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Saturday, March 21, 2009

परिचर्चा : ' युवाओं के समक्ष चुनौतियाँ ' प्रतिभागियों के विचार

ऋतु दत्ता (मेरठ)-- आज के युवा जानते हैं की आज बड़ी प्रतिस्पर्धा है। उन्होंने एक कदम धीमा किया तो उनके साथ का प्रतियोगी उनसे कहीं आगे निकल जाएगा। अपने आपको हर समय सक्रिय और गतिशील रखना, अपने आपमें चुनौती है। के युवा इसे खुले दिल से अपनाते हैं क्योंकि वे जानते हैं --
सपने उनके सच होते हैं , जिनके सपनों में जान होती है
पंखों से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है।
आज के युवाओं के लक्ष्य बड़े हैं। महत्त्वाकांक्षाएं भी बड़ी हैं । उन्होनें ' आसमान छूना है ' और उनके लिए 'सितारों से आगे जहाँ और भी हैं ।' उनके आंखों में बड़े -बड़े सपने हैं । वे अपने साथ अपनी कौम , अपने समाज और अपने देश के लिए भी कुछ करना चाहते हैं । समाज की कुरीतियों से लड़ना चाहते हैं .स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान देना चाहते हैं।
कीर्ति शर्मा लव ( नई दिल्ली )--आज के युवाओं के समक्ष पहले से अधिक चुनौतियाँ हैं। अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में --आर्थिक मंदी , ग्लोबल-वार्मिंग ,आंतंकवाद चुनौतियाँ हैं तो राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार , भौतिकतावाद ,अपराधीकरण ,नक्सलवाद , आर्थिक - मंदी आदि चुनौतियाँ हैं । शिक्षा के क्षेत्र में आज की पीढ़ी पहले से अधिक सतर्क और प्रतिभाशाली हुई है। युवा कला-संगीत , विज्ञान, चिकित्सा ,खेल ,और राजनीति --हर क्षेत्र में आगे आए हैं। युवाओं को सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष को समझ कर आगे बदना चाहिए । अगर देखा जाए तो हर पीढ़ी के युवा - वर्ग ने चुनौतियाँ स्वीकार करके अपने पूर्वजों से श्रेष्ठ कार्य किए हैं, इतिहास इसका साक्षी है।
...जारी

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