Thursday, February 26, 2009

मैगी ठीक से पकाएँ ,खतरे से बचें / प्रस्तुति- मंजु दत्ता

For all who love eating Maggi
'CORRECT WAY OF COOKING NOODLES'
The correct way to cook instant noodles without harming our bodies and health. `Normally, how we cook the instant noodles is to put the noodles
into a pot with water, throw in the powder and let it cook for around 3 minutes and then it's ready to eat.
This is the WRONG method of cooking the instant noodles.
By doing this, when we actually boil the ingredients in the powder, normally with MSG, it will change the molecular structures of the MSG
causing it to be toxic.
The other thing that you may or may not realize is that, the noodles are coated with wax and it will take around 4 to 5 days for the body to
excrete the wax after you have taken the noodles.

CORRECT METHOD :
1. boil the noodles in a pot with water.
2. once the noodles is cooked, take out the noodles, and throw away the water which contains wax.
3.. boil another pot of water till boiling and put the noodles into the hot boiling water and then shut the fire.
4. only at this stage when the fire is off, and while the water is very hot, put the ingredient with the powder into the water, to make noodle
soup.
5. however, if you need dry noodles, take out the noodles and add the ingredient with the powder and toss it to get dry noodles.
Dietician's Note: If you buy plain hakka noodles which you make initially need to boil in water and discard the water. This will soften
the noodles but to prevent it from sticking we need to add a tbsp of oil and also the noodles are deep fried partially to make it crunchy and
then dusted with flour to prevent it from sticking while boiling. Hence when you buy the noodles they are already made unhealthy and this
is the type we use to make stir fry noodles and the regular maggi too is made the same way plus they add MSG/ ajinomoto and other chemical
preservatives.

A large number of patient with the ages ranging from 18-24 years are ending up with pancreatitis either as a swelling or infection of the
pancreas due to regular consumption of instant noodles..... If the frequency is more than 3 times a week, then it is very hazardous...

Please share this info and help save a life.

Wednesday, February 25, 2009

भगवान शिव के दिव्य अवतरण का पर्व महाशिवरात्रि

भगवान शिव के दिव्य अवतरण का पर्व महाशिवरात्रि

गाजियाबाद। भगवान सदाशिवको अत्यधिक प्रिय शिवरात्रि शिवचिन,उपवास जागरण और शिवभिषेकका विशेष महत्व है। ईशान संहिता में भगवान शंकर देवी पार्वती से कहते हैं, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी शिवरात्रि कहलाती है। जो व्यक्ति उस दिन उपवास करता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है। मैं अभिषेक, वस्त्र, धूप, अर्चन तथा पुष्पादिके समर्पण से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना व्रतोपवाससे होता हूं।
इसी संहिता में कहा गया है कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शंकर करोडों सूर्यो के समान प्रभा वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे। प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि और फाल्गुन मास की इस तिथि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। श्रावण मास पवित्र माना जाता है इसलिए उस मास की कृष्ण चतुर्दशी सामान्य से ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को चन्द्रमा सूर्य के समीप रहता है। उसी समय जीव रूपी चंद्रमा का शिव रूपी सूर्य से सामीप्य होता है। यही महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि शिवजी के दिव्य अवतरण का पर्व है। इस दिन चार प्रहरों में कुल चार बार पूजा का विधान है।
ब्रह्माजी को सृष्टि रचने के बाद जब कुछ अभिमान हो गया तो वह स्वयं को श्रेष्ठ समझते हुए भगवान विष्णु से भिड गए। इस संघर्ष में मध्यस्थता करने के लिए भगवान शंकर वहां अनादि अनंत ज्योतिर्मय स्तंभ अर्थात ज्योतिर्लिगमें में लीन हो गए।
यह शिवलिंगनिष्कल ब्रह्म,निराकरब्रह्मका प्रतीक है। श्री विष्णु और श्रीब्रह्माजीने उस लिंग की पूजा अर्चना की। यह लिंग फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को प्रकट हुआ। तभी से लिंगपूजानिरन्तर चली आ रही है। श्रीविष्णुऔर श्रीब्रह्माजीने कहा, महाराज जब हम दोनों लिंग के आदि-अंत का पता न लगा सके तो मानव आपकी पूजा कैसे करेगा।
इस पर भगवान शिव द्वादशज्योतिर्लिगमें विभक्त हो गए। महाशिवरात्रि का यही रहस्य है। वाराणसी वन में एक भील रहता था। उसका नाम गुरूद्रुहथा। उसका कुटुम्ब बडा था। वह बलवान और क्रूर था। वह प्रतिदिन वन में जाकर मृगों को मारता और नाना प्रकार की चोरियां करता था। शुभकारकमहाशिवरात्रि के दिन उस भील के माता-पिता, पत्नी और बच्चों ने भूख से पीडित होकर भोजन की याचना की। वह तुरंत धनुष लेकर मृगों के शिकार के लिए वन में घूमने लगा। उस दिन उसे कुछ भी शिकार नहीं मिला और सूर्य अस्त हो गया। वह सोचने लगा अब मैं क्या करूं, कहां जाऊं , माता-पिता, पत्नी, बच्चों की क्या दशा होगी। कुछ लेकर ही घर जाना चाहिए। यह सोचकर वह एक जलाशय के समीप पहुंचा कि रात्रि में कोई न कोई जीव यहां पानी पीने अवश्य आएगा। उसी को मारकर घर ले जाऊंगा। वह व्याघकिनारे पर स्थित बिल्ववृक्षपर चढ गया। पीने के लिए कमर में बंधी तूम्बी में जल भरकर बैठ गया। भूख-प्यास से व्याकुल वह शिकार की चिंता में बैठा रहा।
रात्रि के प्रथम प्रहर में एक प्यासी हिरणीवहां आई। उसको देखकर व्याघको अति हर्ष हुआ। उसका वध करने के लिए उसने अपने धनुष पर एक बाण का संघानकिया। ऐसा करते हुए उसके हाथ के धक्के से थोडा सा जल और बिल्वपत्रटूटकर नीचे गिर पडे। उस वृक्ष के नीचे शिवलिंगथा। वह जल और बिल्वपत्रशिवलिंगपर गिर पडा। उस जल और बिल्वपत्रसे प्रथम प्रहर की शिवपूजासम्पन्न हो गई। खडखडाहट की ध्वनि से हिरणीने भय से ऊपर की ओर देखा। व्याघको देखते ही मृत्युभयसे व्याकुल होकर वह बोली, व्याघ,तुम क्या चाहते हो, सच सच बताओ। व्याघने कहा, मेरे कुटुम्ब के लोक भूखे हैं, अत:तुमको मारकर उनकी भूख मिटाऊंगा। मृगी बोली, भील मेरे मांस से तुमको, तुम्हारे कुटुम्ब को सुख होगा। इस अनर्थकारी शरीर के लिए इससे अधिक महान पुण्य का कार्य भला और क्या हो सकता है। परन्तु इस समय मेरे बच्चे आश्रम में मेरी बाट जोह रहे होंगे। मैं उन्हें अपनी बहरअथवा स्वामी को सौंपकर लौट आऊंगी। मृगी के शपथ खाने पर बडी मुश्किल से व्याघने उसे छोड दिया।
द्वितीय प्रहर में उस हिरिणीकी बहन उसी की राह देखती हुई ढूंढती हुई जल पीने वहां आ गई। व्याघने उसे देखकर बाण को तरकश से खींचा। ऐसा करते समय पुन:पहले की भांति शिवलिंगपर जल और बिल्वपत्रगिर गए। इस प्रकार दूसरे प्रहर की पूजा सम्पन्न हो गई।
मृगी ने पूछा, व्याघयह क्या करते हो। व्याघने पूर्ववत उत्तरदिया। मैं अपने भूखे कुटुम्ब को तृप्त करने के लिए तुझे मारूंगा। मृगी ने कहा, मेरे छोटे छोटे बच्चे घर में हैं। अत:मैं उन्हें अपने स्वामी को सौंपकर तुम्हारे पास लौट आऊंगी। मैं वचन देती हूं। व्याघने उसे भी छोड दिया। व्याघका दूसरा प्रहर भी जागते-जागते बीत गया। इतने में ही एक बडा हृष्ट, पुष्ट हिरणमृगी को ढूंढता हुआ आया। व्याघके बाण चढाने पर पुन:कुछ जल व बिल्वपत्रशिवलिंगपर गिरे। अब तीसरे प्रहर की पूजा भी हो गई। मृग ने आवाज से चौंककर व्याघकी ओर देखा और पूछा क्या करते हो। व्याघने कहा, तुम्हारा वध करूंगा। हिरणने कहा कि मेरे बच्चे भूखे हैं। मैं बच्चों को उनकी माता को सौंपकर तथा उनको धैर्य बंधाकर शीघ्र ही यहां लौट आऊंगा। व्याघबोला कि जो जो यहां आए वे सब तुम्हारी ही तरह बातें तथा प्रतिज्ञा कर चले गए परन्तु अभी तक नहीं लौटे। शपथ खाने पर उसने हिरणको भी छोड दिया। मृग-मृगी सब अपने स्थान पर मिले। तीनों प्रतिज्ञाबद्ध थे। अत:तीनों जाने के लिए हठ करने लगे। उन्होंने बच्चों को अपने पडोसियों को सौंप दिया तथा तीनों चल पडे। उन्हें जाते देख बच्चे भी भागकर पीछे-पीछे चल दिए। उन सबको एक साथ आया देख व्याघको अति हर्ष हुआ। उसने तरकश से बाण खींचा जिससे पुन:जल व बिल्वपत्रशिवलिंगपर गिर पडे। इस प्रकार चौथे प्रहर पूजा भी सम्पन्न हो गई।
रात्रिभर शिकार की चिन्ता में व्याघनिर्जल, भोजनरहितजागरण करता रहा। शिवजी का रंचमात्र भी चिन्तन नहीं किया। चारों प्रहर की पूजा अनजाने में स्वत.ही हो गई। उस दिन महाशिवरात्रि थी। जिसके प्रभाव से व्याघके सम्पूर्ण पाप तत्काल भस्म हो गए।
इतने में ही मृग और दोनों मृगियोंबोल उठे, व्याघशिरोमणेशीघ्र कृपाकरहमारे शरीरों को सार्थक करो और अपने कुटुम्ब व बच्चों को तृप्त करो। व्याघको बडा विस्मय हुआ। ये मृग ज्ञानहीनपशु होने पर भी धन्य हैं, परोपकारी हैं और प्रतिज्ञापालकहैं। मैं मनुष्य होकर भी जीवनभरहिंसा, हत्या और पाप कर अपने कुटुम्ब का पालन करता रहा। मैंने जीव हत्या कर उदरपूर्तिकी। अत:मेरे जीवन को धिक्कार है। व्याघने बाण को रोक लिया और कहा, श्रेष्ठ मृगों तुम सब जाओ। तुम्हारा जीवन धन्य है।
व्याघके ऐसा कहने पर तुरंत भगवान् शंकर शिवलिंगसे प्रकट हो गए और उसके शरीर को स्पर्श कर प्रेम से कहा, वर मांगो। मैंने सब कुछ पा लिया। यह कहते हुए व्याघउनके चरणों में गिर पडा। श्री शिवजी ने प्रसन्न होकर उसका गुह नाम रख दिया और वरदान दिया कि भगवान राम एक दिन अवश्य ही तुम्हारे घर पधारेंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे। तुम मोक्ष प्राप्त करोगे। वही व्याघश्रृंगवेरपुरमें निषादराजगुह बना जिसने भगवान राम का आतिथ्य किया। वे सब मृग भगवान शंकर का दर्शन कर मृगयोनिसे मुक्त हो गए। शापमुक्त हो विमान से दिव्य धाम को चले गए।
तबसे अर्बुद पर्वत पर भगवान शिव व्याधेश्वरके नाम से प्रसिद्ध हुए। दर्शन-पूजन करने पर वे तत्काल मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। यह महाशिवरात्रि व्रत व्रतराजके नाम से विख्यात है। यह शिवरात्रि यमराज के शासन को मिटाने वाली है और शिवलोक को देने वाली है। शास्त्रोक्त विधि से जो इसका जागरण सहित उपवास करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटाने वाला दूसरा व्रत नहीं है। इसके करने मात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है।

Friday, February 20, 2009

मोहयाल "मोहन" जठेरों की पूजा हुई



मोहयाल मोहनों के जठेरों की पूजा वसंत-पंचमी के दिन जापुवाल (जिला-गुरदासपुर ) में हुईदेश के कोने-कोने से मोहन जठेरों की पूजा करने के लिए जापुवाल पहुंचेमोहयाली परम्पराओं के अनुसार पूजा-स्थल पर आरती-पूजा की गयीप्रसाद बांटा गयासमाधि-स्थल पर काम होने बाकी हैंश्री राकेश मोहन सुपुत्र श्री बालकिशन मोहन वहीं रहते हैंपूजा के दिन मरम्मत आदि कराने के लिए लगभग २०००० रु इकट्ठे हुएदानी मोहयाल श्री राकेश मोहन से संपर्क करेंउनका मोबाइल नंबर है -09417018346

Wednesday, February 18, 2009

अशोक लव की पुस्तक रिलीज़ हुई


Smt Sheela Dikshit Chief Minister of Delhi ,released Ashok Lav ’s collection of poems ‘Ladkiyaan Choona Chahtee Hain Aasmaan ‘ at her residence on 11th February 2009.The बुकcontains 53 poems.

Ashok lav , a universally acclaimed individual who has been enlightening the Hindi Literature with his responsive poetry, short stories based on sizzling subjects, life histories of prominent personalities and interviews of world renowned Hindi laureates. He is also accredited for his efforts in bringing out numerous school textbooks. The magnitude of his stature in the field of Hindi literature and Education is peerless. He is also associated with a range of social endeavors. He is managing committee member of GMS and Hindi Editor of Mohyal Mitter since 1987.

In spite of, being a man himself, Ashok Lav condemns the male dominant society, which clearly shows that a true poet should think judiciously. Ashok lav has always given priority to moving subjects. In this set also, he did not forget to reveal his love towards the relation of mother and daughter. He believes that mother is a natural writer and she writes true poems in the form of children.He always thinks that daughters are an eternal part of everyone’s life. They tend to give a healing effect to life. According to him, they are refreshingly different

Ashok Lav is a compassionate individual and a glimpse of that can be seen in one of his poem where he is saddened by the fact that girls are expected to leave the parental house after their marriage. This has always disturbed him .

Sheela Dikshit appreciated poems and Ashok Lav's effort for writing about the problems of common man, through his writings.

* Sunil Dutta

Monday, February 16, 2009

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित द्वारा अशोक लव की पुस्तक का लोकार्पण / सुनील दत्ता


(बाएं से) श्री सर्वेश तिवारी ,धनंजय दत्ता ,श्री सुनील दत्ता , श्रीमती नरेश बाला लव ,श्री अशोक लव ,सुश्री पारुल मेहता ,श्री आरिफ जमाल


पारुल मेहता ,श्रीमती शीला दीक्षित, श्रीमती नरेश बाला लव

नरेश बाला लव ,अशोक लव मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित
अशोक लव के साथ कविताओं के विषय में चर्चा करते हुए श्रीमती शीला दीक्षित
'लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' पुस्तक पर हस्ताक्षर करते हुए मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित

लोकार्पण के पश्चात् पुस्तक दिखाते हुए श्रीमती शीला दीक्षित
श्रीमती शीला दीक्षित अपने निवास पर अशोक लव के साथ बातचीत करते हुए
पुस्तक के नाम और आवरण की प्रशंसा करते

अशोक लव के कविता संग्रह ' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' का लोकार्पण करते हुए
दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित
(बाएं से )-पारुल मेहता, नरेश बाला लव, अशोक लव , शीला दीक्षित, सुनील दत्ता, सर्वेश तिवारी







दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने ११ फरवरी २००९ को अशोक लव के काव्य-संग्रह ' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' का लोकार्पण कियाफोटोग्राफ में ( बाएँ से ) पारुल मेहता,श्रीमती नरेश बाला लव ,अशोक लव , श्रीमती शीला दीक्षित , सुनील दत्ता

अमेरिकन बायोग्राफिकल इंस्टी . का सम्मान-पत्र

हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार अशोक लव की साहित्यिक और सामाजिक क्षेत्रों में किए गए कार्यों के लिए अमेरिकन बयोग्र्फिकल संस्था द्वारा उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया गया .संस्था द्वारा उन्हें भेजा गया पत्र।
--*रमन लौ

अमेरिकन संस्था द्वारा :विश्व के ५० व्यक्तियों के साथ अशोक लव सम्मानित

Sunday, February 15, 2009

पाकिस्तानी पत्रकार ने भारतीयों के बारे में लिखा : यही सच है

Here's what is happening in India The two Ambani brothers can buy 100 percent of every company listed on the Karachi Stock Exchange (KSE) and would still be left with $30 billion to spare। The four richest Indians can buy up all goods and services produced over a year by 169 million Pakistanis and still be left with $60 billion to spare। The four richest Indians are now richer than the forty richest Chinese।*In November, Bombay Stock Exchange's benchmark Sensex flirted with 20,000 points। As a consequence, Mukesh Ambani's Reliance Industries became a $100 billion company (the entire KSE is capitalized at $65 billion)। Mukesh owns 48 percent of Reliance।* In November, comes Neeta's birthday. Neeta turned forty-four three weeks ago. Look what she got from her husband as her birthday present: A sixty-million dollar jet wit a custom fitted master bedroom, bathroom with mood lighting, a sky bar, entertainment cabins, satellite television, wireless communication and a separate cabin with game consoles. Neeta is Mukesh Ambani's wife and Mukesh is not India's richest but the second richest. Mukesh is now building his new home, Residence Antillia (after a mythical, phantom island somewhere in the Atlantic Ocean). At a cost of $1 billion this would be the most expensive home on the face of the planet. At 173 meters tall Mukesh's new family residence, for a family of six, will be the equivalent of a 60-storeyed building. The first sixfloors are reserved for parking. The seventh floor is for car servicing and maintenance. The eighth floor houses a mini-theatre. Then there's a health club, a gym and a swimming pool. Two floors are reserved for Ambani family's guests. Four floors above the guest floors are family floors all with a superb view of the Arabian Sea. On top of everythingare three helipads. A staff of 600 is expected to care for the family and their family home. * In 2004, India became the 3rd most attractive foreign direct investment destination. Pakistan wasn't even in the top 25 countries. In 2004, the United Nations, the representative body of 192 sovereign member states, had requested the Election Commission of India to assist the UN in holding elections in Al Jumhuriyah al Iraqiyah and Dowlat-e Eslami-ye Afghanestan. Why the Election Commission of India and not the ElectionCommission of Pakistan? After all, Islamabad is closer to Kabul than is Delhi.*Imagine, 12 percent of all American scientists are of Indian origin; 38 percent of doctors in America are Indian; 36 percent of NASA scientists are Indians; 34 percent of Microsoft employees are Indians; and 28 percent of IBM employees are Indians.* For the record: Sabeer Bhatia created and founded Hotmail. Sun Microsystems was founded by Vinod Khosla. The Intel Pentium processorthat runs 90 percent of all computers, was fathered by Vinod Dham. Rajiv Gupta co-invented Hewlett Packard's E-speak project. Four out of ten Silicon Valley start-ups are run by Indians. Bollywood produces 800 movies per year and six Indian ladies have won Miss Universe/Miss World titles over the past 10 years. * For the record: Azim Premji, the richest Muslim entrepreneur on the face of the planet, was born in Bombay and now lives in Bangalore. India now has more than three dozen billionaires; Pakistan has none (not a single dollar billionaire). *The other amazing aspect is the rapid pace at which India is creating wealth. In 2002, Dhirubhai Ambani, Mukesh and Anil Ambani's father, left his two sons a fortune worth $2.8 billion. In 2007, their combined wealth stood at $94 billion. On 29 October 2007, as a result of the stock market rally and the appreciation of the Indian rupee, Mukesh became the richest person in the world, with net worth climbing to US$63 billion (Bill Gates, the richest American, stands at around $56 billion). * Indians and Pakistanis have the same Y-chromosome haplogroup. We have the same genetic sequence and the same genetic marker (namely: M124). We have the same DNA molecule, the same DNA sequence. Our culture, our traditions and our cuisine are all the same. We watch the same movies and sing the same songs. What is it that Indians have and we don't?
(rohitpahwa@sify.com)
प्रस्तुति :राजिंदर सिंह चड्ढा

Friday, February 13, 2009

१४ फरवरी को वृन्दावन पहुंचें


श्री कृष्ण और राधा जी की लीला-स्थली वृन्दावन में मोहयाल- आश्रम का भूमि-पूजन और शिलान्यास १४ फरवरी को होगा। जनरल मोहयाल सभा की ओर से वृन्दावन में मोहयाल आश्रम का निर्माण किया जाएगा।
दिल्ली से मथुरा की ओर राज मार्ग से वृन्दावन की ओर मुड़ने पर वृन्दावन -चातिकारा रोड पर आश्रम विहार में समारोह होगा। इसके नज़दीक कृपालु महाराज का मन्दिर बन रहा है। इसके पास इस्कोन मन्दिर है। प्रातः ११ बजे पहुंचें। हवन में शामिल हों। रायजादा बी डी बाली शिलान्यास करेंगे।

रोगी के गुर्दों (किडनी ) से नारियल जितनी पथरी निकली

हंगरीके डाक्टरों ने रोगी के गुर्दों (किडनी ) से नारियल जितनी पथरी निकली है। इस रोगी कानाम संडोर सर्कादी है। बुडापेस्ट से १५० मील पर देब्रेसन नामक स्थान पर यह आपरेशन किया गया।


The 1.13Kg kidney stone the size of a coconut

The largest kidney stones most doctors ever get to see is the size of a golf ball. So surgeons in Hungarywere taken aback when they removed a stone the size of a coconut . Sandor Sarkadi underwent an अब्दोमिनल operation in Debrecen,

150 miles east of Budapest, after doctors discovered he had a kidney stone inside him that

was 17 centimetres in दिअमेते .Mr Sardaki was rushed into an operation theatre in the Kenez Gyula

Hospital when an X-ray revealed he was carrying around the gigantic lump.

The delicate procedure to remove the stone, which weighed a staggering 2.48lbs,

passed without incident. Kidney stones vary in size.

They can be as small as a grain of sand or as large as a golf ball, which makes Mr Sarkadi's stone all the more remarkable।



Thursday, February 12, 2009

मैं हाल ओहनां दा पुच्छ बैठा / निखिल मोहन

ਮੈਂ ਹਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੁੱਛ ਬੈਠਾ,
ਚੁੱਪ ਕਰਕੇ ਕੋਲੋਂ ਲੰਘ ਗਏ ਨੇਂ..
ਮੇਰੀ ਸੋਚਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਰਾਤ ਗਈ,
ਖੌਰੇ ਰੁੱਸ ਗਏ - ਖੌਰੇ ਸੰਗ ਗਏ ਨੇਂ..||

ਓਦੇ ਚਿੱਟੇ-ਦੰਦ ਮੈਨੂੰ ਇਉਂ ਜਾਪਣ,
ਜਿਵੇਂ ਮੋਤੀ ਚਮਕਣ ਹਾਰਾਂ ਵਿੱਚ..
ਓਦੇ ਮੱਥੇ ਤੇ ਕੋਈ ਵਾਦਾ ਸੀ,
ਜਿਵੇਂ ਖਿੜਿਆ ਗੀਤ ਬਹਾਰਾਂ ਵਿੱਚ..
ਕਿਸੇ ਜ਼ਹਿਰੀ-ਸੱਪ ਦੇ ਡੰਗ ਵਾਂਗੂੰ,
ਸਾਨੂੰ ਨਜ਼ਰਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਡੰਗ ਗਏ ਨੇਂ..
ਮੈਂ ਹਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੁੱਛ ਬੈਠਾ,
ਚੁੱਪ ਕਰਕੇ ਕੋਲੋਂ ਲੰਘ ਗਏ ਨੇਂ..||

ਜਦ ਸੋਚਾਂ ਵਿੱਚ ਕਚਨਾਰ ਜਿਹੀ,
ਕਦੇ ਆਕੇ ਗੱਲਾਂ ਕਰਦੀ ਏ..
ਜਿਵੇਂ ਸਓਣ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਬਾਰਿਸ਼,
ਆ ਬੰਜਰ ਧਰਤੀ ਤੇ ਵਰਦੀ ਏ..
ਚਲੋ ਇੱਕ-ਦੋ ਘੜੀਆਂ ਸੁਪਨਾ ਸਹੀ,
ਪਾ ਸੀਨੇ ਦੇ ਵਿੱਚ ਠੰਡ ਗਏ ਨੇਂ..
ਮੈਂ ਹਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੁੱਛ ਬੈਠਾ,
ਚੁੱਪ ਕਰਕੇ ਕੋਲੋਂ ਲੰਘ ਗਏ ਨੇਂ..||

ਗੰਭੀਰ ਹਾਦਸੇ ਹੋਵਣ ਗੇ,
ਓ ਮੋਢੇ ਤੇ ਗੁੱਤ ਸੁੱਟੇ ਨਾਂ..
ਮੇਰੇ ਦਿਲ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ਕਾਇਮ ਰਹੇ,
ਏ ਭਰਮ ਜਿਹਾ ਵੀ ਟੁੱਟੇ ਨਾਂ..
ਰੱਬ ਕਰਕੇ ਕਦੇ ਵੀ ਉੱਤਰੇ ਨਾਂ,
ਮੈਨੂੰ ਜਿਹੜੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਰੰਗ ਗਏ ਨੇਂ..
ਮੈਂ ਹਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੁੱਛ ਬੈਠਾ

Wednesday, February 11, 2009

अशोक लव की कविता " चल बिटिया चल "

नन्हीं बिटिया
उंगली छुड़ा
काली नंगी सड़क पर
टेढ़े-सीधे पग रखती
भाग खड़ी हुई
पकड़ पाता उसे
वह तब तक गिर गई थी
छिल गए थे उसके घुटने।
उसे उठाया
घुटने सहलाये
ले चला फिर घुमाने
उंगली पकड़ ।
छुड़ा ली उसने
उंगली
छिले घुटनों की पीड़ा भूल
दौड़ गई वह ।
इस बार नहीं दौड़ा
उसके पीछे
उसे जाने दिया
बिना उंगली पकड़े चलने का
अपना ही सुख होता है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मुंगेर (बिहार) का सीताकुंड : श्रद्धा और आस्था का तीर्थ


टना। बिहार के मुंगेरजिले में स्थित सीताकुंड लोक आस्था का प्रतीक बन गया है। किंवदंती है कि यहीं पर सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी।

सीताकुंड के आस-पास ही रामकुंड,लक्ष्मणकुंड,भरतकुंडतथा शत्रुघ्नकुंडभी है लेकिन इसे चमत्कार ही कहा जा सकता है कि पांच-छह फुट की दूरी पर स्थित सीताकुंड का पानी तो गरम रहता है जबकि शेष सभी कुंडों का पानी ठंडा रहता है। वैसे वर्ष के चार माह अप्रैल से जुलाई तक सीताकुंड का पानी भी ठंडा हो जाता है।

मुंगेरजिला मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर सीताकुंड के विष में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम को कुम्बांधरऋषि ने सलाह दी थी कि रावण के संहार के बाद आपको ब्राह्मण हत्या का पाप लगा है, इसलिए आप सारे तीर्थस्थलोंका भ्रमण कर इस पाप से मुक्ति पा लें। इसी दौरान राम सपरिवार यहां आकर एक आश्रम में रूकेथे।

धार्मिक मान्यताओं पर विश्वास करें तो आश्रम के ऋषियों ने सभी के हाथों से प्रसाद ग्रहण किया था लेकिन सीता के हाथ से प्रसाद ग्रहण नहीं किया। ऐसा रावण द्वारा सीता हरण किए जाने के कारण हुआ। तब सीता ने यहीं पर अग्नि परीक्षा दी थी।

इतिहासवेत्ता सुरेन्द्र कुमार शर्मा के अनुसार सीताकुंड के विषय में प्रचलित मान्यतायों पर भक्तिभाव से लोग विश्वास करते रहे हैंइस अलौकिक स्थान पर अनेक खोजें की गयी हैंसीताकुंड के गरम जल के विषय में रहस्य बना हुआ है





अस्सी किन्ने नाशुक्रे रब्बा

ਇੱਕ ਤੂੰ ਹੀ ਰਿਹਾ ਚਲਾ ਰੱਬਾ .
ਅਸੀ ਕਿੰਨੇ ਵੇਖ ਨਾਸ਼ੁਕਰੇ ਹਾਂ ,
ਤੈਂਨੂੰ ਛੱਡਿਆ ਦਿੱਲੋਂ ਭੁੱਲਾ ਰੱਬਾ .....

ਧਰਤੀ ਦੇ ਚੱਪੇ ਚੱਪੇ ਤੇ ,
ਖੰਡੀ ਬ੍ਰਹਿਮੰਡੀ ਰਾਜ ਤੇਰਾ .
ਤੇਰੇ ਹੁਕਮ ਤੇ ਦੁਨੀਆ ਵੱਸਦੀ ਹੈਂ ,
ਸਾਹ ਇੱਕ ਇੱਕ ਹੈ ਮੋਹਤਾਜ ਤੇਰਾ .
ਕਾਇਨਾਤ ਦਾ ਮਾਲਕ ਤੂੰ ਇੱਕੋ ,
ਉੰਝ ਰੱਖੇ ਤੇਰੇ ਨਾਮ ਬੜੇ .
ਤੂੰ ਪਾਕ ਹੈਂ ਆਦ ਜੁਗਾਦੋਂ ਹੀ ,
ਤੇਰੇ ਬੰਦਿਆਂ ਤੇ ਇਲਜਾਮ ਬੜੇ .
ਤੇਰੇ ਤੱਕ ਇੱਕੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈਂ ,
ਅਸੀ ਕਈ ਬਣਾ ਲਏ ਰਾਹ ਰੱਬਾ .
ਅਸੀ ਕਿੰਨੇ ਵੇਖ ਨਾਸ਼ੁਕਰੇ ਹਾਂ ,
ਤੈਂਨੂੰ ਛੱਡਿਆ ਦਿੱਲੋਂ ਭੁੱਲਾ ਰੱਬਾ .....

ਸਾਨੂੰ ਸਾਰਾ ਕੁੱਝ ਹੀ ਮਿਲ ਜਾਏ ,
ਅਸੀਂ ਫੜੇ ਹੋਏਂ ਹਾਂ ਗਰਜਾਂ ਨੇ .
ਹੋ ਮੈਂ ਇਹਸਾਨ ਫਰਹਾਮੋਸ਼ੀ ,
ਸਾਨੂੰ ਕਈ ਤਰਾਂ ਦੀਆਂ ਮਰਜਾਂ ਨੇ .
ਜੋ ਚੰਗਾ ਕੀਤਾ ਮੈਂ ਕੀਤਾ ,
ਜੋ ਮਾੜਾ ਹੁੰਦਾ ਰੱਬ ਕਰਦਾ .
ਕਰੇ ਕਾਣੀ ਵੰਡ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੀ ,
ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਮਾੜਾ ਰੱਬ ਕਰਦਾ .
ਓਹ ਸਾਨੂੰ ਮੰਗਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸਬਰ ਨਹੀਂ ,
ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦੇ ਵਿੱਚ ਰਜ਼ਾ ਰੱਬਾ .
ਅਸੀ ਕਿੰਨੇ ਵੇਖ ਨਾਸ਼ੁਕਰੇ ਹਾਂ ,
ਤੈਂਨੂੰ ਛੱਡਿਆ ਦਿੱਲੋਂ ਭੁੱਲਾ ਰੱਬਾ .

रंग-बिरंगी दुनिया दे विच

ਰੰਗ ਬਿਰੰਗੀ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਵਿੱਚ ,
ਕੀ ਕੀ ਰੰਗ ਵਿਖਾਉਂਦੇ ਲੋਕ .
ਰੋਂਦਿਆਂ ਨੂੰ ਨੇ ਹੋਰ ਰਵਾਉਂਦੇ ,
ਹੱਸਦਿਆਂ ਹੋਰ ਹਸਾਉਂਦੇ ਲੋਕ .
ਲੱਖ ਅਹਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ,
ਖਤਾ ਨਾ ਇੱਕ ਭੁਲਾਉਂਦੇ ਲੋਕ .
ਵਾਂਗ ਖਿਡੌਣਾ ਦਿਲ ਨਾਲ਼ ਖੇਡਣ ,
ਇੰਝ ਵੀ ਦਿਲ ਪਰਚਾਉਂਦੇ ਲੋਕ .
ਆਪ ਕਿਸੇ ਦੀ ਗੱਲ ਨਾ ਸੁਣਦੇ ,
ਹੋਰਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਂਦੇ ਲੋਕ .
ਪਹਿਲਾਂ ਜਿਗਰੀ ਯਾਰ ਕਹਾਉਂਦੇ ,
ਮਗਰੋਂ ਪਿੱਠ ਦਿਖਾਉਂਦੇ ਲੋਕ .
ਬਹੁਤ ਬੁਰੀ ਏ ਦਾਰੂ ਮਿੱਤਰਾ ,
ਪੀ ਕੇ ਨੇ ਸਮਝਾਉਂਦੇ ਲੋਕ .
ਹੋਰਾਂ ਦੀ ਗੱਲ ਭੰਡਦੇ ਫਿਰਦੇ ,
ਖ਼ੁਦ ਨੂੰ ਰਹਿਣ ਸਲਾਹੁੰਦੇ ਲੋਕ .
ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਕਿਉਂ ਆਪ ਨਾ ਕਰਦੇ ,
ਦੂਜਿਆਂ ਤੋਂ ਜੋ ਚਾਹੁੰਦੇ ਲੋਕ ? .....

व्हाइट हाउस में मोहयाल









श्री मोहन दत्ता (प्रेजीडेंट - मोहयाल सभा अमृतसर ) उनकी पत्नी श्रीमती शक्ति दत्ता , पुत्र सुधीर दत्ता,पुत्रवधू अन्निया दत्ता , पोत्री -देविका दुत्ता ,पौत्र-सम्राट दत्ता व्हाइट हाउस देखने गए थे । उसी समय के फोटोग्राफ्स ।
--अनिल दत्ता (अमृतसर )
anildutta2003@yahoo.com

Appraisal and Resignation / मंजु दुत्ता

A newly joined trainee engineer asks his boss "what is the meaning of appraisal?"

Boss: "Do you know the meaning of resignation?"


Trainee: "Yes I do"


Boss: "So let me make you understand what a appraisal is by comparing it with resignation"


Comparison study: Appraisal and Resignation

Appraisal

Resignation

In appraisal meeting they will speak only about your weakness, errors and failures.

In resignation meeting they will speak only about your strengths, past achievements and success.

In appraisal you may need to cry and beg for even 10% hike.

In resignation you can easily demand (or get even without asking) more than 50-60% hike.

During appraisal, they will deny promotion saying you didn't meet the expectation, you don't have leadership qualities, and you had several drawbacks in our objective/goal.

During resignation, they will say you are the core member of team; you are the vision of the company how can you go, you have to take the project in shoulder and lead your juniors to success.

There is 90% chance for not getting any significant incentives after appraisal.

There is 90% chance of getting immediate hike after you put the resignation.


Trainee: "Yes boss enough, now I understood my future."

नमस्ते का अर्थ और उपयोगिता

"नमः " means "bow," "as" means "I," and "te" means "you." Therefore, "Namaste" literally means "bow me you" or "I bow to you."

To perform Namaste, we place the hands together at the heart chakra, close the eyes, and bow the head. It can also be done by placing the hands together in front of the third eye, bowing the head, and then bringing the hands down to the heart. This is an especially deep form of respect. Although in the West the word "Namaste" is usually spoken in conjunction with the gesture, in India, it is understood that the gesture itself signifies Namaste, and therefore, it is unnecessary to say the word while bowing.

We bring the hands together at the heart chakra to increase the flow of divine love. Bowing the head and closing the eyes helps the mind surrender to the divine in the heart. One can do Namaste to oneself as a meditation technique to go deeper inside the heart chakra; when done with someone else, it is also a beautiful, albeit quick, meditation.

For a teacher and student, Namaste allows two individuals to come together energetically to a place of connection and timelessness, free from the bonds of ego-connection. If it is done with deep feeling in the heart and with the mind surrendered, a deep union of spirits can blossom.

Ideally, Namaste should be done both at the beginning and at the end of class. Usually, it is done at the end of class because the mind is less active and the energy in the room is more peaceful. The teacher initiates Namaste as a symbol of gratitude and respect toward her students and her own teachers,and in return invites the students to connect with their lineage, thereby allowing the truth to flow — the truth that we are all one when we live from the heart.

Tuesday, February 10, 2009

एन आर आई यानी प्रवासी भारतीय : १६ देशों के नागरिकों को दोहरी नागरिकता

नागरिकता कानून में परिवर्तन के साथ ही दुनिया के 16 देशों के प्रवासी भारतीयों को अब दोहरी नागरिकता की सुविधा हासिल हो गई है। गौरतलब है कि गत 9-11 जनवरी को दिल्ली में आयोजित पहले प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी घोषणा की थी। नागरिकता विधेयक 2003 में परिवर्तन के मौके पर संसद में हुई बहस के दौरान उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने बताया कि इसके माध्यम से विदेशों में बसे भारतवासी और भारतवंशियों को देश के विकास में योगदान करने का मौका मिलेगा। साथ ही 1955 के नागरिकता कानून में परिवर्तन करने वाले इस विधेयक से विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों और पूर्व भारतीयों के बालिग बच्चों को नागरिकता हासिल करने में सुविधा होगी। इस कानून के पारित होने के साथ ही 16 विशेष देशों के भारतीय मूल के नागरिकों या ऐसे भारतीय, जो बाद में इन देशों की नागरिकता हासिल करते हैं, को भारतीय नागरिकता का अधिकार मिल जाएगा।

मुख्यत: विकसित देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के लिए दोहरी नागरिकता की मांग बहुत पुरानी रही है। प्रवासी भारतीय दिवस वह सुनहरा मौका रहा, जहां इसे जोरदार तरीके से उठाया गया। प्रवासी भारतीय दिवस के मौके पर हुई घोषणा को कार्यरूप देने के लिए सबसे पहले नागरिकता कानून 1955 में परिवर्तन का विधेयक राज्य सभा में 9 मई 2003 को पेश किया गया।

इस विधेयक की मुख्य बातें इस प्रकार हैं-

*दोहरी नागरिकता हासिल करने वाले विदेशी पासपोर्टधारियों के भारत आने-जाने में अब कोई बाधा नहीं होगी, क्योंकि इसके बाद उनके पास कई तरह के वीजा की कोई जरूरत नहीं है।

*आर्थिक रूप से संपन्न एवं आधुनिक देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों के पास दिमाग के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में दक्षता हासिल है। इसमें कोई दुविधा नहीं कि निवेश के माहौल और वर्तमान वाणिज्यिक दौर में इसका मुख्य ध्येय निवेश बढ़ाना है। दोहरी नागरिकता के माध्यम से निवेश और संसाधनों के लेन-देन के मामले में यह सुविधा बेहद मददगार साबित होगी।

*हालांकि प्रवासी भारतीयों के लिए दोहरी नागरिकता की मांग के पीछे मुख्य कारण देश के प्रति भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक लगाव रहा है। भारतीय मूल के नागरिकों के अपने मूल देश की संस्कृति से भावनात्मक जुड़ाव को और मजबूत करने के लिहाज से यह पहल बेहद प्रासंगिक है। गौरतलब है कि प्रवासी भारतीय अपनी गतिविधियों के माध्यम से मौके-मौके पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान करते रहते हैं। दोहरी नागरिकता इस बंधन को और मजबूत करने के साथ ही प्रवासी भारतीयों को देश के सामाजिक विकास में सीधा योगदान के लिए प्रेरित करेगी।

*दोहरी नागरिकता विदेशों में रहने वाली नई पीढ़ी के भारतवंशियों की अपने मूल देश के साथ रिश्तों को और मजबूती करेगी। इसके साथ उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने का भी मौका मिलेगा।

पहले प्रवासी भारतीय दिवस ने दुनिया के विभिन्न कोनों में रहने वाले भारतवंशियों को एक मंच पर लाने का दुरूह कार्य पूरा कर दिया है। इस सफल आयोजन के माध्यम से ही पहली बार महान भारतीय परिवार की उपलब्धियों का लोगों को जानकारी मिली। दूसरा प्रवासी भारतीय दिवस इस प्रयास को और आगे बढ़ाने के साथ ही परिवार के आपसी विश्वास को और मजबूत करेगा। दूसरा प्रवासी दिवस पहले प्रवासी दिवस पर होने वाली घोषणाओं के पूरे होने का गवाह भी बनेगा। इसके अलावा अभी खाड़ी बीमा योजना और विदेशी सहायता कानून में परिवर्तन संबंधी कई घोषणाएं बाकी हैं। इस मौके पर पहले प्रवासी दिवस पर ली गई सामूहिक पहल को आगे बढ़ाने के साथ ही प्रवासी भारतीयों को एक साथ एकत्रित करके वैश्विक भारतीय परिवार की क्षमता को सूत्रबद्ध करने का काम सर्वप्रमुख एजेंडे में होगा।

पहले प्रवासी भारतीय दिवस के प्रतिनिधियों से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर कार्यक्रम के आयोजक फिक्की का मानना है कि इससे देश को महत्वपूर्ण राजनयिक उपलब्धियां हासिल हुई हैं। इस आयोजन से प्रवासियों के मन में भारत के प्रति एक सकारात्मक सोच विकसित हुई है।

दोहरी नागरिकता हासिल करने वाले देश-

1. अमेरिका2. कनाडा3. ब्रिटेन4. हालैंड5. इटली6. आयरलैंड7. पुर्तगाल8. स्विटजरलैंड9. ग्रीस10. साइप्रस11. इस्त्राइल12. ऑस्ट्रेलिया13. न्यूजीलैंड14. फ्रांस15. स्वीडन16. फिनलैंड

Sunday, February 8, 2009

दमा (अस्थमा ) से बचें : उपाय / * अनिल दत्ता

For treatment of asthma a lot of information regarding natural asthma remedy and treatment is available. How and what information we make use of is at our discretion. Both herbal and homeopathic asthma remedies are common.
One tablespoon of honey mixed with half a tablespoon of powdered cinnamon consumed before sleeping at night is a good natural asthma remedy. Another effective natural asthma remedy and treatment for those in initial stages of asthma is half a cup of milk boiled with eight to ten cloves of garlic and consumed at night
Fig is a fruit widely used in natural asthma remedy and treatment because of its property to drain out the phlegm from the body. Three-four figs should be soaked in a cup of water after being washed thoroughly. The figs should then be consumed on empty stomach and the water in which the figs were soaked should be drunk. Eating anything should be put off for the next one hour after consuming the figs. The usual course of this natural asthma remedy is two months.
Slowly sipping one teaspoon of honey mixed in very hot water slowly before sleeping will help in removing the phlegm from the throat and hence is highly recommended. One can use water, in which fenugreek was soaked and then strained, as a natural asthma remedy. Add one teaspoon of honey and another teaspoon of ginger juice in one cup of water strained after soaking fenugreek and consume this mixture every morning and evening for best results.
Biovent Controls as Well as Prevents Asthma Attacks
BoiVent can be used for prevention of asthma attacks as well as in management program for chronic asthma. It is a natural asthma remedy product which is constituted by both herbal as well as homoeopathic components. To improve the respiratory system function it may be used daily. This will help reduce not only the occurrences of asthma attack but also the severity of it. The immune system will also get strengthened by it.
While using BioVent the dosage will vary for adults and children. It is to be administered in drops. For adults fifteen to twenty drops diluted in a quarter glass of water or juice consumed twice or thrice a day should be ideal. For children the ideal dose would be one drop per year of age consumed the same way as in the case of adults twice or thrice daily.
The herbal and homeopathic options available for asthma treatments may also be considered as natural asthma remedies as they have been found to give great relief to some people. Such natural asthma remedy and treatment may be very effective in very severe conditions as well and complement the other asthma medications very well as they have no side effects.
Anil Dutta (अमृतसर)
anildutta2003@yahoo.com

सानूं कहंदे ने पंजाबी

ਸਾਨੂੰ ਕਹਿੰਦੇ ਆ ਪੰਜਾਬੀ
ਟੌਰ ਰੱਖੀਦੀ ਨਵਾਬੀ
ਨਹੀਓਂ ਕਰੀਦੀ ਖਰਾਬੀ
ਅਜਮਾਕੇ ਵੇਖ ਲਓ।
ਯਾਰੀ ਜਿੱਥੇ ਅਸਾਂ ਲਾਈ
ਸਦਾ ਤੋੜ ਨਿਭਾਈ
ਇਹ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਸੱਚਾਈ
ਅਜਮਾਕੇ ਵੇਖ ਲਓ
ਪੈਂਦੇ ਵੈਰੀਆਂ ਦੇ ਹੌਲ
ਨਹੀਓ ਕਰਦੇ ਮਖੌਲ
ਅਜਮਾਕੇ ਵੇਖ ਲਓ
ਜਿੱਥੇ ਲਾਉਂਦੇ ਆ ਪਰੀਤ
ਮਾੜੀ ਰੱਖੀਦੀ ਨੀ ਨੀਤ
ਸਾਡੇ ਪੁਰਖਾਂ ਦੀ ਰੀਤ
ਅਜਮਾਕੇ ਵੇਖ ਲਓ
ਅਸੀਂ ਗੱਭਰੂ ਜਵਾਨ
ਕਰੀਏ ਫਤਿਹ ਹਰ ਮੈਦਾਨ
ਸਾਡੀ ਵੱਖਰੀ ਏ ਸ਼ਾਨ
ਅਜਮਾਕੇ ਵੇਖ ਲਓ।
--अमन बाजवा

Saturday, February 7, 2009

हम क्यों नहीं कर सकते / मंजु दत्ता

WHEN A LIZARD CAN, WHY CAN'T WE?This is a true story that happened in Japan . In order to renovate the house, someone in Japan breaks open the wall. Japanese houses normally have a hollow space between the wooden walls. When tearing down the walls, he found that there was a lizard stuck there because a nail from outside hammered into one of its feet. He sees this, feels pity, and at the same time curious, as when he checked the nail, it was nailed 10 years ago when the house was first built.. !What happened? The lizard has survived in such position for 10 years!!!!!!!!!! In a dark wall partition for 10 years without moving, it is impossible and mind-boggling. Then he wondered how this lizard survived for 10 years! Without moving a single step--since its foot was nailed! So he stopped his work and observed the lizard, what it has been doing, and what and how it has been eating. Later, not knowing from where it came appears another lizard, with food in its mouth. Ah! He was stunned and touched deeply. For the lizard that was stuck by nail; another lizard has been feeding it for the past 10 years... Imagine? It has been doing that untiringly for 10 long years, without giving up hope on its partner. Think, will u do that to your partner? Think that will you do it to your Mom, who brought you after a big struggle of nine long months? Or at least to your Dad, Friends, Co-workers, brothers and Sisters? Imagine what a small creature can do that a creature blessed with a brilliant mind can't. As information and communication technology advances, our access to information becomes faster and faster. But the distance between human beings . .. . is it getting closer as well? Please never abandon your loved ones Never Say U R Busy When They Really Need You... You May Have The Entire World At Your Feet...... But You Might Be The Only World To Them.... A Moment of negligence might break the very heart which loves you thru all odds.... Before you say something just remember. It takes a moment to Break but an entire life to make... To Live Use Heart and to Survive use Brains. Then Life would be a paradise Unfurling only Love Joy and Happiness....