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Friday, February 12, 2010

कोसीकलां (मथुरा) के शनि देव : प्राचीन मंदिर


दिल्ली से 128 किमी की दूरी पर स्थित कोसी कला स्थान पर सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव जी का मंदिर स्थापित है । यह उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में आता है, इसके आसपास ही नंदगांव, बरसाना एवं श्री बांके बिहारी मंदिर स्थित है । कहा जाता है कि यहाँ आने पर आपकी सारी मनोकामनाऐं पूर्ण हो जाती हैं । यह शनिदेव जी के सबसे प्रभावशाली मंदिरों में से एक है । आइये जानते हैं कि कैसे इस मंदिर का निर्माण हुआ : -

ये मंदिर भगवान कृष्ण के समय से स्थापित है । जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, उनके दर्शन करने के लिए सभी देवतागण गये थे, जिसमें शनिदेव भी गये थे, लेकिन माता यशोदा और नंदबाबा ने शनिदेव महाराज जी की वक्र दृष्टि होने की वजह से कृष्ण भगवान के दर्शन नहीं करवाये । इस बात से शनि महाराज को बड़ा दुख महसूस हुआ क्योंकि वक्र दृष्टि भी भगवान श्रीकृष्ण की ही दी हुयी है इसमें मेरा क्या दोष । तो कृष्ण भगवान ने अपने भक्‍त के दुख को समझते हुए शनि महाराज को स्वप्न में यह प्रेरणा दी कि नंदगांव से उत्तर दिशा में एक वन है जहाँ पर जाकर के आप मेरी भक्‍ति करो तो मैं स्वयं आकर आपको दर्शन दूंगा । शनि महाराज ने ऐसा ही किया । तो भगवान श्री कृष्ण ने कोयल के रूप में शनि महाराज को उपरोक्‍त वन में दर्शन दिये तथा कोयल से रूपांतर होकर के उपरोक्‍त वन का नाम कोकिलावन पड़ा । और शनि महाराज से कहा कि आज से आप भी यही पर विराजेंगे और यहाँ विराजने पर आपकी वक्र दृष्टि नम रहेगी । और मैं भी आप की बायी दिशा में राधा जी के साथ यहीं पर विराजमान रहूँगा । जो भक्‍तगण अपनी किसी भी प्रकार की परेशानी लेकर के आप के पास आयेंगे उसकी पूर्ति आपको करनी होगी । और कलयुग में मेरे से भी ज्यादा आप की पूजा अर्चना की जाएगी ।

मंदिर का इतिहास :

गरूड़ पुराण में व नारद पुराण में कोकिला बिहारी जी का उल्लेख आता है । तो शनिमहाराज का भी कोकिलावन में विराजना भगवान कृष्ण के समय से ही माना जाता है । बीच में कुछ समय के लिए मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो गया था करीब साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व में राजस्थान में भरतपुर महाराज हुए थे उन्होंने भगवान की प्रेरणा से इस कोकिलावन में जीर्ण-शीर्ण हुए मंदिर का अपने राजकोष से जीर्णोधार कराया । तब से लेकर आज तक दिन पर दिन मंदिर का विकास होता चला आ रहा है । मंदिर के प्रबंधक व संचालक व श्रीमहंत के रूप में ही प्रेमदास जी महाराज यहां पर अपने जीवन के छः साल की उम्र से यहां विराजते हैं, जो वर्तमान में भी मंदिर के प्रबंधक व श्री महंत हैं । इनके कार्यकाल में मंदिर का विकास व लोगों का लगाव काफी बढ़ा है । उपरोक्‍त शनिदेव मंदिर बृज में होने के कारण भारतवर्ष में प्राचीन शनिदेव मंदिर माना जाता है, ऐसा इतिहास है ।

महामंडलेश्‍वर

श्री श्री 108 श्रीमंत श्री प्रेमदास जी महाराज, शनिदेव मंदिर कोकिलावन मंदिर । फोन न० - 09219724678 कोकिलावन धाम समिति के अलावा दो अन्य समितियां और भी हैं-

(1) ठाकुर बिहारी जी गौशाला जिसके प्रबंधक भी श्री महंत जी ही हैं । जिसके अंतर्गत वर्तमान में करीब बारह तेरह सौ गऊ सेवा समिति चलाई जा रही है । यह संस्था भी 12 ए व 806 में रजिस्टर्ड है ।

(2) कोकिलावन बिहारी जी संस्कृत विद्यालय 12 वीं तक । जिसके प्रबंधक अध्यक्ष भी श्री महंत जी हैं ।

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