सुंदर मुंदरिये हो !
तेरा कौन विचारा हो !
दुल्ला भट्टी वाला हो !
दुल्ले धी व्याही हो !
कुड़ी दे जेबे पाई
कुड़ी दा लाल पटाका हो !
कुड़ी दा सालू पाटा हो !
सालू कौन समेटे हो !
ज़मिदारां लुट्टी हो !
ज़मींदार सदाए हो !
गिन-गिन पोले लाए हो !
इक पोला रह गया !
सिपाही फड के लै गया !
भावें
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ReplyDelete"लोहड़ी का सुन्दर पंजाबी लोक गीत -सुन्दर-मुंदरिये"
ReplyDeleteआप का धन्यवाद ||
बहुत सुन्दर बचपन की यादें ताजा हो गईं हम लोग इसमें एक लाइन तब और बोलते थे जब कोई लकड़ी नहीं देता था - हुक्के पे हुक्का ये घर भुक्खा।
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