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Thursday, January 29, 2009

योगेश मेहता :जन्म-दिन पर हार्दिक शुभकामनाएँ




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Photo योगेश मेहता :जन्म-दिन पर हार्दिक शुभकामनाएँ इसी तरह समस्त उत्तरदायित्व निभाते रहे!
-- " जय मोहयाल " परिवार

समीक्षा :अशोक लव द्वारा मानवीय चेतना को झकझोरने का प्रयास / * डॉ कंचन छिब्बर

पुस्तक ' ' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान' हस्तगत है। उत्कृष्ट! अपूर्व! अद्भुत! हृदयस्थ अनुभूतियों को वैचारिक अभिव्यक्ति में विवर्तित करने का सद्प्रयास !लेकिन कवि का प्रयोजन भावों की अभिव्यंजना से भी आगे जाकर मानवीय चेतना को झकझोरने का प्रयास करना है। वे केवल आशाओं के जुगनू ही नहीं चमकाते , उस रोशनी से चेतना के सूरज उगाते हैं।
संग्रह का मुख्य स्वर समाजोन्मुखता का है। प्रथम तीन खंडों - नारी , संघर्ष और चिंतन में यथार्थ के प्रति सावधान रहने का आग्रह और भविष्य को संवारने की ललक स्पष्ट दिखाई देती है।
'नारी' खंड में ' माँ और कविता ', 'आशीर्वादों की कामधेनु ',नारी के मातृरूप की वंदना है तो 'बालिकाएँ जन्म लेती रहेंगी ' और 'करतारो सुर्खियाँ बनाती रहेंगी ' इक्कीसवीं सदी की नारी - दुर्दशा की वास्तविक कारुणिक कथा हैं जो गाहन विचारणा को उत्पन्न करती हैं। परिस्थितियों के प्रति सकारात्मक विरोध दर्ज़ कराती इस खंड की अन्य कविताएँ ,विशेषत: शीर्ष कविता लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान' तथा 'द्रौपदी' अशोक लव की जागरुक काव्य-दृष्टि की परिचायक हैं।
'संघर्ष ' खंड की कवितायेँ समक्ष उपस्थित सामाजिक और राजनीतिक परिवेशगत कथ्यों के संसार को सहृदयों के सामने प्रस्तुत करती हैं। इस खंड की सभी कविताएँ ऐसी ही हैं लेकिन 'मारा गया एक और' तथा 'मारा गया एक खास ' लाजवाब हैं,बेमिसाल हैं।
'चिंतन' खंड में जीवन के बहुपक्षीय चिंतन हैं। 'हम दोनों फिर मिले ' का सहज सौंदर्य ध्यातव्य है
'प्रेम' खंड की कविताओं में छायावादी सौन्दर्य -अनुभूति के दर्शन होते हैं 'देह-दीपोत्सव' इस खंड की श्रेष्ठतम कविता कही जा सकती है। यह ऐंद्रिकता से परे प्रार्थना के संसार में ले जाती है। 'दिनकर' का 'काम- अध्यात्म' इस कविता से पुनः स्मृत हो जाता है।
अभिव्यक्ति-पक्ष की बात है, इसमें रचनाकार काम विशेष आग्रह दिखाई नहीं पड़ता। स्वाभाविकता के प्रवाह में अनायास ही शैली ,बिम्ब,अलंकार आदि जो शिल्प -मुक्त-माणिक्य बहते चले आए हैं ,कवि ने उन्हें संजो लिया है इसी प्रकार उद्देश्य एवं संप्रेषणयीता में सहायक शब्दावली में भाषिक साग्रहता नहीं है। आम बोलचाल,पंजाबी,अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों के साथ ही परिष्कृत संस्कृतगर्भित भाषा भी प्रयुक्त हुई है। ' परम्पराओं के पत्थर ' , ' पसीने की स्याही ' काम रूपक हो या 'संजीवनी का स्पर्श ' में उपमा अलंकार , सब अनायास आए हैं।
' लड़कियाँ छूना चाहती हैं ' की सबसे बड़ी विशेषता इसकी बिम्बात्मकता है। चित्रात्मकता का यह गुण सर्वत्र उपलब्ध है ' आशीर्वादों की कामधेनु ' में पौराणिक बिम्ब क्या नहीं कह जाता ! 'पसीने की स्याही ' का सामाजिक बिम्ब या फिर ' परम्पराओं के पत्थर ' का सांस्कृतिक बिम्ब दर्शाते हैं कि किस प्रकार अशोक लव ने वातावरण-निर्माण के लिए सर्जनात्मक काल्पनिकता के सार्थक प्रयोग किए हैं
इसी क्रम में यदि अप्रस्तुत - विधान की बात की जाए तो सादृश्य - आधृत अप्रस्तुत-विधान के चारों रूप - मूर्त के साथ मूर्त का संयोजन ,मूर्त के साथ अमूर्त का संयोजन , अमूर्त के साथ मूर्त का संयोजन और अमूर्त के साथ अमूर्त का संयोजन , संग्रह में दिखाई देते हैं
' लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान ' पठनीय एवं संग्रहणीय कृति है परिपक्व कृतिकार अशोक लव का यह काव्यात्मक प्रयास सार्थक एवं प्रशंस्य है यह कविता के दायित्वों को स्पष्ट रेखांकित करने में समर्थ है -

" सूरज के आगे अंधेरों की
कितनी ही चादरें तान लें
कर देता है सूरज उन्हें तार-तार
अपनी रोशनी से;
उन्हें शिकायत है कि
कविता सूरज क्यों है
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*समीक्षक :डॉ कंचन छिब्बर ( आगरा ) *पुस्तक- लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान
*कवि- अशोक लव ,फ्लैट-३६३,सूर्य अपार्टमेंट ,सेक्टर-,द्वारका , नई दिल्ली-११००७५ * पृष्ठ -११२, *मूल्य-१००/रु ,प्रकाशन-वर्ष : २००८

Wednesday, January 28, 2009

एन आर आई यानी प्रवासी भारतीय : ज़रूरी जानकारी


रोजगार पाने या अपना बिजनेस चलाने के लिए, निश्चित या अनिश्चित समय के लिए भारत से बाहर जो भारतीय नागरिक रहते हैं उन्हें अप्रवासी भारतीय माना जाता है। (एक व्यक्ति जिसे केंद्र या राज्य सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र में या विदेशों में भेजा जाता है या जो व्यक्ति पब्लिक अंडरटेकिंग कंपनियों में करार के तहत काम करने विदेश जाता है वह भी इस श्रेणी में आता है। ) अप्रवासी भारतीय जिन्हें विदेशी नागरिकता प्राप्त है, को भी लगभग वही सुविधाएं प्राप्त होंगी जो अप्रवासी भारतीयों को।

क. भारत में बैंक आउंट खुलवाने शेयर और सेक्यूरिटी बांड में निवेश करने में सुविधा प्रदान करने के मद्देनजर - एक विदेशी नागरिक(पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों को छोड़कर) को निम्नंकित शर्तो पर भारतीय मूल का माना जा सकता है-

1. वह भारतीय पासपोर्ट धारक हो।

2. भारतीय संविधान की धाराओं तथा नागरिकता अधनियम 1955 के अनुसार किसी व्यक्ति के अभिभाव या उसके पूर्वज भारतीय नागरिक रहे हों।

नोट:- भारत या भारतीय मूल के नागरिक की पत्‍‌नी(पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों को छोड़कर) को भी भारतीय नागरिक का दर्जा दिया जाएगा। लेकिन इन्हें बैंक काउंट खोलने, शेयर, सेक्यूरिटी बांड खरीदने जैसे कार्य अपने प्रवासी भारतीय पत्‍‌नी के साथ ही करना होगा।

ख.- अचल संपत्तियों में निवेश के लिए विदेशी नागरिक (पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका और नेपाल के नागरिकों को छोड़कर) भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकता है, अगर-

3. वह भारतीय पासपोर्ट धारक हो।

4. भारतीय संविधान या 1955 के नागरिकता अधिनियम के तहत उसके माता-पिता या पूर्वज भारतीय नागरिक रहे हों।

इसका मतलब ओवरसीज कारपोरेट बॉडिज एक ऐसी संस्थान है जिसका किसी भारतीय या भारतीय मूल के व्यक्ति द्वारा 60 प्रतिशत से अधिक संपत्ती का स्वामित्व हो अप्रवासी भारतीयों को दी जाने वाली सारी सुविधाएं ओसीबी को तब तक प्राप्त होंगी जब तक कि उनका संस्थान पर स्वामित्व रहेगा तथा उनकी संस्था लाभ कमाने की स्थिति में रहेगी।

भारत में पैसे केवल सामान्य बैंकिंग चैनल द्वारा ही किया जा सकता है। हालांकि खाड़ी क्षेत्रों में स्थित एक्सचेंज हाउस को भी भारत में पैसे भेजने का अधिकार दिया गया है। इसके लिए उसे डिमांड ड्राफ्ट, मेल ट्रांसफर और टेलिग्राफिक आर्डर जैसे माध्यमों को अपनाना होगा।

अप्रवासी भारतीय जिन बैंक खातों का प्रयोग कर सकते हैं उन्हें निमनंकित शीर्षकों में सूचीबद्ध कर सकते हैं:-

क. वर्गीकरण का आधार बैंक खाता की मुद्रा होनी चाहिए।

1. भारतीय रुपया

2. विदेशी मुद्रा खाता

ख. फंड के आधार पर वर्गीकरण

अप्रवासी भारतीय किसी भी बैंक में खाता खुलवाने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके लिए किसी भी बैंक से अग्रिम अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

' सब सम्भव है '


- ओबामा ने कर दिखाया

21 वर्ष पहले ओबामा अपने गाँव में फूस की छत के कच्चे घर के बाहरयहाँ से आरंभ हुई

व्हाइट हाउस की यात्रा
20 जनवरी 2009 ओबामा ने अमेरिका के

(44 वें) राष्ट्रपति के पद को संभाला


Tuesday, January 20, 2009

समीक्षा -' लडकियां छूना चाहती हैं आसमान ' /*समीक्षक-रश्मि प्रभा

अशोक लव जी एक बहुआयामी प्रतिभा के विशिष्ट लेखक हैं-उनके विषय में लिखना,मुझे गौरवान्वित तो कर रहा है,पर एक-एक शब्द सूर्य के निकट दीये की मानिंद ही प्रतीत होंगे ।
अशोक लव जी से मेरे परिचय का माध्यम उनका ब्लॉग बना - "लडकियां छूना चाहती हैं आसमान" विषय ने मुझे आकर्षित किया। लड़कियों के प्रति आम मानसिकता हमसे छुपी नहीं है.....उससे अलग उनकी ख्वाहिशों को किसने परिलक्षित किया , यह जानने को मेरे कदम उधर बढे,
'बेटियाँ होती ठंडी हवाएं
तपते ह्रदय को शीतल करनेवाली,
बेटियाँ होती हैं सदाबहार फूल ,
खिली रहती हैं जीवन भर .....'
मैं मुग्ध भाव लिए पढ़ती गई और अपने विचार भी प्रेषित किए, मेरी खुशी और बढ़ी,जब मैंने उन्हें ऑरकुट पर भी
पाया और विस्तृत रूप से उनकी उपलब्धियों के निकट आई।
इनको पढ़ते हुए लगा , समाज की संकीर्ण मानसिकता के आगे लड़कियों की महत्वकांक्षा को इन्होने बखूबी परिलक्षित किया है;
' लडकियां
अपने रक्त से लिख रही हैं
नए गीत
वे पसीने की स्याही में डुबाकर देह
रच रही हैं
नए ग्रन्थ !'
लड़कियों की खुद्दारी को परिभाषित करती हैं,वरना पूर्व समाज का ढांचा था,
'पुत्रियाँ होती हैं जिम्मेदारियाँ
जितनी जल्दी निपट जाए जिम्मेदारियाँ
अच्छा रहता है..........'
दर्द का एक आवेग उभरता है इन पंक्तियों में -
'पिता निहारते हैं उंगलियाँ
जिन्हें पकड़कर सिखाया था
बेटियों को टेढ़े - मेढ़े पाँव रखकर चलना...........
कितनी जल्दी बड़ी हो जाती हैं बेटियाँ '
कविताओं की यात्रा के दौरान मुझे लगा कि आए दिन की घटनाओं से इनकी निजी ज़िन्दगी भी प्रभावित होगी, यानी किसी बेटी कि ज़िन्दगी का कोई पक्ष और अपने विचारों कि रास थामकर मैंने पूछ ही लिया........मुझे बहुत खुशी हुई ,जब मैंने जाना कि इनको तीन तीन पुत्रियाँ (ऋचा,पल्लवी,और पारुल),इनके विचारों का उज्जवल प्रवाह हैं, काव्य का स्तम्भ हैं ।
इनकी सूक्ष्म विवेचना इनके सूक्ष्म संवेदनशील मन को दर्शाता है,जो समाज के घृणित घेरे से निकलकर लड़कियों के आसमानी ख्यालों को,उनकी ऊँची उड़ान को शब्दों की बानगी देता है।
अशोक जी ने स्त्री के हर रूप को सामाजिक कैनवास पर उतारा है और विभिन्न विशिष्ट रंगों से संवारा है - माँ के रूप को चित्रित करते हुए कहा है;
'माँ !
उर्जावान प्रकाशमय सूर्य-सी
रखती आलोकित दुर्गम पथ
करती संचरित हृदयों में
लक्ष्यों तक पहुँचने की ऊर्जा !'
एक युवती,एक बहन,एक पत्नी को शब्दों की अद्भुत बानगी दी है।
भ्रूण ह्त्या के ख़िलाफ़ भी एक लडकी को दृढ़ता दी है -
' माँ !
तुम स्वयं को भूल गई,
तुम भी बालिका थी,
पर नहीं की थी
तुम्हारी माँ ने तुम्हारी ह्त्या
दिया था तुम्हे जन्म
दिया था तुम्हे ज़िंदा रहने का,
जीने का अधिकार !'
इसी समाज का कवि भी है,पर अपनी कलम को तलवार बनाकर पुरुषों की मानसिकता पर हर तरह से वार किया है,जो वन्दनीये है। मन के हर भावों को प्रस्तुत करते हुए , अपनी लम्बी यात्रा के हर अनुभव को सार्थक बनाया है। सत्य का पुट हर कविता में है , जिसने स्त्री के हर दर्द और निश्चय को चित्रमान कर दिया है । दुःस्वप्न और वर्तमान के अंतःकरण में खुले आकाश को विस्तार दिया है। सृजन के क्षणों में अचेतन का दर्द अधिक मुखर है,हर कविता जीवंत लगती है;
'बेटियाँ होती हैं मरहम
गहरे-से-गहरे घाव को भर देती हैं
संजीवनी स्पर्श से ...........
लडकी के कोमल स्वरुप को दर्शाती है !.....................मातृत्व को कवि ने 'कविता' का दर्जा दिया है,
'माँ की देह से सर्जित देहें
उसकी कवितायें हैं
बहुत अच्छी लगती हैं माँ को
अपनी कवितायें !'
संघर्ष का ताना-बाना रचते हुए कवि ने नारी की जिजीविषा को एक सांकेतिक स्वरुप में पिरोया है;
'तपती है मोम
आग बन जाती है
चिपककर झुलसा देती है !
........
समयानुसार जीवन को मोम बनना पड़ता है.....'
शुरू से अंत तक प्रवाह बना रहता है, कवितायें दिल को छूती हैं.....हर सन्दर्भ में कवि की चेतना जागृत है। संकलन की बहुत सारी रचनाओं में प्राणों की आहत वेदना झलकती है ।
रचनाओं के बीच से गुजरते हुए मुझे हर पल एहसास हुआ कि कवि ने सामाजिक विषमता को नज़दीक से महसूस किया है,एक अनुभवी दस्तावेज़ की तरह उनकी भावनाएं पुस्तक को एक नया आयाम देती है।
इनदिनों अपने समय का आइना बनकर लड़कियों कि छवि को दर्शानेवाला धारावाहिक 'बालिका वधू'लड़कियोंकी स्थिति को उजागर करता है । एक १३,१४ साल की लडकी , एक ३५ वर्ष का पुरूष ..............ऐसी बंदिशों से बाहर निकलकर लड़कियों ने अपनी मर्यादा की नई तस्वीर बनाई है , जिसे लव जी ने अपने काव्य में ढाला है ।
इस काव्य के उज्जवल पक्ष को यदि पुरूष समाज पढ़े और लड़कियों के आसमान को मुक्त करे तो बात बन सकती है। युगों से दबाकर रखी गई प्रकृति की सबसे मजबूत शक्सियत को आगे लेकर जाने में अगर पुरूष पाठक सहयात्री की भूमिका निभा सकें तो अपने पूर्वजों की उन गलतियों का प्रायश्चित कर सकेंगे , जो लड़कियों के साथ की गई। कवि के इस संग्रह का सार यही है।
भाषा की सरलता का ध्यान कवि ने पूरी तरह से रखा है ताकि एक आम परिवेश तक इसमें छुपा संदेश पहुँच सके। *
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*पुस्तक - लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान *कवि- अशोक लव *प्रकाशन वर्ष-२००८, प्रकाशक-सुकीर्ति प्रकाशन,कैथल *मूल्य-१०० रु.*कवि सम्पर्क- फ्लैट-३६३,सूर्य अपार्टमेन्ट ,सेक्टर-६,द्वारका,नई दिल्ली-११००७५ (मो) 9971010063