आज अनेक संस्थाएँ अनेक कारणों से लोगों से धन देने की अपील करती हैं। लोग परिवार में जन्म-दिन, मुंडन, सगाई, विवाह , विवाह-वर्षगाँठ आदि के शुभ अवसरों पर दान करते हैं। परिवार में शोक के अवसर पर दान करते हैं। दादा-दादी,नाना-नानी , माता-पिता आदि की स्मृति में दान करते हैं। आश्रमों में भोजन के लिए दान करते हैं। ऐसी अनेक सामाजिक और बिरादरी की संस्थाएं हैं जो लोगों से धन लेकर अपनी इच्छा के अनुसार उसका प्रयोग करती हैं। संस्थाओं के पदाधिकारी इसका कोई हिसाब नहीं देते। मन्दिर, आश्रम , वृद्ध-आश्रम, विधवा-आश्रम, बालिका -निकेतन आदि के निर्माण के नाम पर लाखों हड़प जाते हैं।
कुछ संस्थाओं का सारा धन केवल तीन-चार पदाधिकारी अपने हाथों में रखते हैं। प्रबंधक-कमेटी नाम मात्र के लिए होती है। संस्था की परियोजनाओं का काम ये अपने सम्बन्धियों को देते हैं ।
ये पदाधिकारी अपनी छवि बनाने के लिए समारोहों में पानी की तरह धन बहाते हैं। इनकी जेब से धन नहीं जाता इसलिए इन्हें समारोहों में लाखों खर्च करते समय ज़रा भी संकोच नहीं होता। इनकी पत्रिकाएँ केवल इनके गुण-गान और फोटो से भरी रहती हैं।
क्या आपने अपने दिए धन के विषय में कभी जानने की कोशिश की है ?
ऐसी संस्थाओं को धन देने से अच्छा है आप अपने हाथों से निर्धनों को खाना खिलाएँ। उन्हें पहनने के लिए कपड़े दें।स्कूल के गरीब बच्चों की फीस दें।
बेईमान लोगों की बेईमानी को रोकने के लिए आपका सावधान होना आवश्यक है।
अगली बार दान देने से पहले एक बार अवश्य सोच लें।
this is the reality. we must take care of this. we should give food to poor instead of giving money to such organizations.
ReplyDeleteif this is reality in mohyal community please try to expose it so all innocent people know the reality
ReplyDelete