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Wednesday, March 18, 2009

डायबिटीज से [याददाश्त कम होना] का खतरा



वाशिंगटन। डायबिटीज को हमेशा से हृदय, आंखों व किडनी [गुर्दे] पर दुष्प्रभाव डालने वाला बताया जाता रहा है। एक ताजा शोध के मुताबिक डायबिटीज से आगे चलकर अल्जाइमर्स [याददाश्त कम होना] का खतरा भी हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय में डायबिटीज से मस्तिष्क की रक्त वाहिनियों को नुकसान पहुंचता है। यह तब और घातक साबित होता है जब डायबिटीज का पता लगने के पहले ही रक्त वाहिनियों को नुकसान पहुंचने लगे। इसके चलते धीरे-धीरे शरीर की रक्त शर्करा को नियंत्रित करने की क्षमता खत्म होने लगती है। यही आगे जाकर वेस्कुलर डिमेंशिया में बदल जाता है।

डायबिटीज पर नियंत्रण करके काफी हद तक मस्तिष्क व हृदय रोगों पर काबू पाया जा सकता है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अल्जाइमर्स विशेषज्ञ डा. याकोव स्टर्न के मुताबिक फिलहाल अल्जाइमर्स की पैथोलाजी के बारे में हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। लेकिन यदि मस्तिष्क की रक्त वाहिनियों को बचाए रखा जाए तो अल्जाइमर्स से काफी हद तक बचाव संभव है।

टाइप 2 डायबिटीज होने के पीछे मोटापे को काफी हद जिम्मेदार माना जाता है। पूरी दुनिया में टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित करीब 1.8 करोड़ लोगों के अल्जाइमर्स से पीड़ित होने की संभावना बताई गई है। उल्लेखनीय है कि टाइप 2 डायबिटीज को कार्डियोवेस्कुलर [हृदय-धमनी संबंधित] रोगों के लिए जिम्मेदार बताया जाता है। शोध के मुताबिक टाइप 2 डायबिटीज में रक्त शर्करा का बढ़ना मस्तिष्क की क्रियाशीलता को घटा देता है। न्यूयार्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डा. राल्फ निक्सन के मुताबिक 'डायबिटीज होने का मतलब यह नहीं है कि आप अल्जाइमर्स से पीड़ित हो सकते हैं। दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें डायबिटीज न होने के बावजूद अल्जाइमर्स है।'

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