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Friday, June 5, 2009

दुखी कौन रहता है ? - चाणक्य

अन अवस्थित कार्यस्य न जने न वने सुखं ।
जने दहति संसर्गो वने संगविवजनं । ।
जिस व्यक्ति ने अपने जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया होता और उसके अनुसार कार्य करने की योजना नहीं बनाई होती उसे न घर में और न जंगल में सुख मिलता है। ऐसे व्यक्तियों को परिवार , बंधु - बांधवों और धन-संपत्ति के प्रति मोह का भाव दुखी रखता है। ऐसे व्यक्ति जंगल में जाकर शान्ति की तलाश करते हैं तो वहाँ भी दुखी रहते हैं वहाँ उन्हें घर की चिंता दुखी करती है।
चाणक्य कहना चाहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए ।
*पुस्तक-चाणक्य नीति, संपादक- अशोक लव

1 comment:

  1. Chankya had rightly said.A person without any goals in life is like an animal.Thanks for your contributions.
    *S MEHTA
    smehta2113@gail.com

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