Friday, August 26, 2011

1947 Punjab de Zakham

A Partition Survivor remembers

How Sikhs saved their women from Muslim Mobs during Partition of 1947

Katas Temple Documentary.mp4

chakwaal pakistan katas raj temple and much more

Katasraj, Shiva Wedding Celebrations, Chakwal, Sargodha, Pakistan

Katasraj, Shiv Pujan in Pakistan at Katasraj Temple, Chakwal, Sargodha, ...

Lake In Katas Raj Tample, Chakwal, Pakistan.

KATASRAJ TEMPLES documentry by students of NUML uni Isbd

A Documentary on Katas Raj (Hindu Temple) Part 3

A Documentary on Katas Raj (Hindu Temple) Part 2

A Documentary on Katas Raj (Shiva Hindu Temple) Part 1

Thursday, August 18, 2011

IAALV Celebrated 15 August at Leigh Valley / Ashok Lav















India American Association of Leigh Valley , Allentown,Pennsylvania celebrated Independence Day . Indian flag was hoisted on 15th August by Mayor Pawlowski and congressman Charlie Dent .
Assistant Police Chief Joe Hanna, Chief Roger Maclean, Fire Chief Robert Kudlak and many American celebrated Independence Day with local Indians.
Ms Monica Chibber and Mrs Kamlesh Chibber played a key role in organizing the function. Ms Monica Chibber , a young and dynamic Mohyal is very active in organizing social and cultural activities.
We mohyals are proud of Chibber family !
Congratulations to all Indians staying at Leigh Valley for organizing this impressive function !

Friday, August 12, 2011

मन रे काहे न धीर धरे.../ अशोक लव

और अधिक , और अधिक पाने और संग्रहित करने की इच्छा की पूर्ति हेतु मनुष्य अनवरत भाग रहा है। प्रातः से सायं ही नहीं अपितु देर रात तक कोल्हू के बैल के समान कार्यरत रहने लगा है. उसे न अपनी चिंता है और न अपने घर - परिवार की चिंता है. चिंता है केवल अधिक से अधिक धन अर्जित करने की. प्रातः घर से निकले और लौटेंगे कब ,कोई पता नहीं !व्यापारी अपने व्यवसाय को और अधिक विस्तार देने में शेष सब कुछ भुला देते हैं। नौकरी करने वाले अधिक धन कमाने के लालच में नौकरी के समय के पश्चात् भी कार्य करने चले जाते हैं। भागते लोग, भागती भीड़ ...कहाँ जा रहे हैं , कुछ होश नहीं है। धन और धन , बस और धन --यही जीवन का लक्ष्य रह गया है।सब व्यस्त हैं , अस्त-व्यस्त हैं . यह व्यस्तता क्या है ? किसलिए है? क्यों है ? इसके विषय में सोचने का भी समय नहीं है।धन का महत्त्व है। इसे नकार नहीं सकते। जीवन-स्तर श्रेष्ठ बने, इसके लिए धन चाहिए।हर प्रकार की सुख-सुविधा उपलब्ध हो, हो जाए तो और उपलब्ध हो....इसलिए खूब भागो...जो आगे बढ़ गए है उन्हें पीछे छोड़ो --यह अंधी दौड़ सुख चैन छीन रही है। इस अंधी दौड़ में भागता मनुष्य कब युवावस्था और अधेड़ावस्था को पार कर जाता है, उसे पता ही नहीं चलता। और जब पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। तब इस अंधी दौड़ से अर्जित धन के भोग के लिए देह कमज़ोर चुकी होती है।कबीर ने बहुत अच्छा लिखा है--मन सागर , मनसा लहरी, बूड़े -बहे अनेक ।कहि कबीर ते बाचिहैं, जाके हृदय बिबेक। ।