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Friday, December 11, 2009

सनकी और जीनियस में ज़्यादा फर्क नहीं होता

लंदन। पुरानी कहावत है कि विद्वान और सनकी में ज्यादा फर्क नहीं होता। वैज्ञानिकों ने भी इस मान्यता पर मोहर लगा दी है। एक नए शोध में कहा गया है कि जीनियस और सनकी में कोई ज्यादा अंतर नहीं होता।

शोधकर्ताओं के मुताबिक रचनात्मक लोगों में न्यूरीग्यूलिन-1 जीन पाया जाता है। सामान्य तौर पर यह मानसिकता और अवसाद से जुड़ा होता है। वास्तव में यह मस्तिष्क के विकास में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन यह भिन्न मानसिक बीमारियों और पागलपन के लिए भी जिम्मेदार होता है। हंगरी में सेमेलवेइस विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता शाबोज केरी ने कहा कि अपनी तरह का यह पहला अध्ययन है जिसमें कहा गया है कि अनुवांशिक भिन्नता मानसिकता से जुड़ा मामला है। कुछ मामलों में यह लाभकारी होती है।

अध्ययन में कुछ ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो खुद को रचनात्मक और निपुण मानते थे। उनकी रचनात्मकता को जांचने के लिए की असामान्य सवाल पूछे गए। उनसे पूरे जीवन की रचनात्मक उपलब्धियों से जुड़ी एक प्रश्नावली भी भरने को दी गई। इससे पहले शोधकर्ताओं ने उनके रक्त के नमूने लिए। शोधकर्ताओं ने न्यूरीग्यूलिन-1 और रचनात्मकता में सीधा संबंध पाया।

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