तावद् भयेषु भेतव्यं यावद भयमनातं ।
आगत तू भयं प्रहर्तव्यमशंकया । ।
किसी भी प्रकार के संकट से तब तक भयभीत नहीं होना चाहिए जब तक संकट आ न जाए। संकट का सामना आत्मविश्वास और साहस के साथ करना चाहिए । संकट का सामान्य रहकर सामना करना चाहिए।
चाणक्य के कहने का अभिप्राय है कि कुछ लोग संकट के आने से पहले ही उसकी कल्पना करके डरते रहते हैं। यह कायरता है। संकट आया ही नहीं और पहले से ही घबरा गए। जब आएगा तब क्या होगा? जब संकट आएगा तब संकट के अनुसार उसका डटकर सामना करना चाहिए ।
पुस्तक - चाणक्य नीति , संपादक-अशोक लव
CHANKYA WAS AN OUTSTANDING INTELLECTUAL WHO INFLUENCED INDIAN POLITICS . I FULLY AGREE WITH HIS THOUGHT.
ReplyDeleteTHANKS !
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