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Tuesday, December 30, 2008

नई पुस्तक : डॉ नीना छिब्बर का कविता- संग्रह "आकांक्षा की ओर "/ अशोक लव

कविताएँ जीवन के अनुभवों की , भावनाओं की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति हैं। मन जितनी कल्पनाएँ कर सकता है , भावनाएं अनुभूतियों को जितनी गहनता से अनुभव करती हैं , कविता के स्वर उतने ही प्रभावशाली बनकर अभिव्यक्त होते हैं। कविता सीधे हृदय से संचरित होती है,हृदय के तारोंकी सुरमय अभिव्यक्ति कविता है। कवि के हृदय के भाव जितने गहन होते हैं , कविता उतनी गहन होती है।
डॉ नीना छिब्बर की कविताओं से गुज़रते समय यही लगा की कवयित्री ने जीवन - यात्रा के क्षण-क्षण जीवन्तता से जिए हैं। अनुभवों को संवेदनाओं के साथ शब्दों के आवरण में लपेटा है। यूँ अनुभव करना,भावनात्मक स्तर पर जीना पूर्णतया भिन्न होता है। कवयित्री ने इनमें सामंजस्य का प्रयास किया है।
" आकांक्षा की ओर " की कविताओं में कवयित्री की भिन्न भावों की कविताएँ संकलित हैं। लेखन से जुड़े उन्हें दशक से अधिक से अधिक हो गया है। प्रकाशन की दिशा में यह उनकी प्रथम कृति है। उनकी लेखन प्रतिभा का परिचय मुझे संपादक के रूप में हुआ था। "मोहयाल मित्र " पत्रिका का संपादन करते दो दशक से अधिक हो गए हैं । इसके लिए उनकी रचनाएँ आने लगीं तो लगा की इस लेखिका / कवयित्री में गाम्भीर्य है। भावों को कलमबद्ध करने की क्षमता है। उनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित कीं। इसी के साथ उनके साथ संपर्क हुआ और संबंधों में पारिवारिकता आती चली गई।
उनकी कविताएँ सहज हैं। एकदमआम बोलचाल की भाषा में लिखी गई हैं। कहीं दुरूहता नहीं है। साहित्यिक मानदंडों के संसार से दूर डॉ नीना छिब्बर जो अनुभव करती हैं उसे सहजता से कविता का रूप देती चली जाती हैं। इसलिए इनमें विषय-वैविध्य है। प्रेम है तो संघर्ष भी है। हृदय पक्ष प्रबल है तो कहीं बुद्धि का आश्रय लेती भी दिखाई देती हैं।
आए हो तुम यह कहा जब किसी ने
आँखें भर आईं मुद्दत के बाद
विरहाग्नि में दग्ध कवयित्री का हृदय मिलन की अनुभूति मात्र से सिहरित हो उठता है और अश्रु आंखों को भिगो देते हैं। 'मुद्दत के बाद ' श्रृंगार रस की श्रेष्ठ कविता है। 'प्रतीक्षा' में भी कवयित्री प्रेम भाव में डूबी है। कलियाँ, बादल, बिजली, धरती, आकाश- इन प्रतीकों के माध्यम से कवयित्री अपनी विरह वेदना अभिव्यक्त करती है। प्रियतम के आने के संदेश की प्रतीक्षा करते हुए वे कहती हैं-
इस मौसम में ठंडी लहरों जैसी बरखा
मुझको छूकर तेरे प्रणय का संदेश दे जाती है
तभी तो कब से खिड़की पर बैठी करती हूँ प्रतीक्षा।
कवयित्री ने माँ ,बेटियों और नारियों पर श्रेष्ठ कविताएँ लिखी हैं । इनके माध्यम से नारी के जीवन का संघर्ष उभरकर आया है। स्वयं नारी और माँ होने के कारण इन कविताओं के स्वर विशिष्टता लिए हैं। 'बेटियाँ' कविता की ये पंक्तियाँ -
बेटियाँ होती हैं छुई- मुई का पौधा
जो स्पर्श ही नहीं , नज़रों की चमक से शरमा जाती हैं
अथवा
बूढी माँ अपनी आंखों से रात भर
खून और जल के आंसू पीती है।
इनमें एक ओर ममत्व छलकता है तो दूसरी ओर वृद्धा की पीडाएं मन को भिगो देती हैं।
कवयित्री की रचनाएँ उनके कवित्व की संभावनाएं समेटे हैं। हिन्दी साहित्य को समर्पित यह उनका प्रथम पुष्प कवि-हृदयों को सुगन्धित करेगा। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। आशा है वे निरंतर सृजनरत रहेंगी और हिन्दी साहित्य को श्रेष्ठ कृतियों से समृद्ध करेंगी। **
* डॉ नीना छिब्बर , ६५३/ ,चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड , जोधपुर (राज )
फ़ोन 0291-2712798

Friday, December 26, 2008


बाएँ से --रवि बक्शी (संपादक राष्ट्र का मोह,सहारनपुर),डॉ भाई महावीर (पूर्व राज्यपाल म प्र) ,अशोक लव
*मोहयाल-दिवस ९.११.०८ ,नई दिल्ली
*रिश्ते- नाते सम्मेलन १४.१२.०८
डॉ सुरेन्द्र कुमार लौ,अशोक लव, विनय बाली
पवन बाली(मोहयाल सभा जालंधर),जे पी मेहता (अध्यक्ष मोहयाल सभा अम्बाला),योगेश मेहता (युवा एवं सांस्कृतिक सचिव ,जी एम एस),अशवनी बाली (अध्यक्ष मोहयाल सभा महरौली )।
१४.१२.०८ रिश्ते -नाते सम्मेलन,नई दिल्ली .
*प्रतिभाशाली मोहयाल विद्यार्थी सम्मान-2008
*प्रतिभाशाली मोहयाल विद्यार्थी सम्मान -2008
*१४.१२.२००८
अशोक लव,रायजादा बी डी बाली ,बी एल छिब्बर
*रिश्ते-नाते सम्मलेन १४.१२.२००८,नयी दिल्ली
.....................................................................
बी डी बाली (माइक पर),(पीछे ) के लता छिब्बर
(मंच पर )एस के छिब्बर,अशोक लव,बी एल छिब्बर,ओ पी मोहन,जे पी मेहता ,डी वी मोहन,एन डी दत्ता.
मोहयाल आश्रम हरिद्वार

(दायें से)- अशोक लव,एस एन दत्ता ,एन डी दत्ता,बी के एल छिब्बर, डी वी मोहन,जी एल दत्ता जोश,रायजादा बी डी बाली,योगेश मेहता, अशवनी बाली,ओ पी मोहन, एस के छिब्बर,बी एल छिब्बर,जे पी मेहता ,अशवनी बक्षी ।
(बैठे हुए, बाएँ से)- ले जनरल एम् एल छिब्बर (पदमभूषण),डॉ भाई महावीर (पूर्व राज्यपाल एम.पी.),पदमभूषण जगमोहन (पूर्व राज्यपाल जे-के),वी एन दत्ता (इतिहासकार),ले जनरल एच सी दत्ता ।
*चौथा मोहयाल-दिवस,नई दिल्ली .(९ नवम्बर२००८)

मोहयाल-रत्न रायजादा बी डी बाली मोहयाल-दिवस पर मुख्य-अतिथि पद्मभूषण जगमोहन को सम्मानित करते हुए.

मोहयाल-दिवस ९.११.०८ ,मुख्य-अतिथि पद्मभूषण जगमोहन (पूर्व राज्यपाल जम्मू-कश्मीर) को मोहयाल-फौन्डेशन दिखाते हुए मेहता ओ पी मोहन (वाइस प्रेजिडेंट),पीछे रायजादा बी डी बाली(प्रेजिडेंट जनरल मोहयाल सभा ) और बक्शी एस के छिब्बर(पूर्व उपराज्यपाल मिजोरम).
मोहयाल- दिवस (चौथा )
का संचालन करते हुए
9नवम्बर 2008

Wednesday, December 24, 2008

(दायें से)
ओ पी मोहन, अशोक लव, बक्शी एस के छिब्बर, एल जनरल एम एल छिब्बर,वी एन दत्ता, राजेश्वर चौधरी ,एन डी दत्ता,बी एल छिब्बर।
मोहयाल-दिवस,९.११.२००८
(दायें से)
ओ पी मोहन,अशोक लव,एस के छिब्बर ,राजेश्वर चौधरी,बी एल छिब्बर
दीप प्रज्वलित करते हुए - भाई महावीर,एस के छिब्बर,अशोक लव, के लता छिब्बर

Friday, October 10, 2008

मोहयाल इतिहास

मोहयालों का भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रहा है.अभी तक हिन्दी में मोहयालों का इतिहास नहीं लिखा गया है। इस दिशा में मैंने पहल की है। आप सबसे अनुरोध है कि आपके पास जो भी उपलब्ध सामग्री है उसे निम्न पते पर भेजें
अशोक लव ,३६३, सूर्य अपार्टमेन्ट,सेक्टर -६,द्वारका, नई दिल्ली-110075