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जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता। द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सबकुछ पा जाता॥ जय .. तू चाहे जो कुछ भी कर दे, तू चाहे तो जीवन दे दे। राजा रंग बने तेरे चेले, चाहे पल में जीवन ले ले॥ जय .. मौत-जिंदगी हाथ में तेरे मैया तू है लाटां वाली। निर्धन को धनवान बना दे मैया तू है शेरा वाली॥ जय .. पापी हो या हो पुजारी, राजा हो या रंक भिखारी। मैया तू है जोता वाली, भवसागर से तारण हारी॥ जय .. तू ने नाता जोड़ा सबसे, जिस-जिस ने जब तुझे पुकारा। शुद्ध हृदय से जिसने ध्याया, दिया तुमने सबको सहारा॥ जय .. मैं मूरख अज्ञान अनारी, तू जगदम्बे सबको प्यारी। मन इच्छा सिद्ध करने वाली, अब है ब्रज मोहन की बारी॥ जय .. सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, तेरा पार न पाया। पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया॥ सुन मेरी .. सुआ चोली तेरे अंग विराजे, केसर तिलक लगाया। ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शंकर ध्यान लगाया। नंगे पांव पास तेरे अकबर सोने का छत्र चढ़ाया। ऊंचे पर्वत बन्या शिवाली नीचे महल बनाया॥ सुन मेरी .. सतयुग, द्वापर, त्रेता, मध्ये कलयुग राज बसाया। धूप दीप नैवेद्य, आरती, मोहन भोग लगाया। ध्यानू भक्त मैया तेरा गुणभावे, मनवांछित फल पाया॥ सुन मेरी |
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