पंद्रह दिन बाधित रहेंगे शुभ व मांगलिक कार्य, एकादशी व द्वादशी का श्राद्ध एक साथ
श्राद्धपक्ष गुरुवार से शुरू हो जाएंगे। इस बार एकादशी व द्वादशी का श्राद्ध एक ही दिन मनाया जाएगा। इस तरह श्राद्धपक्ष पंद्रह दिन तक रहेगा। इस दौरान शास्त्रानुसार शुभ व मांगलिक कार्य बाधित रहेंगे। 23 सितंबर को श्राद्ध शुरू होकर 7 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्धपक्ष संपूर्ण होगा। श्राद्ध के समयमांगलिक कार्य बाधित रहेंगे। पितरों के श्राद्ध की तिथि में पांच जगह पत्तल निकालकर गाय, कौआ, कीड़ी, मकौड़ीव अतिथि के निमित्त रखें। यदि यह संभव न हो, तो गाय को खिलाने से श्राद्ध हो जाता है।
तिथि के अनुसार होने वाले श्राद्ध
23 सितंबर- पूर्णिमा का श्राद्ध 24 सितंबर- प्रतिपदा का श्राद्ध 25 सितंबर- द्वितिया का श्राद्ध 26 सितंबर-तृतीया का श्राद्ध 27 सितंबर- चतुर्थी का श्राद्ध 28 सितंबर- पंचमी व भरणी का श्राद्ध 29 सितंबर- छठ का श्राद्धव कृत्तिका श्राद्ध 30 सितंबर- सप्तमी का श्राद्ध 1 अक्टूबर- अष्टमी का श्राद्ध 2 अक्टूबर- नवमी व सौभाज्यवतिस्त्रियों का श्राद्ध 3 अक्टूबर- दशमी का श्राद्ध 4 अक्टूबर- एकादशी का श्राद्ध और द्वादशी व सन्यासियों का श्राद्ध5 अक्टूबर- त्रयोदशी का श्राद्ध 6 अक्टूबर- चतुदर्शी व विष,शस्त्र,दुर्घटना, आत्महत्या आदि से जुड़े लोगों का श्राद्ध
7 अक्टूबर- सर्वपितृ श्राद्ध (अमावस्या का श्राद्ध)।
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