Saturday, March 14, 2009

' माटी कुदम करेंदी यार ' --बुल्ले शाह *



माटी कुदम करेंदी यार
वाह- वाह माटी दी गुलज़ार

माटी घोड़ा , माटी जोड़ा
माटी दा असवार

माटी माटी नूँ दौडावे
माटी दा खड़कार

माटी माटी नूँ मारण लग्गी
माटी दे हथियार

जिस माटी पर बहुती माटी
सो माटी हंकार

माटी बाग - बगीचा माटी
माटी दी गुलज़ार

माटी माटी नूँ वेखन आई
माटी दी बहार

हस खेड फिर माटी होवे
सौंदी पाऊं पसार
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* यार मिट्टी अजब खेल करती है
प्रस्तुति - सुभाष दत्ता (नई दिल्ली )

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