा मध्य प्रदेश के उज्जयिनी में श्री महाकाल के नाम से विख्यात है. चौथा ओंकारेश्वर अथवा ममलेश्वर के नाम से जाना जाता है. पांचवा हैदराबाद के परली में वैद्यनाथ के नाम से विख्यात है. छठवां पुणे से उत्तर भीमा नदी के तट पर डाकिनी नामक स्थान पर श्री भीम शंकर के नाम से स्थित है. इसी प्रकार तमिलनाडु के रामनद ज़िले में सेतुबंध श्री रामेश्वरम् के नाम से सातवां ज्योतिर्लिंग है. आठवां दारुकावन अल्मोड़ा से 35 किमी की दूरी पर योगेश्वर अथवा जागेश्वर के नाम से स्थित है. नौंवे ज्योतिर्लिंग के रूप में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बाबा विश्वनाथ की पूजा की जाती है. गोदावरी के तट पर नासिक-पंचवटी के निकट स्थित श्री त्रयंबकेश्वर को दसवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है. वहीं देवभूमि हिमालय के केदारखंड में स्थित श्री केदारनाथ ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग के रूप में विख्यात हैं. जागेश्वर में इन मंदिर समूहों का निर्माण किसने कराया, इस सवाल का जवाब खोजने पर भी नहीं मिलता, किंतु इन मंदिरों का जीर्णोद्धार राजा शालिवाहन ने अपने शासनकाल में कराया था. पौराणिक काल में भारत में कौशल, मिथिला, पांचाल, मस्त्य, मगध, अंग एवं बंग नामक अनेक राज्यों का उल्लेख मिलता है. कुमाऊं कौशल राज्य का एक भाग था. माधवसेन नामक सेनवंशी राजा देवों के शासनकाल में जागेश्वर आया था. चंद्र राजाओं की जागेश्वर के प्रति अटल श्रद्धा थी. देवचंद्र से लेकर बाजबहादुर चंद्र तक ने जागेश्वर की पूजा-अर्चना की. बौद्ध काल में भगवान बद्री नारायण की मूर्ति गोरी कुंड और जागेश्वर की देव मूर्तियां ब्रह्मकुंड में कुछ दिनों पड़ी रहीं. जगतगुरु आदि शंकराचार्य ने इन मूर्तियों की पुनर्स्थापना की. स्थानीय विश्वास के आधार पर इस मंदिर के शिवलिंग को नागेश लिंग घोषित किया गया.
कहते हैं, दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस करने के बाद सती के आत्मदाह से दु:खी भगवान शिव ने यज्ञ की भस्म लपेट कर दायक वन के घने जंगलों में दीर्घकाल तक तप किया. इन्हीं जंगलों में वशिष्ठ आदि सप्त ॠषि अपनी पत्नियों सहित कुटिया बनाकर तप करते थे. शिव जी कभी दिगंबर अवस्था में नाचने लगते थे. एक दिन इन ॠषियों की पत्नियां जंगल में कंदमूल, फल एवं लकड़ी आदि के लिए गईं तो उनकी दृष्टि दिगंबर शिव पर पड़ गई. सुगठित स्वस्थ पुरुष शिव को देखकर वे अपनी सुध-बुध खोने लगीं. अरुंधती ने सब को सचेत किया, किंतु इस अवस्था में किसी को अपने ऊपर काबू नहीं रहा. शिव भी अपनी धुन में रमे थे, उन्होंने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. ॠषि पत्नियां कामांध होकर मूर्छित हो गईं. वे रात भर अपनी कुटियों में वापस नहीं आईं तो प्रात: ॠषिगण उन्हें ढूंढने निकले. जब उन्होंने यह देखा कि शिव समाधि में लीन हैं और उनकी पत्नियां अस्त-व्यस्त मूर्छित पड़ी हैं तो उन्होंने व्याभिचार किए जाने की आशंका से शिव को शाप दे डाला और कहा कि तुमने हमारी पत्नियों के साथ व्याभिचार किया है, अत: तुम्हारा लिंग तुरंत तुम्हारे शरीर से अलग होकर गिर जाए. शिव ने नेत्र खोला और कहा कि आप लोगों ने मुझे संदेहजनक परिस्थितियों में देखकर अज्ञान के कारण ऐसा किया है, इसलिए मैं इस शाप का विरोध नहीं करूंगा. मेरा लिंग स्वत: गिरकर इस स्थान पर स्थापित हो जाएगा. तुम सप्त ॠषि भी आकाश में तारों के साथ अनंत काल तक लटके रहोगे. लिंग के शिव से अलग होते ही संसार में त्राहि-त्राहि मच गई. ब्रह्मा जी ने संसार को इस प्रकोप से बचाने के लिए ॠषियों को मां पार्वती की उपासना का सुझाव देते हुए कहा कि शिव के इस तेज को पार्वती ही धारण कर सकती हैं. ॠषियों ने पार्वती जी की उपासना की. पार्वती ने योनि रूप में प्रगट होकर शिवलिंग को धारण किया. इस शिवलिंग को योगेश्वर शिवलिंग के नाम से पुकारा गया.
भगवान शिव ही एकमात्र देवता हैं, जिन्होंने सदैव मृत्यु पर विजय पाई. मृत्यु ने कभी भी शिव को पराजित नहीं किया. इसी कारण उन्हें मृत्युंजय के नाम से पुकारा गया. जागेश्वर धाम के मंदिर समूह में सबसे विशाल एवं सुंदर मंदिर महामृत्युंजय महादेव जी के नाम से विख्यात है, जिसमें पूजन आदि का कार्य उच्चकुल भट्ट ब्राह्मण सृष्टि दत्त का परिवार करता है. परिसर में वृद्ध जागेश्वर महादेव, पुष्टि भगवती मां, ऐरावत गुफा एवं होम कुंड आदि दर्शनीय स्थल भी हैं.
Saturday, September 18, 2010
CBSE circular for Class X students : CONFUSION
Friday, September 17, 2010
GMS :OFFICE BEARERS AND MC MEMBERS
STANDING-SHRI ASHWANI BAKSHI (JOINT SECY-YOUTH &CULTURE),SHRI YOGESH MEHTA( SECY-YOUTH &CULTURE),SHRI PUSHP BALI(SECY-PUBLIC RELATIONS),SHRI SK CHHIBBER(SECY-FINANCE),SHRI KG MOHAN(JOINT SECY FINANCE),SHRI DV MOHAN(SECY GEN),SHRI VINOD MEHTA(SECY-PR)
GMS :NEW MANAGING COMMITTEE MEMBERS
Increase Your Brainpower : Very Easy
31. Adjust your beliefs. Believe you are smarter, and you'll become smarter. For this, affirmations may work, but even better is evidence. Make a note of your successes. Tell yourself, "Hey, that was really creative," when you do something creative. When you have a good idea, make a note of it. Gather the evidence for your own intelligence and you'll start to experience more of it.32. Brain exercises. Do math in your mind while driving. Think of a new use for everything you see. Regular use of the brain has been shown to generate new neuronal growth, and even halt the decline of mental function that often comes with age.33. Learn new things.34. Walk. Exercise has been shown to benefit the brain, and walking is one of the best exercises for many. It is low impact, and the rhythmic nature of it seems to put you in a state that is very conducive to clear thinking. In fact, carry a tape recorder with you to take notes, and a twenty minute walk can be a great way to solve problems.35. Model others. Find others that are creative, intelligent, or very productive. Do what they do, and think what they think. This is a key principle of neuro-linguistic programming. Be careful about taking their advice, though. Successful people often don't really understand why they are successful. Do what they do, not what they say.36. Eat fish. Eating fish actually speeds up brain waves, and improves concentration. Researchers have also found an almost perfect correlation between intake of fish and lowered levels of depression in the various countries of the world. The U.S. has 24 times the incidence of depression as Japan, for example, where fish intake is much higher. This is another way to exercise the brain. It can also be done with little time investment if you use books-on-tapes while driving.
37. Avoid unnecessary arguments. When you defend a position too vigorously, especially when it is just to "win" the argument, you invest our ego into it. This is not conducive to the easy acceptance and use of new information. In other words, you put your mind in a rut, and you dig it deeper with each argument. Debate can be a valuable thing, but when the ego takes over, the mind closes a little. This is not a recipe for better thinking.38. Laugh. The release of endorphins caused by laughter lowers stress levels, which is good for long term brain health. Laughter also tends to leave you more open to new ideas and thoughts.39. Play. Stimulating the brain causes measurable changes in the structure of the brain. New connections are made and new brain cells are grown. Intellectual play, as well as any playing that involves hand-eye coordination stimulates the brain.40. Do puzzles. Crossword puzzles, lateral thinking puzzles, and even good riddles are a great way to get brain exercise. You can work on them while waiting for a dentist appointment, or on the bus, if you are short on time. 41. Sing. When you are alone in your car, try singing about something you are working on. This taps into and exercises your right brain. Have you ever noticed how it is easier to rhyme when you sing than when you just speak or write? This is because the right brain is better at pattern recognition. By doing this brain exercise regularly you can train yourself to tap into the power of the right brain. This will make you a more effective problem-solver. If you doubt the distinction between the hemispheres of the brain, look at how stutterers can stop stuttering as soon as they start singing. Try it.42. Nuts. University students in Brazil and other South American countries often eat several Brazil nuts before an exam, believing they are good for their mental power. The evidence is starting to confirm this. Other nuts that have minerals and amino acids that are beneficial to the brain include almonds and walnuts.43. Olive oil. High in mono-unsaturated fat, olive oil has been shown to improve memory. A cheaper alternative is canola oil, but this hasn't been studied much yet.44. Vitamin supplements. In studies, children scored higher on tests when on a regimen of daily vitamin supplements. "Experts" will tell you that if you eat a balanced diet, you don't need supplements, which, given the culture here, is really just a sales pitch for vitamins, isn't it? Who eats a perfectly balanced diet?45. Fiber. It isn't just what goes in, but what comes out that is important to brain function. Toxic build-up in the body and brain can cause "brain fog." People often report clearer thinking as one of the benefits of curing their constipation.46. Self awareness. This may not seem important to brain power, but it is. When you know yourself better, you can avoid the usual effects of ego and emotion in your seemingly "rational" thinking. Or you can at least take it into account. Watch yourself, especially as you explain things or argue.47. Motivate yourself. Motivation is as important to mental tasks as it is to any other. Learn a few simple techniques for self motivation48. Avoid too much stress.49. Get educated.50. Avoid too much fat. In laboratory studies, animals consistently learn slower when they are on a diet high in fat. Type of fat may make a difference, so you may want to stick to using olive oil and other non-saturated fats. Saturated fats have been shown to actually stunt the growth of brain cells.51. Eat less.52. Avoid suspect foods. There is evidence that the following foods can be bad for your brain: Artificial food colorings, artificial sweeteners, colas, corn syrup, frostings, high-sugar drinks, hydrogenated fats, sugars, white bread, and any white-flour products.53. Eat breakfast. When kids who didn't eat breakfast started to eat it, researchers found that their math scores went up a whole grade on average.54. Avoid diabetes. The development of diabetes coincides with a dropping of IQ scores. In other words, if you want to maintain your brain power, follow your doctors dietary recommendations for preventing or treating diabetes.55. Eat foods high in antioxidants. Antioxidants protect all your cells, including brain cells. Some of the foods highest in antioxidants include: prunes, raisins, blueberries, blackberries, garlic, kale, cranberries, strawberries, spinach, and raspberries. In one test, rats had age-related mental decline reversed by eating the equivalent of a 1/2 cup of blueberries per day.56. Drink wine. In moderation, red wine can be good for the brain, it seems. It is rich in antioxidants, which protect brain cells. One glass per day for women and two for men is usually considered a safe and moderate amount.57. Use alcohol in moderation. In a study at the University of Indiana School of Medicine, elderly light drinkers (fewer than 4 drinks per week) scored higher on tests of thinking abilities than non-drinkers. Those who drank 10 or more drinks per week scored lower. It is known that alcohol can kill brain cells, so moderation seems to be the key.58. Folic acid. According to one study, 200 micrograms of folic acid, the amount found in 3/4 cup of cooked spinach, alleviates depression and reverses memory loss.59. Potential brain foods. Other foods that may be good for your brain include: Avocados, bananas, lean beef, brewer's yeast. broccoli, brown rice, brussel sprouts, cantaloupe, cheese, chicken, collard greens, eggs, flaxseed oil, legumes, oatmeal, oranges, peanut butter, peas, potatoes, romaine lettuce, salmon, soybeans, spinach, tuna, turkey, wheat germ, and yogurt.60. Vitamin E. Jean Carper, in researching her book, "Your Miracle Brain," found that many brain researchers are taking 400 I.U.s of vitamin E daily. It is an antioxidant, and reduces the clogging of blood vessels, including those going in the brain.61. Vitamin C. Taken in the form of orange juice in a study at the Texas Women's University, vitamin C increased the IQ scores of children.62. Selenium. 100 micrograms of selenium has been shown to be a mood-elevator. Your brain almost certainly functions better when you are in a better mood. Foods rich in selenium include Brazil nuts and garlic.63. Alpha-lipoic acid. Alpha-lipoic acid (10 to 50 milligrams daily) improves memory and protects nerve cells. 64. Inositol. This is a safe and natural substance that is often grouped with the B-vitamins. It reduces stress and promotes clear thinking. It contributes to energy production, and so can "wake you up." Animal studies show a measurable increase in physical activity for up to five hours after taking it.65. Huperzine A. This is a compound extracted from the Chinese club moss. Researchers both in Israel and the U.S. have used it to treat alzheimer's. It improves memory and learning an seems to be very safe.66. Ask questions. This is a great way to keep your brain in shape. Just get in the habit of asking questions often, even if it is only in your own mind. Why are taller buildings better? what is the purpose of curbs? Ask anything that comes to mind, and ponder the possible answers.67. Sniff basil. This another of the herbs that may be good for your brain. No studies yet, but many report a brain boost from smelling basil.68. Temperature. Many people have noted that they think better at certain temperatures. In general, it seems that being slightly cool, but not uncomfortable, is most conducive to good thinking. Try experimenting on yourself to see what temperature works best for you69. Use systems. From the time I was ten years old, 12 x 49 was always (12 x 50) - 12। It's easier to figure in your head this way (588, by the way). I didn't get any credit for my personal algorithms then, but they are selling these shortcuts on late-night TV now, because they work. You can find your own easier ways to do mental math or other mental tasks, or read a good book on the70.Make a brainpower plan. It takes about twenty to thirty days of repetition to establish new habits, many psychologists will tell you. This means that when you create your plan for better brainpower, be sure you plan to use that new problem solving technique, or eat those new brain foods for at least three weeks. You can use many of the brain boosters here and get immediate results, but it is creating new habits that will give you the most brainpower. Neuropsychiastrist Richard Restak, M.D., form the George Washington University School of Medicine and Health Services, sums up the research thus: "Stress causes brain damage." Long term stress has repeated been shown to hurt the brain, not to mention the rest of the body. Learn a few stress reduction techniques if you get stressed out often. Scientists have known for a while that the less educated get alzheimer's more frequently. Education in any area seems to make the brain stronger. Overeating has the immediate effect of redirecting more blood to the digestive process, leaving less for the brain. Long term, it can cause arterial obstructions that reduce blood flow to the brain permanently. In at least one study, rats on a restricted-calorie diet had more brainpower.