Friday, August 7, 2020

International Webinar on Shri Rama presided by Shri Ashok Lav

'श्री राम सदैव प्रासंगिक रहेंगे’ - सर्वभाषा ट्रस्ट के वेबिनार में श्री राम छाए रहे.
श्री राम जन्मभूमि शिलान्यास के अवसर पर सर्वभाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा 4 और 5 अगस्त को ‘सामयिक पस्थितियों में श्री राम की प्रासंगिकता’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया, जिसमें देश-विदेश के विद्वानों, प्राध्यापकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में पहले दिन वाराणसी के प्रख्यात विद्वान डाॅ. अर्जुन तिवारी मुख्य अतिथि थे। जबकि सर्वभाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री अशोव लव जी ने दोनों दिन अध्यक्षता की। दूसरे दिन के मुख्य अतिथि पटना के श्रीराम कथा मर्मज्ञ, ज्योतिष श्री मार्कण्डेय शारदेय जी थे। पहले दिन के वक्ताओं में डाॅ. सुमन सिंह, डाॅ. रचना शर्मा, श्री यशपाल निर्मल और सर्वभाषा ट्रस्ट के समन्वयक केशव मोहन पाण्डेय थे जबकि दूसरे दिन मार्कण्डेय शारदेय, श्री अशोक लव, श्री राकेश मल्होत्रा (शिकागो, अमेरिका), एयर मार्शल लालजी वर्मा, डाॅ. मोनिका शर्मा, डाॅ. विवेक पाण्डेय आदि का वक्तव्य हुआ।
वेबिनार की शुरुआत भी श्रीराम भजन से की गई, तत्पश्चात हिंदी-भोजपुरी के साहित्यकार जे.पी. द्विवेदी ने सभी वक्ताओं व अतिथियों का स्वागत किया। प्रथम वक्ता के रूप में डाॅ. सुमन सिंह ने कहा कि राम भारतीय मनीषा के चिंतन के चरम हैं। राम परम शक्ति हैं। वे त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। श्रीराम ने जीवन भर त्याग किया। वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. अर्जुन तिवारी ने कहा कि जिसने राम को स्पर्श किया, उसका जीवन स्वर्ण हो गया। जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, जिसे राम ने स्पर्श किया, उसे स्वर्णिम बना दिया। राम आर्यावर्त के प्रथम पुरुष थे जिन्होंने संपूर्ण राष्ट्र को एक उन्नत दिशा दी।
अध्यक्षता कर रहे सर्वभाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक लव ने कहा कि विश्व के कोने-कोने में जहाँ-जहाँ भारतीय हैं, वहाँ-वहाँ श्री राम रहेंगे, भारतीय संस्कृति रहेगी। राम राजधर्म को स्थापित करने वाले सबसे बढ़े शासक भी हैं और पालक भी हैं। अगली वक्ता के रूप में बोलते हुए डाॅ. रचना शर्मा जी ने कहा कि राम वास्तविक चरित्र के नायक हैं राम का चरित्र समग्र भारतीय चेतना, जीवन-दृष्टि को समृद्ध करने वाला चरित्र है। केशव मोहन पाण्डेय ने कहा कि श्री राम भारतीय जनमानस के अंतःकरण में बसा नाम है। राम का नाम जन-जन को क्षण-क्षण प्रेरित करता है।
दूसरे दिन की शुरुआत श्री राकेश मल्होत्रा (शिकागो, अमेरिका), के वक्तव्य से हुई। उन्होंने बताया कि राम नर से नारायण बनने का साक्षात उदाहरण हैं। उनकी नैतिकता हमें उर्जा देती है। उनका हर कार्य हमारे विवेक को जगाता है। वे धैर्य की प्रतिमूर्ति हैं। सर्वभाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री अशोक लव ने कहा कि व्यक्ति जीवन में एक आश्रय ढूँढता है कि कौन व्यक्ति ऐसा है, कौन महान हुआ जिनके जीवन-चरित को हम अपने जीवन में उतारें तो उचित संबल मिलेगा। यही होती है प्रासंगिकता। आज कोविड की महामारी हो या सामान्य दिनों की बात, श्री राम ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिन्हें हर व्यक्ति सदा स्वयं में उतारना चाहता है। मार्कण्डेय शारदेय जी ने कहा कि राम केवल पूजनीय नहीं, अनुकरणीय भी हैं। उन्हें ब्रह्म मानकर केवल पूजनीय ही नहीं रखा जाय। जब तक राम अनुकरणीय नहीं रहेंगे, हमारा चारित्रिक विकास नहीं होगा। एयर मार्शल लाल जी वर्मा ने कहा कि राम की प्रासंगिकता सदियों पुरानी है और सदियों तक रहेगी। केशव मोहन पाण्डेय ने कहा कि राम ने अपने साहस के बल पर सामान्य जन के कष्टों की अनुभूति करने के साथ ही आदर्श की भी स्थापना की। सबका साथ दिया, सबका साथ लिया भी। चित्रकूट में वास करते समय भेद रहित होकर कोल-भीलों का साहचर्य लिया, - ‘कोल किरात बेष सब आए। रचे परन तृन सदन सुहाए।।/बरनि न जाहिं मंजु दुइ साला। एक ललित लघु एक बिसाला।।’ आज अयोध्या में भूमिपूजन भी सबके साथ से ही संभव हुआ है।





Sunday, January 19, 2020

सर्वजन हिताय श्रीमद्भागवतगीता आज ही ऑर्डर करें

भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से साहित्यकार अशोक लव द्वारा गीता के एकदम नए रूप में लिखा गया है। इसमें महाभारत को सचित्र संक्षिप्त रूप में भी सम्मिलित किया गया है। गीता के ●प्रत्येक अध्याय के पश्चात उसका संक्षिप्त सार दिया गया है। उससे संबंधित प्रश्न दिए गए हैं।
●ग्रंथ के अंत में महाभारत के पात्रों के परिचय दिए गए हैं।
●गीता में आए श्री कृष्ण और अर्जुन के नामों के अर्थ दिए गए हैं।
●श्लोकों के अकारादिक्रम से श्लोक संख्या और पृष्ठ संख्या दी गई है।
●यह पवित्र और कल्याणकारी  ग्रंथ पहली बार इस रूप में प्रकाशित हुआ है।
   ~केशव मोहन पांडेय, सर्व भाषा ट्रस्ट , नई दिल्ली।
पृष्ठ संख्या-352, मूल्य-350 रुपए।डाक खर्च - श्री कृष्ण भक्तों के लिए निःशुल्क
इस पवित्र ग्रंथ को मंगाने के लिए संपर्क करें -
+91-8920608821


अशोक लव के उपन्यास 'शिखरों से आगे' का केशव मोहन पांडेय द्वारा भोजपुरी अनुवाद



अशोक लव का दोहा : दुखी सकल संसार


Shikhron Se Aage , novel by Ashok Lav in Book Fair Jan 2020


Ashok Lav's book released by Mehak Sabherwal

नन्हीं बालिका महक सब्बरवाल ने अशोक लव की पुस्तक का लोकार्पण किया।

अशोक लव का उपन्यास शिखरों से आगे

अशोक लव अपना उपन्यास 'शिखरों से आगे' जनाब सिब्ते रज़ी(पूर्व राज्यपाल) को भेंट करते हुए 

Ashok Lav's interview in The Global Times

Ashok Lav अशोक लव 

Saturday, May 12, 2018

Sarv Bhasha Trust Utsav : Litterateur honoured


Sarv Bhasha Trust Utsav : Grand Show



'सर्व भाषा साहित्य उत्सव' का सफल आयोजन

नई दिल्ली। भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति पर काम करने वाली संस्था 'सर्व भाषा ट्रस्ट' द्वारा 'सर्व भाषा साहित्य उत्सव' का भव्य आयोजन गांधी शांति प्रतिष्ठान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मेहता ओ. पी. मोहन और नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. प्रसन्नांशु थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यास के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. अशोक लव ने की। मेहता ओ. पी. मोहन ने सर्व भाषा ट्रस्ट की नीतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस प्रकार भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा पर सबको जोड़ना सिखाती है, उसी प्रकार 'सर्व भाषा ट्रस्ट' द्वारा भी सबको जोड़ा ही जा रहा है।
'सर्व भाषा साहित्य उत्सव' तीन सत्र में विभाजित था। प्रथम सत्र में प्रसिद्ध चित्रकार असगर अली की संस्था कलाभूमि द्वारा चित्र प्रदर्शनी आयोजित की गई थी तथा द्वितीय सत्र में न्यास की त्रैमासिक ई-पत्रिका 'सर्व भाषा' के प्रवेशांक का लोकार्पण किया गया। उक्त अवसर पर संपादक केशव मोहन पाण्डेय ने बताया कि पत्रिका के इस पहले अंक में ही 75 रचनाकारों की कुल सत्रह भाषाओं में रचनाएँ प्रकाशित हैं। उन्होंने आने वाले अंकों में और अधिक भाषाओं की सहभागिता की बात कही। 'सर्व भाषा ट्रस्ट' के अध्यक्ष डाॅ. अशोक लव ने ट्रस्ट के उद्देश्यों और गतिविधियों की बृहद् जानकारी देते हुए नेक काम में सबको जुड़ने की बात कही। दैनिक वर्तमान अंकुर के सपादक श्री निर्मेश त्यागी को संस्था ने सम्मानित किया
पत्रिका के लोकार्पण के उपरांत डाॅ. राजीव कुमार पाण्डेय के हाइकु संग्रह 'मन की पाँखें' व लज्जाराम राघव 'तरूण' की दो पुस्तकें 'आँखिन देखी लघुकथाएँ' व 'रूको तो सही एक बार' का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के उसी क्रम में डाॅ. अशोक लव की चार बाल-साहित्य की पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इसके उपरांत अतिथियों को सम्मानित किया गया। मेहता ओ पी मोहन को 'राष्ट्र रत्न सम्मान' से अलंकृत किया गया, वही शिाक्षाविद् डाॅ. प्रसन्नांशु, फिल्म एक्सपर्ट उदयवीर सिंह सेनापति, वरिष्ठ पत्रकार अशोक चतुर्वेदी, श्री प्रदीप गुलाटी, जनाब फरहान परवेज़ व श्री प्रफुल्ल गोयल को 'सर्व भाषा सम्मान' से सम्माानित किया गया।
कार्यक्रम के अगले क्रम में 'मीडिया, भाषा और साहित्य' विषय पर परिचर्चा आयोजित थी, जिसकी प्रस्तावना में डाॅ. प्रसन्नांशु ने बड़ी ही गहराई और तार्कित ढंग से मीडिया, भाषा और साहित्य के अन्तःसंबंधों को बताया। फिल्म व मीडिया एक्सपर्ट उदयवीर सिंह 'सेनापति' ने मीडिया के लिए भाषा और साहित्य की नितांत आवश्यकता बताया। जयपुर से पधारे वयोवृद्ध पत्रकार श्री अशोक चतुर्वेदी ने भाषा के विकास के साथ ही संवर्धन और साहित्य लेखन के साथ पठन पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने सर्व भाषा ट्रस्ट के उद्देश्य और इसकी कल्पना पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। वक्ताओं के क्रम में श्री प्रदीप गुलाटी ने सर्व भाषा संवर्धन की सोच को एक प्रेरणाप्रद सोच बताते हुए इसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए हर संभव सहयोग देने की बात कही।
परिचर्चा सत्र के अंत में सर्व भाषा ट्रस्ट के अध्यक्ष डाॅ. अशोक लव ने कहा कि सर्व भाषा का उद्देश्य जोड़ना है। हमारा प्रयास है कि हर एक व्यक्ति को हम जोड़ें और सर्व भाषा, साहित्य, संस्कृति और कला के विकास के लिए काम करें। यह हमारा पहला प्रयास है।
'सर्व भाषा साहित्य उत्सव' का तीसरा सत्र 'सर्व भाषा काव्य गोष्ठी' था, जिसकी अध्यक्षता लोकप्रिय ग़ज़लगो श्री अजय अज्ञात जी ने की तथा जिसमें राजभाषा के पूर्व उपनिदेशक डाॅ. सरोज कुमार त्रिपाठी, डोगरी साहित्यकार श्री यशपाल निर्मल, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी का सानिध्य था। सर्व भाषा काव्य गोष्ठी में सम्मानित कवियों को 'सर्व भाषा सम्मान' से सम्मानित किया गया। उक्त कार्यक्रम में श्री यशपाल निर्मल व श्री केवल कुमार केवल जी, नैनीताल से श्रीमती नीलम नवीन नील, जयपुर से पं. दीपक शास्त्री, मोतिहारी से ज़नाब गुलरेज़ शहज़ाद, अम्बाला कैंट से श्री विकास शर्मा 'दक्ष' के अतिरिक्त श्री जयशंकर प्रसाद द्विवेदी, श्री जलज कुमार अनुपम,श्री राजकुमार अनुरागी, लाल बिहारी लाल, श्री राजकुमार श्रेष्ठ (नेपाली), डाॅ. दिग्विजय शर्मा 'द्रोण' (ब्रज), वरिश्ठ रचनाकर श्री निलय उपाध्याय (हिंदी), श्रीमती इंदुमती मिश्रा, श्री संदीप तोमर, डाॅ. दुर्गा चरण पाण्डेय, डाॅ. मनोज तिवारी, सत्यप्रकाश भारद्वाज, सुनीता अग्रवाल 'नेह', तरुणा पुंडीर, श्री मोहन शास्त्री, श्री सुनील सिन्हा, श्री मनीश झा (मैथिली), श्री कुमार देवेन्द्र (हिंदी), श्री सुरेन्द्र नारायण शर्मा, श्री अजय अक्स, श्रीमती शशि त्यागी आदि को सम्मानित किया गया।
'सर्व भाषा साहित्य उत्सव' के प्रथम व द्वितीय सत्र का संचालन श्रीमती रेजीना मुखर्जी ने किया वहीं तृतीय सत्र का संचालन श्रीमती रीतिका शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट की महासचिव श्रीमती रीता मिश्रा से सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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Sunday, April 22, 2018

Pandit Rambhaj Dutt Choudhry :Great Mohyal freedom fighter,reformer and poet

Pandit Rambhaj Dutt Choudhary
Freedom fighter , noted Gandhian & social reformer
Rishi Bhardwaj Gotra Rishi Datta
(26th Feb 1866--- 6th Aug1923)
                                                   -By Ashok Datta Choudhary
                                               Mob 8146508893
         “I had a Punjabi friend, Rambhaj Dutt Choudhary, who is now no more. Sometimes he composed poems. When he came out of jail he brought along a poem he had composed, and since he himself could not sing he asked his wife Sarala to sing it. In her melodious voice Sarala sang: “Never admit defeat even if you should lose life.” And I told myself that I would never accept defeat” - Gandhi Ji Speech at prayer meeting in Delhi on June 13, 1947.
                             
Pandit Rambhaj Dutt Choudhary was the son of Ch. Radha Krishan Dutt. He was born on 26th Feb 1866 in Kanjrur (now in West Pakistan). After completing his graduation from the F.C. College Lahore, he did his Law degree and started practice in the High Court of Lahore (now in West Pakistan). He was the founder member of Indian National Congress and had the privilege to attend all the session of Indian National Congress till his death. In 1905 he got married to Sarala Devi Choudharani, the niece of nationalist poet, Rabindranath Tagore. She was the first woman political leader of her time and she was the leader of the anti-British Govt. Her father Janakinath Ghoshal was one of the earliest secretaries of Indian National Congress.

Pandit Rambhaj Dutt Choudhary and his wife Sarala Devi Choudharani became followers of Mahatma Gandhi in 1919 and sent their son Dipak to Gandhi`s Ashram for education. Gandhi admired them for their patriotism and the spirit of self-sacrifice. He told the people of Gujrat that the message of Rambhaj Dutt which, according to him, was also the message of entire Punjab was fearlessness: "It asks you never to accept defeat, come what may, to love God and work on with patience and fortitude." His dedication to Swadeshi Movement was evident from his decision to exclude all foreign clothes during his son`s marriage. This further impressed Gandhiji. He also led relief work at the time of Kangra earthquake. Pandit ji was close to revolutionaries like Sardar Ajit Singh (uncle of Bhagat Singh), Lala Lajpat Rai, Lala Harkishan Lal and Master Amir Chand. He was also very close to leaders like  Balgangadhar Tilak, Pt. Madan Mohan Malaviya, Swami Sharaddhanand, Abdul Kalam Azad, Dr. Kitchlew, Dr. Satyapal, Shaukat Ali, and Surendranath Bannerji. 

Pandit Rambhaj Dutt Choudhary was a very respectable person in the Congress and Gandhiji had a special regard for him as he was highly impressed with his patriotism. Pandit Ji had played an important role in the various subject committee of Congress at national level. He took active part in the freedom struggle. After the Jallianwala Bagh massacre, he was arrested by British Govt.under Defence of India Rule and his property was confiscated. He took active part in Khilafat movement initiated by Mahatma Gandhi.

Rambhaj Dutt Choudhary was one of the few leaders of the Punjab who took keen interest in the activities of the Congress during the early period of its development. At its Lahore Session in 1900 he seconded the resolution moved by Surendranath Bannerji condemning the exclusion of Indians from higher Public Services and in this session he was elected a member of the Subjects Committee of Congress party. He also supported Tilak`s resolution on famine, poverty and land revenue at its Banaras Session in 1905. At its twenty-third session in 1908, he moved a resolution demanding that posts of higher ranks in the army might be thrown open to Indians. He represented Punjab on a committee appointed at the twenty-fifth session of the Congress at Allahabad in 1910 to prepare an Address to be presented to Lord Hardinge, the Viceroy and Governor-General of India. The resolution thanking the Government of India and the secretary of State for annulling the partition of Bengal passed at the twenty-sixth session in 1911 also received his support. He condemned the policy of racial discrimination of the Government of Canada at the 28th session of the congress in 1913 at Karachi. He opposed the Rowlatt Act. He, therefore, took prominent part in the agitation against this legislation. He composed a song at this time which was "Kadi Nahin Harna, Bhaven Sadi Jan Jave." This song caught the imagination of the people of the province. He presided over the memorable meeting at Bradlaugh Hall in Lahore on April 6, called to protest against Rowlatt Act. His fearless attacks on the Government added to his rising popularity and the British Government arrested him on April 14, 1919, along with Harkishan Lal and Duni Chand under Lahore Conspiracy case as a result of which he was sentenced to transportation for life and his property was confiscated. He was described as the "Chief Spokesman of the Conspiracy". He was released by the Secretary of State, Montague, to create favourable atmosphere for introduction of his reforms scheme.

He also presided over the first political conference at Rohtak on 6-8th November, 1920 to pass the non-cooperation resolution which was also attended by Lala lajpat Rai, Swami Satya Dev, Choudhary Chhotu Ram, K.A. Desai, Neki Ram Sharma, Choudhary Matu Ram(Grandfather of Bhupinder Singh Huda, Ex CM Haryana).

Pandit Rambhaj Dutt Choudhary did a lot of social work as well for the depressed classes of Punjab province. He is remembered by these people even today and since 1934 his birthday is celebrated as a mark of respect and recognition. Shri Jagjivan Ram and many others national leaders graced the function of his birthday celebration in Gurdaspur District. Moreover the people of depressed classes of Gurdaspur district still regard him as their Guru. A memorial (Pandit Rambhaj Dutt Veda Bhawan) was also setup by late Shri B D Birla. The foundation stone of this memorial was laid down by Smt. Kasturba Gandhi, wife of Mahatma Gandhi, at Awankha- Dinanagar, Distt Gurdaspur, Punjab  on 16th July 1934.

Like Lajpat Rai and Swami Sharaddhanand, Rambhaj Dutt Choudhary was a prominent member of the Arya Samaj. He was a forceful advocate of National Education and in pursuance of it he sent his eldest son, Jagdish to a gurukul for his education. He was also engaged in the programmes of the Arya Samaj that included the upliftment of the depressed classes. Panditji also struggled hard to eliminate discrimination against the backward through education and propaganda. His work in Gurdaspur district in this connection received the approbation of the people. He was the President of All India Shuddhi Sabha and converted about five lakhs people of Punjab and bring back them to the mainstream of Hinduism. He travelled from village to village with Aryas preaching and performing shuddhi process.  

Besides these he was well known journalist and launched two newspapers in Urdu & English, `The Hindustan. ` He was the member of the Municipal Corporation, Lahore and took an active part in the civic affairs. He was also a working committee member of Indian National congress . He went to England in September 1908 to explain to the British Government the cause of unrest in the Punjab province and the Government had to implement his scheme to cool down the unrest in the province.

Gandhi Ji had brotherly relation with Rambhaj Dutt Choudhary and it was Sarala Devi and Gandhi Ji proposed to Pandit Jawahar Lal Nehru to get Indira married to Dipak Dutt, the son of Pandit Rambhaj Dutt and Sarala Devi. The proposal, however, could not materialize. Their son, Dipak, later got married to the grand- niece of Mahatma Gandhi, Radha. Radha was the daughter of Maganlal Gandhi.

Both Rambhaj Dutt Choudhary and his wife Sarala Devi were champions of Indian freedom movement. Their selfless contribution to freedom struggle, upliftment of women, weaker section and patriotic literature which had inspired many to jump into the freedom struggle to free the India from British Raj have immortalised their names on the pages of Indian history. Pandit Rambhaj Dutt Choudhary died on 6th August, 1923 in Mussoorie. 







Thursday, March 30, 2017

General Mohyal Sabha 125th founder's Day : Mohyals Honoured

 General Mohyal Sabha celebrated it's 125th Founder's Day on 12th March 2017 at Talkatora Stadium. Mehta OP Mohan presided the function, Mehta DV Mohan and Lt Gen HC Dutta were guest of honour. Raizada BD Bali honoured prominent mohyals with momentoes. Mr PK Dutta was the organiser of ceremonies. Shri Ashok Lav conducted the programme.