प्रस्तुति -Vijay Datta Raheja
लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में
किसकी बनी है आलम-ए-ना-पायदार में
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दागदार में
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाए थे चार दिन
दो आरजू में कट गए, दो इंतज़ार में
कितना है बदनसीब ज़फर दफ़न के लिए
दो गज ज़मीन भी न मिली कूचा -ए-यार में.
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* बहादुर शाह ज़फर
"लगता नहीं है दिल मेरा राम के स्थान में
ReplyDeleteकिसकी बनी है आलम-ए-हिन्दुस्तान में
कह दो इन हसरतों से अब पकिस्तान जा बसें
जहर लगा हुआ है अब हिन्दू के बाण में
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाया हूँ चार दिन
दो भारत में कट गए, दो चाहता हूँ पकिस्तान में
रोता हूँ आज तक भाई ज़फर के हाल पर
ज़मीन मिली दफनाने को न हिन्दुस्तान में न पकिस्तान में "
-bhai Amrood khan