रस नागर श्याम रची होरी |
श्यामा रूप बने मनमोहन श्याम स्वरुप बनी गोरी ||
मन मोहन सिरलसत चन्द्रिका मुकुट विराजत सिर गोरी |
रमक झमक सब सखी सहेली आय मिली निज निज ओरी ||
अबीर गुलाल कुमकुम केसर मार मची रस रंग बोरी |
ढफही बजावति गावत चाचर उमड़ी चली श्री बन खोरी ||
मुदरा सखी युगल छबि निरखत, बार बार लखि त्रण तोरी ||
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