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' माटी कुदम करेंदी यार ' --बुल्ले शाह *
माटी कुदम करेंदी यारवाह- वाह माटी दी गुलज़ार ।माटी घोड़ा , माटी जोड़ामाटी दा असवार । माटी माटी नूँ दौडावेमाटी दा खड़कार ।माटी माटी नूँ मारण लग्गीमाटी दे हथियार ।जिस माटी पर बहुती माटीसो माटी हंकार ।माटी बाग - बगीचा माटीमाटी दी गुलज़ार ।माटी माटी नूँ वेखन आईमाटी दी ए बहार ।हस खेड फिर माटी होवेसौंदी पाऊं पसार ।...........................................*
यार मिट्टी अजब खेल करती है
प्रस्तुति - सुभाष दत्ता (नई दिल्ली )
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