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Wednesday, February 24, 2010

रहो ज़मीं पे- विजय दत्ता रहेजा : फेसबुक में

Vijay Datta Raheja

Vijay Datta Raheja

रहो जमीं पे मगर आसमां का ख्वाब रखो तुम

अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो

खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी तुम

अपने हाथ में किरदार की किताब रखो

उभर रहा जो सूरज तो धूप निकलेगी

उजालों में रहो मत धुंध का हिसाब रखो

मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें

महक वफ़ा की रखो और बेहिसाब रखो।

Today at 00:34 ·
Charanjiit Singh
Charanjiit Singh
BEAUTIFUL :)
Today at 00:55
Bobby Ray Sharma
Bobby Ray Sharma
I love it!
Today at 09:25
Vijay Datta Raheja
Vijay Datta Raheja
Thank you Bobby..:)
Today at 09:51
Naveen Chibber
Naveen Chibber
Thanks Vijay for the encouragement written by you on my facebook wall. Much appreciate. Jai Mohyal.
Today at 10:45
Vijay Datta Raheja
Vijay Datta Raheja
You are welcome....... :))
Today at 10:51
Nitin Datta
Nitin Datta
kya baaaaaaaaat hai !!!!
Today at 13:30
Kshama Bali
Kshama Bali
too good...............bahut achhe aur bilkul sahi..........
Today at 15:47
Inderjeet Singh Rawat Indu
Inderjeet Singh Rawat Indu
विजय जी....आप तो बहुत ही अच्छा लिखती है...!
आपने तो जमीं से जोड़कर आसमान पर उठा दिया...!
काम ऐसा किया की अपनी महक को फैला दिया..!!!
Today at 16:28
Rajeev Chhibber
Rajeev Chhibber
bahut khoob
Today at 23:03
Ashok Lav
Ashok Lav
"अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी तुम"--सुन्दर !

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