रहीम अकबर के नव रत्नों में से एक थे। वे कृष्ण-भक्त थे और दानी थे। इस दोहे से उनकी विनम्रता की झलक मिलती है। दान देकर अपने नाम की भूख रखने वालों को यह दोहा हमेशा याद रखना चाहिए ।
देनदार कोई और है, भेजत है दिन रैन।
लोग भरम हम पर धरै, यातें नीचे नैन॥
"देने वाला तो भगवान है ,वही दिन-रात भेज रहा है। लोग समझते हैं हम दे रहे हैं। इसलिए हमने लज्जावश अपनी आँखें नीची की हुई हैं।"-रहीम
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