Jay Mohyal
Thursday, March 11, 2010
कवि वृन्द
देव
सेव
फल
देत
है
,
जाको
जैसे
भाय।
जैसो
मुख
पर
आरसी
*,
देखो
सोई
दिखाय॥
-
कवि
वृन्द
*
आरसी
=
शीशा
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