Monday, June 29, 2009

पॉप -किंग मायकल जैकसन को मोहयालों की ओर से श्रद्धांजलि



पॉप म्युज़िक किंग मायकल जैकसन का निधन २५ जून को लॉस एंजेल्स में हुआ था । वे विश्व भर में अपने गीत और संगीत के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपने जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव देखे। परिवार की टूटन को देखा। मुकद्दमों में फंसे रहे। ऋण के बोझ तले दबे रहे। मृत्यु से पूर्व तक विवादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। फिर भी उनकी लोकप्रियता में कमी नहीं आई। अमेरिका के टी वी चैनल दिन-रात उनके जीवन के विभिन्न पक्षों पर
चर्चाएँ कर रहे हैं । उनकी मृत्यु के कारणों पर विश्व भर के टी वी चैनल बहस कर रहे हैं। पश्चिमी संगीत में क्रांति लाने वाले इस महान कलाकार के प्रशंसक दुनिया के कोने- कोने में हैं। व्यक्तिगत रूप से उनकी ज़िंदगी चाहे जैसी रही हो , संगीत के क्षेत्र में वे सचमुच के "किंग " थे।
हमने लॉस एंजेल्स जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। ' कोडक थियेटर ' के निकट देश-विदेश से आए उनके प्रशंसक उनके ' स्टार ' पर पुष्प अर्पित कर रहे थे। लम्बी लाइन लगी हुई थी। टी वी कैमरे लगे हुए थे। कुछ प्रशंसकों ने उनका रूप धारण किया हुआ था। हमने उन्हें अपनी , अपने परिवार और मोहयाल जगत की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की।
*अशोक लव

Sunday, June 28, 2009

२००९ की दसवीं और बारहवीं में ७५ प्रतिशत और अधिक अंक लाने वाले मोहयाल विद्यार्थियों को पुरस्कार

जनरल मोहयाल सभा ,नई दिल्ली की ओर से मोहयाल विद्यार्थी पुरस्कृत किए जाएँगे। जिन विद्यार्थियों के दसवीं / बारहवीं कक्षा में ७५ प्रतिशत और अधिक अंक आए हैं उन्हें " प्रतिभाशाली मोहयाल विद्यार्थी सम्मान -२००९ " से सितंबर माह में होने वाले समारोह में पुरस्कृत और सम्मानित किया जाएगा। " मोहयाल मित्र " जून अंक में विस्तृत जानकारी और फ़ार्म छपा है। फ़ार्म भरकर भेजने की अन्तिम तिथि ३१ जुलाई २००९ है। फ़ार्म भरकर नीचे लिखे पते पर भेजें -
श्री अशोक लव , संयोजक - प्रतिभाशाली मोहयाल विद्यार्थी सम्मान , जनरल मोहयाल सभा , ए-९, कुतुब इंस्टीच्युश्नल एरिया , यू एस रोड , नई दिल्ली -११००६७ फोन -०११-२५६०४५६, २६५६१५०४
फ़ार्म में निम्नलिखित जानकारी दें -
१.नाम
२.मोहयाल जाति ( बाली , भिमवाल , छिब्बर , दत्त/दत्ता , लौ /लव , मोहन, वैद )
३. जन्म-तिथि
४.माता का नाम (मोहयाल जाति ,शिक्षा,व्यवसाय )
५.पिता का नाम (मोहयाल जाति , शिक्षा, व्यवसाय )
६.वर्तमान पता , फोन / मोबाइल नंबर, स्थायी पता
७.माता -पिता इन में से किसके सदस्य हैं- (१)जनरल मोहयाल सभा वार्षिक /आजीवन ), (२)स्थानीय मोहयाल सभा ( नाम लिखें ) (३) मोहयाल मित्र ( वार्षिक /आजीवन )
८.सेकेंडरी / सीनियर सेकेंडरी परीक्षा में पाँच अनिवार्य विषयों में प्राप्त अंक ( कुल अंक,प्रतिशत)
विद्यार्थी और माता/पिता के हस्ताक्षर
७५ प्रतिशत से कम अंक लाने वाले आवेदन करें .

Friday, June 26, 2009

गरीबी सबसे अपमानजनक है : चाणक्य

वरं वने व्याघ्र गजेंद्रेसेचिते , द्रुमालाये पत्र फल अम्बु सेवनम्
त्रिनेशु श या शत जीर्ण वल्कलं , न बंधु धनहीन जीवनं ।।
जीवन को जीने के लिए धन की नितांत आवश्यकता पड़ती है। धन के बिना जीवन कष्टों से भर जाता है। जंगल में वृक्षों को घर बनाकर रहना अच्छा होता है। लताओं , पत्तों और फलों का सेवन करना अच्छा है। घास-फूस को बिछौना बनाकर सोना अच्छा है। हाथिओं के मध्य रहना अच्छा है। वल्कल वस्त्र धारण करके रहना अच्छा है।
परन्तु सगे-सम्बंधिओं के बीच धन के अभाव में अपमानजनक जीना सबसे कष्टदायक होता है। इनके बीच रहकर पल-पल अपमान के घूँट भरने पड़ते हैं।
चाणक्य कहना चाहते हैं कि इस संसार में गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है

Thursday, June 25, 2009

आस्ट्रेलिया जाने का मोह छोडें : इज्ज़त से भारत में रहें

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर बढ़ते हमलों के बीच एक नए सर्वे में कहा गया है कि 85 पर्सेंट ऑस्ट्रेलियाई यह महसूस करते ह

ैं कि देश में नस्ली भेदभाव फैला हुआ है। हर पांच में से एक व्यक्ति बुरी मंशा से भरी बातों का शिकार हुआ है।
ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटियों के संयुक्त प्रयास से कराई गई स्टडी में यह पाया गया कि सर्वे में शामिल 16,000 लोगों में से ज्यादातर यह महसूस करते हैं कि सांस्कृतिक विविधता देश के लिए अच्छी है, लेकिन भिन्नताएं हर किसी को आगे बढ़ने से रोक सकती हैं। यह स्टडी 11 साल तक चली है। यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न सिडनी के सोशल साइंस विभाग के केविन डन ने कहा कि सर्वे में शामिल 40 पर्सेंट से ज्यादा लोगों का यह मानना है कि सांस्कृतिक भिन्नताएं सामाजिक सौहार्द के सामने एक खतरा खड़ा करती हैं।
उन्होंने कहा कि क्रोनुल्ला के दंगे और भारतीय मूल के लोगों पर हाल ही में हुए हमले इसके उदाहरण हैं। आंकड़े दर्शाते हैं कि 85 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई यह स्वीकार करते हैं देश में नस्ली पूर्वाग्रह मौजूद है। डन ने कहा कि 87 फीसदी नागरिक बहुसंस्कृतिवाद समर्थक हैं और साफ तौर पर एक तिहाई लोग सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार तो करते हैं, पर वे इसके समाज पर पड़ने वाले असर से चिंतित भी हैं। अध्ययन में यह भी कहा गया कि 6.5 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई बहुसंस्कृतिवाद के खिलाफ हैं।
सरकार की अनदेखी जिम्मेदार
डन ने कहा, मेरा मानना है कि पूर्व की सरकारों ने बीते एक दशक में इस मुद्दे से निपटने के लिए कुछ नहीं किया। सामाजिक न्याय आयुक्त टॉम काल्मा ने नस्ली भेदभाव से निपटने के लिए काम नहीं किया और सिर्फ समय बिताया। डन ने कहा कि एक दशक से सरकार ने नस्ली भेदभाव के मामलों से निपटने के लिए फुल टाइम कमिश्नर की नियुक्ति नहीं की है। धन की भारी कमी के चलते आयोग वैसी सेवाएं नहीं दे सका, जैसी उसे देने की जरूरत है।सर्वे में यह भी पाया गया कि पांच में से कम से कम एक ऑस्ट्रेलियाई के साथ विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के लिए निम्न भाषा में रखे गए नामों का इस्तेमाल कर दुर्व्यवहार किया जाता है। उन्हें गालियां दी जाती हैं या आक्रामक रुख का सामना करना पड़ता है।

Monday, June 22, 2009

स्टडी -रूम इस तरह रखें

बच्चों का कमरा पश्चिम , उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। बच्चों के कमरे की आंतरिक सुसज्जा

नके कमरे की मात्र रौनक ही नहीं, बल्कि पूरे घर की शक्ति और उमंग का स्रोत है। बच्चों के बिना घर सुनसान हो जाता है। बच्चे घर का माहौल उल्लासमय बनाए रखते हैं। इसलिए उनके कमरे को वास्तु के अनुसार बनायें। इससे प्रेम और उल्लास का वातावरण बनेगा ।
बच्चों के कमरे का प्रवेश द्वार उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए। खिड़की अथवा रोशनदान पूर्व में रखना उत्तम है।
पढ़ने की टेबल का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पुस्तकें ईशान कोण में रखें । बच्चों का मुँह पढ़ते समय उत्तर अथवा पूर्व दिशा में होना चाहिए।
एक छोटा सा पूजा स्थल अथवा मंदिर बच्चों के कमरे की ईशान दिशा में बनाना उत्तम है। इस स्थान में विद्या की देवी सरस्वती की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाना शुभ है।
कमरा सदैव स्वच्छ रहना चाहिए। वहां पर किसी भी प्रकार का व्यर्थ का सामान --- कूड़ा -कचरा आदि नहीं होना चाहिए। अलमारी , कपबोर्ड , पढ़ने का डेस्क और बुक शेल्फ व्यवस्थित ढंग से रखा जाना चाहिए। सोने का बिस्तर नैऋत्य कोण में होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा में हो, तो बेहतर है। परंतु, बच्चे अपना सिर पूर्व दिशा में भी रख कर सो सकते हैं।
कमरे के मध्य में भारी सामान न रखें। कमरे में हरे रंग के हल्के शेड्स करवाना उत्तम है। इससे बच्चों में बुद्धिमता की वृद्धि होती है।
कमरे के मध्य का स्थान बच्चों के खेलने के लिए खाली रखें। बच्चों के कमरे का द्वार कभी भी सीढ़ियों अथवा शौचालय से सटा न हो, अन्यथा ऐसे परिवार के बच्चे मां-बाप के नियमानुसार अनुसरण नहीं करेंगे। कमरे के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की ओर भी विशेष ध्यान दें ।*

अब न मौज न मस्ती : बस ई एम आई उतारो



दरअसल कर्ज लेकर घी पीने के फेर में आम आदमी पर ईएमआई का बोझ कुछ ऐसा बढ़ गया है कि उसका 60 फीसदी वेतन इस मद में कट जाता है, जबकि दस साल पहले 1999 में इस तरह के खर्चे बमुश्किल 30 फीसदी थे।
25,000 रुपये प्रति महीने के वेतन ढांचे को आधार मानें तो घर पहुंचने वाली रकम 10,000 रुपये से अधिक नहीं होती। बाकी 15,000 रुपये की रकम में से 6,000 मकान की ईएमआई, 5,000 ऑटो लोन और 1,500 रुपये अन्य शौकिया वस्तुओं पर खर्च हो जाते हैं। बाकी बचे 2,500 रुपये बीमा की किश्त चुकाने में चले जाते हैं।'
इन क्षेत्रों के लोगों को ईएमआई की मार सबसे ज्यादा सहनी पड़ रही है --सूचना प्रौद्योगिकी, ऑटोमोबाइल, होटल, नागरिक उड्डयन, मैन्युफैक्चरिंग, जेम्स ऐंड जूलरी और टैक्सटाइल जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
नौकरीपेशा लोगों पर बैंक की ईएमआई के अलावा ऑफिस के कर्ज की रकम चुकाने का बोझ भी कम नहीं है। 30 फीसदी पेशेवरों ने बताया कि वे महीने में 4,000 से 5,000 रुपये ऑफिस से एडवांस में लिए गए कर्ज को चुकाने पर खर्च करते हैं। ये कर्ज सामान्य तौर पर मकान की मरम्मत, शिक्षा या शादी के लिए लिए जाते हैं। हालांकि 50 फीसदी कर्मचारियों ने यही बताया कि उनके हाथ में आने वाला वेतन 40 फीसदी से ऊपर नहीं होता। 25,000 में से जो 10,000 रुपये हाथ आते हैं उन्हीं से खाना, फोन, अन्य सुविधाएं, डॉक्टर और शिक्षा आदि का खर्च निकालना होता है।
पिछले 9 साल में इस तरह के कर्मचारियों के वेतन में औसतन 30 फीसदी की वृद्धि हुई है, लेकिन हाथ में आने वाला वेतन कहीं ज्यादा गिरा है। सरकारी कर्मचारियों की तुलना में निजी क्षेत्र के कर्मचारियों पर ईएमआई की ज्यादा मार पड़ रही है। 42 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि वे 40 से 50 फीसदी वेतन ईएमआई पर खर्च कर रहे हैं। ऐसे में उनके पास लाइफस्टाइल खर्च में कटौती करने के अलावा कोई चारा नहीं है। ऐसे परिवार बाहर जाकर खाना कम ही खाते हैं। फोन पर बातचीत फटाफट निपटाते हैं। इसके अलावा शौकिया खरीदारी और सैर-सपाटे से भी तौबा करते हैं।

Wednesday, June 10, 2009

मेहंदी के आकर्षक डिजाईन / अनुभूति भीमवाल

ज़रा सोचें तो जिंदगी खुशिओं से भर जाए


1) A good companion: A good companion is not like the rain,
Which comes and goes.
Its like the air,
Some time very quite,

2)
Work hard till you succeed:

When U win in ur first attempt
people say its luck,
But if U win after a defeat they say as hard work.
Work hard till U succeed!!!
But constantly hanging around.

3) Truth of life:

We make them cry who care for us,
We cry for them who never care for us,
And we
care for them who will never cry for us…

4) Always make your absence:

Always make ur absence felt in such a way,
That somebody misses U,
But let not ur absence be so long,
That somebody starts learning 2 live without U!!!

5) Trust me that is true:

People die younger,
Because god loves them so much,
You're still on earth,
Because there's someone,
Who loves you more than god,
Trust me, that is true.


5) Knowing yourself is true wisdom:

Knowing others is intelligence,
Knowing yourself is true wisdom,
Mastering others is strength,
Mastering yourself is true power.

6) When someone loves you:

When some one loves you,
You don't realize it,
When you realize it, its too late.
You always love
the one who leaves you
And leave the one who loves you.

7) So much love for you:
If U r in luv, accept it, respect it & enjoy it.
But if U r not, then don't worry coz
Someone, somewhere must be wrapping up
So much luv for U.


8) Happiness is a perfume :


Happiness is a perfume .
You cannot spread on others
without getting a few drops on urself.
So always be happy
to make others happy !

9) The best is yet to come..:

If yesterday didn't end up
the way you planned, Just remember:
God created today for you
To start a new one! The best is yet to come!


10) Tackle life with all yur skills:

Tackle life with all ur skills
Overcome each and every hill
If u persist with all ur will
U will enjoy ur life and all its thrill's.


11) I want Peace:

Somebody asked god,
I want peace, god replied.
Remove that i as that is ego,
And peace will be automatically there


12) Never take someone for granted..:

Never take some one for granted,
Hold every person close to your Heart
Because you might wake up one day and realize
That you have lost a diamond
While you were too busy collecting stones

13) Think Postive always:

GODISNOWHERE
This can be read as GOD IS NO WHERE
Or as GOD IS NOW HERE
Everything depends on how do u see anything.
So think positive


14)
Aisa apna muqaam rakhna:

Dil main hamari yaad rakhna
Chehray par muskurahat rakhna
Kabhi koi hara na sakay
Aisa apna muqaam rakhna


15) Never break anyone's heart:
Never break anyone's heart,
While breaking heart of others
Think first what will happen
When someone will break your heart

16)
one day more to hope:
Every SUNSET gives us one day less to live
But every SUNRISE gives us one day more to hope

17)
God Bless you:

In times of difficulties don't say, "God have a big problem" Instead say, "hey problem I have a big God" Everything will be yours….God bless you

Friday, June 5, 2009

दुखी कौन रहता है ? - चाणक्य

अन अवस्थित कार्यस्य न जने न वने सुखं ।
जने दहति संसर्गो वने संगविवजनं । ।
जिस व्यक्ति ने अपने जीवन का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया होता और उसके अनुसार कार्य करने की योजना नहीं बनाई होती उसे न घर में और न जंगल में सुख मिलता है। ऐसे व्यक्तियों को परिवार , बंधु - बांधवों और धन-संपत्ति के प्रति मोह का भाव दुखी रखता है। ऐसे व्यक्ति जंगल में जाकर शान्ति की तलाश करते हैं तो वहाँ भी दुखी रहते हैं वहाँ उन्हें घर की चिंता दुखी करती है।
चाणक्य कहना चाहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए ।
*पुस्तक-चाणक्य नीति, संपादक- अशोक लव

संकट से भयभीत न हों : चाणक्य

तावद् भयेषु भेतव्यं यावद भयमनातं
आगत तू भयं प्रहर्तव्यमशंकया । ।

किसी भी प्रकार के संकट से तब तक भयभीत नहीं होना चाहिए जब तक संकट आ न जाए। संकट का सामना आत्मविश्वास और साहस के साथ करना चाहिए । संकट का सामान्य रहकर सामना करना चाहिए।
चाणक्य के कहने का अभिप्राय है कि कुछ लोग संकट के आने से पहले ही उसकी कल्पना करके डरते रहते हैंयह कायरता हैसंकट आया ही नहीं और पहले से ही घबरा गएजब आएगा तब क्या होगा? जब संकट आएगा तब संकट के अनुसार उसका डटकर सामना करना चाहिए
पुस्तक - चाणक्य नीति , संपादक-अशोक लव