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Thursday, September 23, 2010
नानक नाम चढ़दी कला / अनन्या मेहता
धन नानक
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
अरजोई निराधार,
हे दाता,
पहली उपमा तेरी दाता,
दूजी तेरी खुदाई।
तीजी तेरी ओट आसरा,
चौथी रहनुमाई।
पंच घरों सो तेरा मान,
पंचम सांझ जगाई।
मैं नीच तेरे दास को दासा,
धन नानक सब तेरी वडियाई।
नानक जोत निरंजन बण आई
प्रभ दर्शन अगम रूप कहाई
चड़विन्दा दास तिसकी शरणाई
तन, मन, धन सब भेंट चढ़ाई।
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला
पूर्ण ईश्वर स्वरूप होते हुए भी सहज अवतार महाराज दर्शन दास जी ने अपने रूहानी रूप पर पर्दा डालते हुए अपनेआपको 'नीच' 'दासों का दास' ही कहा और 'धन नानक सब तेरी वडियाई' तक अरजोई रची लेकिन उनके परमसेवक व दास धर्म की दूसरी पातशाही महाराज चड़विन्दादास जी ने उनके प्रकाशमय रूहानी रूप को दर्शाते वाणी मेंफर्माया तथा अरजोई को आगे बढ़ाया :-
नानक जोत निरंजन बण आई
प्रभ दर्शन अगम रूप कहाई
चड़विन्दादास तिसकी शरणाई
तन, मन, धन सब भेंट चढ़ाई।"
"नानक नाम चढ़दी कला !"
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